मां द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-1

Image result for मां की चुदाई दोस्तो, मैं सोनाली एक बार फिर से आपके समक्ष उपस्थित हूँ और आप सभी पाठकों का अभिनन्दन करती हूँ जो आप लोग मेरे द्वारा लिखी हुई कहानियों को पढ़कर आनन्द प्राप्त करते हैं और फिर अपने विचार मुझे भेजते हैं।
आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रही हूँ… वह पूरी तरह से काल्पनिक है और एक नई श्रृंखला पर आधारित है।
यह कहानी दो लड़कों और उनकी मां की है जिसमें उनकी मां का किरदार मैं निभा रही हूँ।
आज मैं आप को बताऊंगी कि कैसे मेरे दोनों बेटों ने मेरी चुदाई की… कैसे मैंने उनसे अपनी चूत चटवाई… कैसे बेटों से अपने मम्मे मसलवाए, मैंने उन्हें अपना दूध पिलाया… कैसे मेरे बेटों ने मेरी गांड मारी… कैसे मैंने उनसे अपनी चूत मरवाई… कैसे मैंने अपने दो बेटों से एक साथ चुदवाया… कैसे उन्होंने अपने लंड से मेरी चूत और गांड की खुजली मिटाई।
मेरी उम्र 39 साल है, मेरा फिगर 38 32 38 का है। जैसा आप मेरे फिगर को देखकर समझ ही गये होंगे कि मेरे मम्मे और गांड दोनों ही काफी बड़े और कसे हुए हैं, और उभरे हुए हैं जो किसी के भी लंड में बिजली पैदा कर सकते हैं।
शादी के बाद से ही मुझे सेक्स की आदत सी पड़ गई थी, शुरुआत में तो मेरे पति मुझे रोज चोदते थे, फिर उन्होंने मुझे चोदना कम कर दिया क्योंकि मेरे पति एक बैंक में मैंनेजर हैं पर उनकी पोस्टिंग दूसरे शहर में है, वो महीने में तीन या चार दिन की छुट्टियों पर ही घर आते हैं और फिर लगातार तीन चार दिन तक मेरी चुदाई करते हैं।
वे अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डालते और कुछ देर की चुदाई के बाद झड़ जाते थे पर ज्यादा दिनों से चुदासी होने के कारण मैं कभी संतुष्ट नहीं हो पाई, ठीक तरह से चुदाई ना होने के कारण में मायूस रहने लगी थी।
कभी-कभी मैं अपनी चूत में उंगली करके खुद को झड़ा लेती थी।
वैसे तो मैं दिखने में काफी आकर्षक हूँ, मेरा फिगर भी अच्छा खासा है, मैंने कई बार टीवी पर भी देखा और पढ़ा भी है कि समय पर संभोग न कर पाने के कारण बुढ़ापा जल्दी आता है और शरीर भी बैठने लगता है।
यह बात सत्य भी है… अपने से कम उम्र आदमी के साथ संभोग करने से आपकी इच्छा शक्ति और शरीर दोनों ही फिट रहते हैं… समय पर सेक्स करते रहने से औरतों की खूबसूरती और निखर जाती हैं।
मैंने एक इंग्लिश चैनल पर देखा था कि एक औरत अपने शरीर और चेहरे पर मर्दों का स्पर्म लगाती है जिससे उसकी खूबसूरती बरकरार रहे!
तो मैंने भी सोचा कि मुझे भी ऐसा एक बार ट्राई करना चाहिए… पर मुझे स्पर्म मिलेगा कहाँ से?
तभी मुझे मेरे बड़े बेटे के बारे में ख्याल आया… जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि मेरे दो बेटे हैं बड़े बेटे का नाम अरुण है, छोटे का नाम अवि है।
मुझे अपने बड़े बेटे पर थोड़ा शक था कि कहीं वह कुछ गलत तो नहीं सीख रहा… क्योंकि मेरे दोनों बेटे रात में हमारे ही साथ सोते थे और कभी रात में जब मेरे पति मुझे चोदते थे… तो मुझे ऐसा लगता था कि मेरा बड़ा बेटा हमारी चुदाई देखता है।
मुझे उसकी नजरों से ऐसा लगता था कि जैसे वो अपनी आंखों से सामने वाली औरत को नंगी करके देखता है। मैंने उसकी आंखों में भी कई बार अपने प्रति वासना के भाव को देखा है।
तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना अपने बड़े बेटे पर कुछ आजमाया जाए।
एक बार छुट्टी के दिन मैंने अपने बड़े बेटे को सुबह नहलाने का ठान लिया… मैंने सुबह दस बजे उसे उठाया और नहाने के लिए बोला।
तो अरुण बोला- मम्मी… मैं थोड़ी देर से नहाऊंगा!
और फिर सो गया।
मैंने अरुण से कहा- तेरे शरीर पर बहुत मैल इकट्ठा हो गया है इसलिए आज मैं तुझे ठीक से नहलाऊंगी!
मेरे इतना बोलते ही अरुण के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई और फिर वह चुपचाप उठकर मेरे साथ बाथरूम जाने लगा।
उस समय मैंने एक पतला सा गाउन पहना हुआ था।
बाथरुम पहुंचकर मैंने अरुण से कपड़े उतारने के लिए बोला तो वह आनाकानी करने लगा… पर फिर थोड़ा समझाने के बाद उसने अपने कपड़े उतार दिए और केवल अंडर वियर में ही मेरे सामने खड़ा था।



मैंने उसके ऊपर पानी डाल कर उसे नहलाना शुरु किया और फिर उसको साबुन मलने लगी… मेरा हाथ कभी-कभी उसके अंडरवियर के पास भी जा रहा था।
कमर तक साबुन लगाने के बाद मैंने अरुण से बोला- चल अब अपनी चड्डी उतार दे जिससे मैं ठीक तरह से साबुन लगा सकूं…
पर शर्म के मारे अरुण ने अपनी चड्डी नहीं उतारी तो मैंने जबरदस्ती ही उसकी चड्डी उतार दी।

अरुण की चड्डी उतारते समय उसने अपने लंड को अपने हाथों से छिपा लिया तो मैं अरुण से बोली- मुझसे इतना क्यों शर्मा रहा है… जब तू छोटा था… तब मेरे साथ नंगा होकर ही नहाता था!
तो उसने अपने हाथों को अपने लंड से हटा दिया।
चड्डी उतारते ही मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी… अरुण का लंड अभी बैठा हुआ था पर फिर भी वह करीब साढ़े तीन इंच लंबा लग रहा था।
मैंने साबुन लेकर अपने हाथों को अरुण के लंड पर मलना शुरु कर दिया।
अरुण बोला- मम्मी, मुझे गुदगुदी हो रही है!
और धीरे धीरे उसका लंड खड़ा हो गया… तो अरुण ने मुझसे अपने लंड को छोड़ने के लिए कहा।
तो मैंने उससे कहा- इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है… यह सब नेचुरल है।
अरुण का लंड अभी भी मेरे हाथ में ही था, मैं उसके लंड को देख कर दंग रह गई… उसका लंड करीब सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा था।
मैं अरुण के लंड को देख कर इतना खो गई… कि कब साबुन लगाते लगाते मैं उसके खड़े लंड को सहलाने लगी और फिर थोड़ी देर बाद अरुण बोला- मम्मी… मेरा सूसू निकलने वाला है!
और फिर तुरंत ही वह मेरे हाथों में झड़ने लगा। मैंने उसके वीर्य को अपने हाथों पर इकट्ठा कर लिया।
अरुण थोड़ा घबरा गया और कहने लगा- मम्मी… मैंने जानबूझ कर यह सब नहीं किया।
तो मैं बोली- कोई बात नहीं!
फिर अरुण मुझसे बोला- मम्मी… मेरी सुसू इतनी गाढ़ी और सफेद क्यों है… ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ?
तब मुझे समझ आया कि इसे सेक्स के बारे में अभी कुछ भी नहीं पता।
मैंने अरुण से कहा- क्या… इससे पहले कभी तुझे ऐसा नहीं हुआ?
तो अरुण ने मना कर दिया और कहने लगा- मम्मी… जब आपने मेरी नुनू को पकड़ा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था… पर फिर तभी मेरी सुसु निकल गई!
तो मैं अरुण से बोली- अब तू बड़ा हो गया है!
और फिर उसे नहलाकर अपना गाउन उतारने लगी… मैं उसके सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी।
अरुण का वीर्य अभी भी मेरे हाथों में लगा हुआ था तो मैंने उसको बाहर भेज दिया और फिर मैंने उसके वीर्य को अपने शरीर पर और चेहरे पर मल लिया और मैं भी नहा कर बाहर आ गई, घर के काम करने में लग गई पर मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि यह सब मैं आज पहली बार कर रही थी।
दोपहर को दो बजे अरुण मेरे रूम में आया और मेरे पास आकर लेट गया… तो मेरे दिमाग में आया… क्यों ना इसको आगे की शिक्षा दी जाए।
मैंने अरुण से पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
तो उसने मना कर दिया।
फिर मैंने उससे हंसते हुए कहा- अब तू बड़ा हो गया है… कोई गर्लफ्रेंड बना ले।
अरुण बोला- मम्मी… उससे क्या हो जाएगा?
तो मैंने कहा- फिर तू उसके साथ डेट पर जाना और उसके साथ ऐश करना!
तभी मेरा छोटा बेटा वहाँ आ गया और फिर हम दोनों चुप हो गए।
रात को हम तीनों साथ में सोए… मेरा छोटा बेटा सुबह के समय कॉलेज जाता था और बड़ा बेटा दोपहर के समय!
अगले दिन सुबह मेरा छोटा बेटा चला गया और फिर थोड़ी देर बाद अरुण के भी कॉलेज जाने का समय हो गया।
मैंने अरुण को आज फिर नहलाया और फिर उसके लंड पर साबुन मलते मलते वह फिर झड़ गया… तो मैं बनावटी गुस्सा करते हुए बोली- तू यह रोज रोज क्या कर देता है?
अरुण बोला- मम्मी… आप जब भी मेरी नूनू से हाथ लगाती हो तो यह बड़ा हो जाता है और फिर सूसू कर देता है।
तो मैंने अरुण से कहा- बेटा यह सूसू नहीं है… यह वीर्य होता है… और यह निकलना अच्छा होता है।
मेरी बात शायद अरुण को समझ नहीं आई थी… पर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया था।
अरुण जिज्ञासावश बोला- क्या?
तो मैंने उसको समझाते हुए कहा- जब लड़का बड़ा हो जाता है… तो ऐसा होने लगता है!
और फिर उसे बताना शुरू किया कि छोटे बच्चों के पास नूनू होती है और जब बच्चे बड़े हो जाते है तो उनकी नुनू… लंड बन जाती है।
फिर मैंने अरुण से कहा- अब तू अपने लंड को इस तरह आगे पीछे किया कर… इससे तुझे बहुत मजा आया करेगा!
मैंने उसके लंड को अपने हाथों में ले लिया और फिर उसके खड़े लंड को आगे पीछे करते हुए मुठ मारनी शुरू कर दी।
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अरुण काफी उत्तेजित हो रहा था… उसका लंड और लंड का सुपारा दोनों ही लाल पड़ गये थे। करीब दस मिनट बाद वह फिर से मेरे हाथों में झड़ गया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और अपने लंड को मेरे हाथों की मुट्ठी के बीच में रगड़ने लगा।


मैंने अरुण से पूछा- मजा आया?
तो अरुण मुस्कुराते हुए बोला- हां मम्मी… बहुत मजा आया…
मैंने उसे समझाया- यह चीज किसी को मत बताना और जब भी यह सब करना हो… तो बाथरुम में ही जाकर करना या फिर मुझे बता दिया करना!
उसके बाद अरुण कॉलेज चला गया।
शाम तक मेरे दोनों बच्चे कॉलेज से वापस आ चुके थे, फिर वे दोनों खेलने चले गए… रात को मेरे दोनों बेटे मेरे साथ सो गए।
अगले दिन अरुण मेरे पास आकर बोला- मम्मी… मैंने आज भी मुठ मारी और मुझे आज भी बहुत मजा आया!
और मुझे थैंक्स बोलते हुए मुझसे लिपट गया… वह मेरे ऊपर ही शरीर से एकदम चिपका हुआ था… जिससे मेरे मम्मे उसके शरीर में गड़ने लगे और फिर थोड़ी देर बाद वह खुद अलग हो गया।
शाम को जब मेरा छोटा बेटा खेलने गया हुआ था, तब मैंने उनके रूम में जाकर देखा तो अरुण अपने लंड को हाथ में लेकर हिला रहा था।
मैं उसके पास जाकर उसे टोकते हुए बोली- यह क्या कर रहे हो? मैंने तुम्हें यह सब सिखाया इसका मतलब यह नहीं कि तुम दिन भर इसी में लगे रहो!
फिर उसे समझाते हुए कहा- देखो अरुण… इसे ज्यादा मत करो, इससे सेहत पर भी असर पड़ सकता है।
तो अरुण ने कहा- सेहत पर इसका असर कैसे पड़ेगा मम्मी?
तो मैं उसे अपने कमरे में ले आई और उसको बताना शुरू किया…
मैंने उससे कहा- यह बहुत ही कीमती होता है और इसी से बच्चे पैदा होते हैं… अगर तुम बार बार यह सब करोगे तो तुम कमजोर हो जाओगे और फिर शादी के बाद तुम्हें और भी प्रॉब्लम हो सकती हैं।
अरुण मेरी बात को समझते हुए बोला- मम्मी… बच्चे कैसे पैदा होते हैं?
मैंने अरुण को सब बता दिया कि कैसे एक पति अपनी पत्नी के नग्न शरीर, उसके स्तन… उसकी नंगी चूत गांड को देखकर आकर्षित होता है। फिर पति अपनी पत्नी की चूत को चाटता है और पत्नी अपने पति के लंड को चूसती है… और फिर पति अपनी पत्नी की चूत में अपना लंड डालकर सम्भोग करता है और फिर उनके रस से एक सुंदर सा बच्चा पैदा होता है।
मेरी बात अरुण पूरी तरह से समझ चुका था और वह बोला- मम्मी… मैं अपने रस को ज्यादा व्यर्थ नहीं किया करूंगा!
पर वह बहुत उत्तेजित हो चुका था, अरुण मुझसे बोला- मम्मी… जिस तरह एक औरत अपने पति को अपना पूरा शरीर दिखा सकती है… क्या आप भी मुझे अपने बूब्स दिखा सकती हो?
और फिर वो मेरे बूब्स देखने की जिद करने लगा।
तो मैंने अरुण को गुस्से से डांट दिया और उससे कहा- एक मां बेटा ऐसा नहीं करते!
मैं वहां से उठ कर चली गई।
ऐसे ही दो तीन दिन बीत गए, नहाने के बाद अरुण मुझे छुप कर कपड़े बदलते हुए देखता था। उसे लगता था कि मुझे पता नहीं चलता.. पर मैं उसकी सभी हरकतों को नोट कर रही थी… मैं भी उसे सताने के लिये जब कपड़े बदलती थी तो उसकी तरफ पीठ कर लिया करती थी… और वो बेचारा अपने लंड को ही रगड़ता रह जाता था।
फिर कुछ दिन बाद मैंने शाम के समय अपने बेटों के कमरे में जाकर देखा तो मेरे दोनों बेटे आपस में मुठ मारने की बातें कर रहे थे… पर मेरे बड़े बेटे ने छोटे बेटे को यह नहीं बताया कि उसे यह सब किसने सिखाया।
मैं यह सब दरवाजे पर छुप कर देख रही थी, अरुण ने खुद का और अवि का पैंट उतार दिया और दोनों एक दूसरे के सामने ही कमर से नीचे तक बिल्कुल नंगे हो गए।
अरुण और अवि दोनों के लंड ही पूरी तरह से खड़े हो चुके थे… मेरे दोनों बेटों के ही लंड काफी बड़े और मोटे थे।
अरुण उठा, उसने अपने बैग में से एक मैगज़ीन निकाली जिसमें एक बिल्कुल नंगी लड़की का फोटो था, उसने वो फोटो ले जाकर अवि को दिखाया।
उस नंगी लड़की को देखकर दोनों के लंड किसी रॉड की तरह सख्त और लाल हो गए थे।
अरुण ने उस लडकी के नंगे मम्मों को देखते हुए अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, फिर अवि ने भी अरुण को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद वो दोनों झड़ गये।
मैंने उस वक्त उन दोनों को कुछ बोलना ठीक नहीं समझा, मैं अपने रूम में वापस आ गई। मुझे अब कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करना चाहिए।
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