मेरी आंटी मेरी जान-2

Related imageकल की सुबह Antrwasna आंटी नहाने की समय में मौसी मेरे कमरे में आ गाई. मौसी ने मेरी और आंटी की बीच चुदाई दिख लियता. मौसी चौक गाईति लेकिन मौसी को मैंने सब बताया. मौसी धीमी से मुस्कुराकर बोली ‘तेरे आंटी लक्की है जग्गू, तेरे हथियार जितना बड़ा है उतना तेज भी है. मैं जानती हूँ आंटी बेटा मौसी के बीच यह संबंध आपबीतरा है लेकिन प्यार से किया हुआ कोई भी चीज़ स्वाएँ पबीतरा हो जाती है.’ मौसी की समझदारी और मेरी लंड की बेरएमए बड़ाई सुनकर मैं बहुत खुश हुआ. मौसी ने फिर कहा ‘जग्गू तू मुझ से अभी ज्यादा दीदी को चाहता था और चाहता है यह तो मैंने जंलिया लेकिन अपनी अकेली मौसी को भूल नहीं जाना’ मैंने मौसी की हाथ पकड़ के बोला’आप मेरे आंटी समान हो’ मौसी मुस्कुराईं और बोली ‘काश मैं तेरी आंटी होती’ हम ने साथ चाय पी. मौसी ने अचानक घर लौटने को इरादा बनाया. आंटी अंदर से खुश थी लिकिन उनको यह अंदाज़ा नहीं हुआ की मौसी अपनी दीदी और बेतेकि बीच होना नहीं चाहती थी. मौसी ने कुछ काम का बहाना रचा और जानेको बोला. जाते जाते मौसी ने आंटी को बोला ‘ दीदी, जग्गू को कवि कवि हमारा उधर भी भेज देना. कवि आता भी नहीं है. तू तो जानती है मैं अकेली हूँ कवि कवि मुझे अभी बेटे का प्यार मिले’ मौसी निकलते ही हम हँसे”बेटा का प्यार” आंटी भी जानती थी मौसी मुझसे चुदी है और मौसी भी जानती थी आंटी मुझसे चुदी है. लेकिन यह दोनों को खबर नहीं थी की दोनों ने एक दूसरे को चुदते हुए दिखता. आंटी ने कहा’बेटा जाएगा मौसी का घर?’ मैंने कहा‘मेरी आंटी मेरी जान है. जान को अकेले कवि नहीं छोड़ूंगा.’ हमने खूब किस की. और इषबर मैंने माकी सारी ऊपर करके अपने कमर में उठाकर खड़े खड़े चुदाई किया.
यारो मेरा जीवन स्वर्ग हुआ था. अब मैं हूँ सब करसकता था जो मैंने आंटी के साथ कल्पना किया था. मुझे उनकी नंगी गांड और चुत अभी भी देखना था लेकिन मुझे उतना ओरल सेक्स मालूम नहीं थी.
आप रब से क्या और चाहेंगे एक मकान एक आंटी और एक खूबसूरतबीवी क्या मेरे पास आव किसी चीज़ की कमी थी? अगर आप सच दिल से किसी चीज़ कोचहते है तो पूरा कायानाथ उस चीज़ को आप से मिलने का कोशिश करता है यह तोसव को मालूम है लेकिन हमारा दिल बहुत कुछ और अभी चाहता है इसका सिलसीलाजारी रिहीट है.. मौसी जाने के बाद बहुत मिला. मौसी जाते ही मैंने आंटी के साथ चुदाई पूरा खड़ी खादीजोश में किया था. आंटी फिर नहाने गयी मैं भी बाद में गया कारण हमारा प्रेमरस था.अब मेरी आंटी मेरी थी. खाना खाने के बाद मैंने बर्तन साफ करने पे माको अभी साथ दिया.
उसके बाद हम पति पत्नी की तरह बेड में आ गये. आंटी आज कालीबल्ौसे और काली सारी में थी. उनका चमकती चहेरा उनको काली कपड़े में औरचमक दे रहा था. आंटी पीठ के बाल पर लेट रही थी और में हाथ पर सर टीककेसोए सोए आंटी की चहेरा दिख राहत. यह आसान ज्यादातर बिश्णुदेव लेते है.मैं आंटी को चहेरा देखते बोला’आंटी आप इतनी खूबसूरत कवि नहीं दिखती थी’ .आंटी ने अपनी आंख को सरारती से एक बार घुमाई और मुस्कुराते बोली ‘तुझे औरत्की दिल की बात मालूम है, तू आसानी से औरत के दिल जीत सकता है’ . मैंने आंटी को देखकर फिर बोला’यह कोई दिल जीतने वालीबात नहीं है आप को काली सारी में नहीं दिखता. आप सच में बहुत खूबसूरत होआभूत मस्त.’ आंटी ने अपना सर मेरएसए दूसरे तरफ मोड़ ली और बोली ‘मौसी को वियसए बातों में उलझा दिया होगा तूने’ बात तो सही थी लेकिन आव सच की सामानकारना था. मैंने बाथरूम की हादसे के बारे में पूरा बताड़िया. जाव मैंने अपनाबथरूम में हुई हालत की बारे में बताया तो आंटी अंदर अंदर हंस राई थी. और माकी मान जीतने के लिए बोल दिया.’खुद को बचाते बचाते ऐसा करना पड़ा आप जांतिहोना मोहोब्बत तो सिर्फ़ आप से करता हूँ.’ आंटी ने मेरी तरफ सर करके हस्तेपुचा’क्या तूने मौसी को नंगी दिखता?’ मुझे अभी आंटी के साथ हंसी लगी. ‘नमा कुछ नहीं दिखता बस इतना मालूम होरहता वो मूत रही थी.’ आंटी बहुत ज़ोर से हंसी ‘कितनी शर्म की बात है. तेरी मौसी को कितनी शर्म लगी होगी,फिर विटूज पर प्यार आया बिचारीक़ो दूसरा मर्द होता तो!’ मैंने वो पल को याद करटेबोला ‘लेकिन आंटी मुझे मौसी को पिसाव करते दिखना अच्छा लग रहा था, बहुटाच्ची दिख रही थी.’ आंटी की चहेरा अचानक बदल गयी’मैं समझती हूँ जग्गुतु बचपन से मौसी को मुझ से अभी ज्यादा चाहता था आव तो ओह मुझसे जवान विहाई’ मैं हंसते बोला’इसे बात नहीं आंटी, आप मर्द होती तो समझजति कितनिमजा मिलती है औरत की उस हालत में दिखना काश आप उस वक्त होती मौसी के जगेपर! क्या खूब लगती होगी मेरी खूबसूरत आंटी’ आंटी का चहेरा गुलाब हो गया.शर्म से आंटी पानी हो गयी. ‘तू बड़ा नालयक है,अच्छा हुआ उस दिन में बाद मेगाई’. मैंने अभी जुटा गुस्सा से कहा ‘हां आंटी मेरे लिए अभी अच्छा ही हुआ, मौसीका प्यार मिला’ आंटी ने मेरी तरफ दिखा ‘तू मुझे जलरहा है ना?’. मैंने ओरझूठ कहा ‘आप को मालूम है ना हर इंसान को नयी चीज़ पसंद आती है, फिर विनय नमिले तो पुराना सही’. आंटी घुस्से में बोली ‘तुम बाप बेटे वैसे हो, दोनों कोमेरी बहन पसंद. लेकिन तू हद कर रहा है’. मैं चुप हो गया. आंटी बोलने लगी’अच्छा आव मौसी नहीं है इसलिए चुप हो गया कई पुरानी चीज़ अभी हाथ से ननिकले,आव नयी चीज़ के लिए मौसी कहा चलेजना’ इसे बोलते बोलते आंटी बेड सेउठने लगी. मैंने आंटी को ‘कहा जा रही हो मेरे जान’ बोलकर ऐसा लाद प्यार सेपकड़ा जैसे पति पत्नी को पकड़ता है.
आंटी थोड़ा सरारती से मेरे बीरोध कर रही थी लेकिन मैंने उनको अपनी नीचे ले लिया. आंटी की कुछ बाल उनकी चहेरतरफ आ गया था और वो बहुत मस्त दिख रही थी. मैंने उनको नज़र से नज़र्मिलाकर हिम्मत और जोश से कहा ‘बचे में मुझे डॉल अभी पसंद थी उसी तरहमौसी अभी आव मैं कोई डॉल खिलाने वाला बच्चा नहीं हूँ. आप की आगे मौसी कुछ विनाई है, आप किसी पड़ी से कम नहीं है. यह आप अभी जानती होना बस आंटी मुझे दिलवारकर प्यार करने दो’ आंटी ने अपना सरारती बंद करली ‘हां बेटा जानती हूँ टुंुझे बहुत ज्यादा प्यार करता है’ मैंने उनकी ब्लाउज को खोलने के कोशिश करटेकहा ‘मुझे आज आप के साथ बचपन से जवानी तक का प्यार करना है.’ आंटी सयडनाई समझी लेकिन उन्होंने अपनी ब्लाउज और ब्रा खोलने में सहयोग की.
कुछ देर मैइनेउनकी चूची मसल रहा. आंटी पीठ के बाल पर लिट रही थी और मुझे दिखराहिति. आंटी की चूची मेरे मसलने से और खड़ा होरहता. उनकी निप्पल विखड़ा होरहता. मेरी मुंह से पानी निकलराहा था. मैंने उनकी चूची मसलते एकबार उनकी कोन के नीचे चूमते कहा’आंटी आप बहुत अच्छी हो’ जवफ में आंटी ने बसाे वरली. मैंने अपना सर उठाया और आंटी की चूची पर अपना सर दबाया कुछ देर मैंने उनकी चूची को चूमा. आंटी की शरीर में तरंग चली. आव आंटी को विसयद अंदाज हो गया बेटा बचपन में चलगाया. आंटी की कपते शरीर को देखकरमैने आंटी की चहेरा की तरफ देखा. आंटी बेचैन दिख रही थी उनका बाल उंकीचहेरे पर आगाएेते इसे दिखराहि थी,जैसे कुछ बदल चाँद की आगे आया हो.
मैं फिर एक बार उनकी गाल पर चूमने गया इसे बार मैंने चाँद से बदल दूर की.मैंने उनके कान में फिर कहा’आंटी मुझे भूख लगी है बहुत भूख’ आंटी समझचुकी थी मैं क्या करना चाहा रहा हूँ. उन्होंने सर मोडके बस आहें वरली. लेकिनूनकी छाती ऊपर नीचे होरहेते और निप्पल अभी खड़े खड़े थे. मुझे पतचला आंटी की जवफ उनकी बदन दे रहा है. फिर में चूची पर आ गया. मैंने इषबार अपना जुबान निकालकर चूची की चरोटरफ चत्लीया. यह बहुत मजेदर्मएहेसुस था, जाव में अपना जुबान से निप्पल को थोड़ा थोड़ा हिलादेता निप्पल और्कादक हो जाता.
आव आंटी को अभी बेटे की भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उन्होंने अपनाहत से मेरे सर पर दवव देना शुरू कर दिया. मैं अभी उनकी निप्पल को मुंह मेलएनएके लिए बेटाव था. यह क्या जानलेवा महसूस था! उनकी निप्पल मुंह आतेही कुछ देर मेरा सास रुक गया. आंटी की बदन हिल रहा था. अजीब सा टेस्ट मिलराहा था उनकीनीप्पले से. मैं एक हाथ से दूसरा चूची डाबरहता और दूसरी हाथ से चूसी हुइचुचिको दबा रहा था जिस तरह बचे आंटी की दूध पीते वक्त करते है. सयदमा की चूची में दूध होती तो जरूर आती फिर अभी चूसने का मजा कुछ और था.ऐसा मजा कवि नहीं आया. शायद बचपन की भूख चूची मितसकती लेकिन जवानी किबूक मिटाने के लिए वो काफी नहीं थी. हां मैंने कुछ देर तक उनकी दोनों उवर्तिहुई मस्त चूची को मसल मसलके चूसा फिर अभी मेरा दिल नहीं वारा. मैंने अपना सर्णीचे करके उनकी दूनी में जुबान लगाया. आंटी की मुंह से’उः मेरे..लाल तुम’ आहेनिकल रही थी. कुछ समयटाक मैंने अपनी मुंह और जुबान उनकी गहेरी और सेक्शयदुनी पे नचाया फिर क्या था. मेरा पूरा ध्यान आंटी की सबसे महेंगा चीज़ में ताहा उनकी चुत. उनकी चुत दिखना इतना आसान नहीं था.
मेरा दिल अभी धड़क रहा था.मैंने आंटी के साथ चुदाई अभी करचूका था फिर अभी उनकी चुत के बारे में बस लंड कोही मालूम था. इषबर मुझे आंटी को नंगा करना था. शुरूवात वही करना था जहाजन्नत है कहा जाता हे. आंटी की चरण. यह मेरा पागलपन था शायद मुझे क्याहुवा मालूम नहीं मैंने कुछ देर तक अपना सर आंटी की चरण में रखा जैसे मैनूनका बहुत इज्जत करता हूँ. आंटी ने अपना पर को हिलाते यह संकेत किया की बशोगआया. उनकी पाऔ बहुत खूबसूरत थी. मैंने उनकी पाऔ की उंगलियां अभी चूँली.यह हरकत मुझे खुद उत्साह दे रहते. आव मेरा कोशिश उनको नंगा करना ही था.बहुत आसानी से मैंने उनकी सारी और साया उनकी जाँघ तक सरकाया. मुझे इसे बर्खूसी अभी हुई उन्होंने काली पैंटी पहन रखी थी. आज पता चल रहा था आंटी कालिकाप्ड़े में सहेजडी लगती है.जाव आप के पास टाइम है तो गेम जितना लंबा ओरमुस्किल हो उतना ही मजा आता है. और जाव आपके आगे अपने नदेखी हुई चीज़ होठों! जरूर आप जी भरके देखेंगे, महसूस करेंगे उसका महक लेंगे और उसकटस्ते अभी करेंगे…
मैंने अपना दिल रोकनाई पाया. मैंने अपना सर उनकी पैंटी के ऊपर लेकर जाकर उनकी चुत की उपर्चिपकाया. शायद मैं उनकी खुशबू लेना चाहा रहा था. वो महक कुछ अलग ताजिसको बार बार आहें भर के लेने के लिए दिल होता था. अभी मुझे एहसास होरहटबाइल गये की चुत की महक क्यों बर्बर लेता है. कुछ देर मैंने अभी अपना मनभर्लिया लेकिन यह महक जितना लोगे उतना लेने के लिए दिल होता था जैसे कोइचआरेश की तरह.
दोस्तों मैंने ठीक ऊपर चूम अभी लिया. हलकी मैनेपनटी ऊपर चूमा था फिर अभी आंटी ने अपनी नितंबा पीछे खिसकाई. फिर मायनेपनटी को नीचे करने की कोशिश किया लेकिन एक हिन्दुस्तानी औरत को हम नंगे किएबीना बार बार चोद सकते है परंतु उनको नंगा करके बस देखना अभी यह कोईसाढ़ारण बात नहीं होती. हिन्दुस्तानी औरत की यह मस्त खासियत थी. और मेरी माहिन्दुस्तानी औरत की नमूना थी. उन्होंने मेरे हाथ को पकड़कर अपनी पैंटी से दूरकार्डिया. मैं हर मानने वाला नहीं था. मैंने उनकी हाथ को अभी पकड़कर प्यार सेचुमा और उनकी उंगली को कुछ पल निप्पल की तरह चूसा. न जाने क्यों मुझे उंकहर अंगा चूमने को बहुत दिल हो रहा था.
मैंने आंटी कीचहेरा फिर एक बार देखा. आंटी का पूरा चहेरा लाल दिखराहता. उनकी लिप्स भीगीयौर कापी हुई थी. उनकी आँख निर्दोष और प्यार से मुझे दिख रहे थे. मैनसमझ सकता हूँ. जिस आंटी को मैं नंगा दिखकर ही बेचैन हो रहा था,वोहबिचारी खुद नंगी हो रही थी अपने बेटे के लिए. फिर मुझे प्यार आया. मैनेआपना सर को एकबार माकी लिप्स चूमने के लिए आगे किया. कुछ देर लिप्स छू के फीरमाने कहा’ई लव यू आंटी’ और उनकी कान को थोड़ा सा डाट से दबाया. आंटी नएआए भर के अपना सर मॉदलिया. वो खुद को मुझ पर समर्पित कर रही थी.मैंने एक बार फिर उनके गाल बहुत प्यार से चूमा. मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था.
आंटी की सारी औरसया की आव कोई ठिगना नहीं थी. वो दोनों कपड़े आव आंटी के लिए कुछ काम नैयारहते. जो हिस्सा को छुपाने के लिए आंटी ने पहनता मैंने उसको उस हिस्सा सेउपर कर दिया था. लेकिन मेरा दिल तो सारी और साया दोनों को अलग करनेको मुजेड़वव डाल रहा था. यह काम मैंने आंटी की पेट की चारों तरफ चूमते और दुनिमे जुबान लगाकर उनको उत्तेजित करके अपने हाथ से किया. आंटी ने अभी अपनी गंडुठाके मेरी सहयोग की. क्या आप सोच सकते? हर वक्त सारी और ब्लाउज में रहएनेवाली मेरी आंटी आव सिर्फ़ छोटी सी काली पैंटी में थी. मैंने आंटी को सर से पौ तक देखा. उन्होंने आख़बांद करलियता. अपनी दोनों टांगों को ऐसा चिपकयता की शायद उनको लगा ओह्चोटी पैंटी उनकी चुत छुपा नहीं पाएगी. मुझे आंटी की हरकतें और उत्साह डर रही थी. इसे मस्त दिख रही थी मेरा लंड अभी खुद अपने आप पानी निकालने केकोसिस कर रहा था. मेरा अंतर्मन बोल रहा था निकलडे आंटी की पैंटी और टाँगेफाइलक़े जी भर के देख अपनी जान को लेकिन दिमाग बोल रहा था जो अभी कर प्यासे कर. चाहे जितनी गाँधी हरकत अभी क्यों ना हो प्यार से और इज्जत से कर वो कोइरखेल नहीं है आंटी हे तेरी.
मेरा दिल बर्बर आंटी की चहेरा पे जाता था ओरमे जरूर उनकी चूमि अभी लेता था. मुझे उनको नंगी करना था. मुझे खुद पारकाबू पाना बहुत मुश्किल हो रहा था. मेरी लंड लोहा की तरह मजबूत हो रहा ताओर आंटी से किया हुआ हर हरकत में अपना सीना टाँके खिचलेता जैसे की कोई बडिकाम करने के लिए जाना है उसको. मैंने फिर आंटी की चरण को चूमते चूमतेआपना सर आगे बदलिया. उनकी पर की घूँट तक चूमा लेनेसए उनको कुछ फर्क नैपदा लेकिन जाव मैंने उनकी गोरी और लाल मोटे टांगको हल्का छू के थोड़ा चूस्दियातो आंटी का पूरा शरीर हिलगया. उनकी टाँगे बहुत गरम थी और मैंने उनको अपनिलिप्स से चुस्के जुबान से दो बार चाट ली. आंटी की टाँगे अपने आप फेलने लगा औरुनकी तंग की गति भी देने लगी जिसकी वजह से पायल की आवाज़ आ गयी.
मैं आंटी की टाँगे का नीचे हिस्सा चूमते चूमते जा रही ताओर आंटी की चहेरा बार बार दिख रहा था. आंटी की आंख खुली थी लेकिन उन्होनेनजर ऊपर कर लिया था. पूरा चहेरा लाल और बेचैन दिख रहा था जाव विमैन उनकी टाँगे चूमता ओह अपना आंख को एकपल के लिए बंद करती और जुबान कहर्कत से ओह अपना सार्को दो तीन बरमॉदलेटी. आव मैं उनकी जाँघ तक आ चुका था. मैं उनकी पैंटी के आश्पस एसएचाक्कर लगाकर चूम और चाट रहा था जैसे मंदिर पर्बेश से पहले भक्तजन मंदिरकी बाहर चक्कर लगते है.
दोस्तों यह हलद कोबाटना इतनी आसान नहीं है. मेरा दिल दिमाग मान आव साव एक चीज़ पर टीके हुए थे.इसलिए मेरा पूरा ध्यान पैंटी में च्छुपिहुई आंटी की अमूल्या चुत पे था. ऐसा कवि नहीं हुआ, चाहे जितना अभी मेरी मनपसंद खाना आगे हो इसे तरह मुंह में पानी कवि नहीं आरहता. मेरा मुंह से पाणिनिकलराहा था और जुबान अभी काँप रहा था. मेरी जुबान आंटी की पैंटी की किनरेपार उनकी तंग की अंदर वाली हिस्से में इसे आगे बद्राहता कही वो खुद चुतच्छुने घुस नाज़ाए. आंटी की हालत तो हादसे बाहर होने लगिठी. उनकी तंग गति में थे. वो कवि गांड को पीछे करती टोहकवि आगे. यह तो जाहेर की बात है आंटी जितना अभी उलझन में हो लेकिन उनकी चुटमेरे जुबान के साथ दरहिति और आंटी के ऊपर अभी दवव डालती. जाव अभी मैं उनकीपंती की कोने उनकी जाँघ में चूमता आंटी की गांड आप से आप ऊपर आती थी और माआहए वर्के बेबसी से लंबी स्वास फेक्टी. आंटी की हाथ अभी मेरे सर की बाल को बास्मस्सगे ही कर रहते. मुझे उनकी पैंटी से गाजाव की महक मिल रही थी. मेराधड़कन का रफ्तार और तेज चलने लगा.
मैंने धीरे से उनकीपंती को खिंचना चाहा लेकिन आंटी अभी भी चुत दिखाने के लिए तैयार नहीं तिऊन्होने फिर अपना हाथ से अवरोध किया. अगर शर्म वाली चीज़ में किसको उकसानहाई तो पहले खुद ओह चीज़ करके दिखना चाहिए. आप क्या समझे! मैंने अपनपुरा कपड़ा निकाल दिया. मेरा लंड इसे खड़ा था की वो मेरे पेट में चिपक जा रही था उसको शायद आंटी की चुत की दूरी सहम नहीं हो रहा था. जाव आप दिल सेकरते है तो क्या नहीं होता! मैं आंटी की पेट की कुछ दूर की साइड में बिता ओर्मैने आंटी की पैंटी की अंदर हाथ डालने को कोशिश किया इसे बार अवरोध करने वालेमा की हाथ को चूमकर मैंने अपनी लंड पर पक़दादिया और दो चार बार ऊपर नीचेवी करादिया और आंटी की पैंटी को पकड़कर उनको दिखने लगा. अगर आपको सवस्ेआकचा जांसक्ती है तो इसे दुनिया में सिर्फ़ आंटी ही है,आंटी ने समझलिया मैं दिलौर जान से क्या चाह रहा हूँ. दोस्तों आव क्या था आंटी ने अपनी दूसरी हाथ अभी पंटयसए हटा दी. आव मुझे मेरी मुराद पूरे होने का संकेत मीलगया. आव मैं उस चीज़से परदा हटाने जरहता जिस चीज़ ने मुझे इसे दुनिया देखा डियता. उोहचीज़ जिसने मेरा मुझे इसे दिनियामेबीलुप्त करादीयता. हूँ कोई आम चीज़ नहीं थी मेरे लिए एक रहस्य से भारिहुई,मनमोहक और अमूल्या चीज़ थी जिसको मैंने आजतक देखा नहीं था.
अगर आप कुछ चीज़ कॉडिल से दिखने चाहते है और हूँ किसी चीज़ से बढ़ी हुई है तो आप उसकोखोलते समय क्या महसूस करते है? क्या आपने कभी कोई बचे को उसको मान पसंद गिफ्तखोलते हुए दिखा है?
मेरा हाथ कांप रहते. ऐसा लग रहा था मैं डर रहा हुआखिर यह कोई बच्चों वाली गिफ्ट नहीं थी.मैंने उनकी पैंटी नीचे खिंचना चहलेकिन आंटी की सहयोग बिना यह संवाव नहीं था. आंटी ने अपना कमर हल्का उठकेमुझे उनकी पैंटी पूरी तरह से नीचे करने में आसान करदी. चुत कोई साधारांचीज़ नहीं होती. इतना मिहेनट करने के बाद अभी आंटी की चुत उनकी काली और घनिझट में गुप्त ही था. मेरा लंड भूखे कुत्ते के तरह चुत की तरफ इशारा कर रहा था. दोस्तों क्या काहु मेरा पसीना च्छुत्रहा था सांसें फूल रही थी यह हलद में आप देखते तो जरूर कहेते इसने 30 कमरंनिंग किया होगा. झांट थोड़ा विगा विगा लग रहा था. मेरा दिल सोच रहा था उस्झांट की अंदर की चुत कैसी होगी दिखने के लिए. बात जो अभी हो आंटी की चुत कीझांट उनकी बाल से कोई कम नहीं लगे यह बाल ने तो आंटी की चुत मस्त कैदकरके रखता. मना पड़ेगा चुत कितनी गुप्त होती है! मेरा हाथ की उंगली कंपराहेते मैं उनकी झांट उनकी चुत से थोड़ा किनारे लगाने जा रहा था.
मेरी उंगली की महसूस होते ही आंटी ने अपनी लंड पकड़ी हुहात से मेरी लंड इसे तरीके से मॉदलिया मुझे दर्द होरहता. कुछ पनेके लिएसएहें तो करना ही था. इतनी गरम आग की भट्टी की तरह थी आंटी की चुत मुझेआजीब लगा. मैंने धीरे से उनकी चुत की झांट को एक तरफ करना शुरू कर दिया ओर्मैन जो देख रहा था उसने मेरी आखकी पलके को बंद होना ही उला दिया और तेजिसे चली मेरे स्वास ने लिप्स को अभी सूखा कर दिया. मैंने कवि सोचा नहीं था छूटयेसी होती है. मेरे दिमाग में तो चुत में छेद होती है बस इतना ही था. सीधिलकीर,ऊपर छोटी सी ट्रिउज आकर की ऊपर उठी हुई आकर्षक की चीज़ बहुत मसत्ति.लेकिन छेद तो दिख अभी नहीं रहा था. चुत बहुत रहस्यमयी चीज़ है. मैंटो और उत्तेजित हो रहा था. मेरा घोड़े की जैसे लंड को खाने वाली चुत की मूहयेसए कैसे गयव है. जाव बीच में लकीर है और उस से कुछ पानी निकल रही टॉकया आप उस लकीर के अंदर पर साख नहीं करसकते? मैंने समझ लिया फिर अभी एहजुबा था. मैंने दो उंगली से उनकी दो लकीर को फैलाना शुरू किया. आंटी ने आहेवरली उनका पकड़ मेरा लंड में और मजबूती और दर्दनाक थी जैसे की वो अपनी चुत को फाड़ फाड़ के दिखने के लिए मुझे सजा दे रही हो. मुझे हर दरदबार्दाश हो रहा था.
ओह गोद! वो लकीर की अंदर मेरी मान पसंद गुलाबी रंडदिखने लगा. मैंने और फारके दिखा, दोस्तों आपने साथ अजूबा आठ अजूबा केबरएमए सुने होंगे! मुझे यह अजूबा नॉर्मल लगे. सबसे बड़ी अजूबा तो मैं दिखराहता जो सहजान ने नहीं कुदरत ने बनाया है.हां मैं चुत को वो हिस्से दिखराहता जहां से में बाहर आया हूँ बोलकर मैं मान ही नहीं सकता. क्या मैंने इटनिचोती छेद में अपना लंड अंदर डाला था. यह जादू जैसा लग रहा था. उस अंदर किगटीसील ड्रिस्या ने मुझे ऐसा सोचनेबदया किया कही चुत अभी स्वास लेती होगी. यह आम चीज़ नहीं थी जो अभी यह दुनियामे आए है पहला रास्ता यही था. जरूर गोद ने इसकी रचना खूबी से किया था.यह समय बिचार और बीमार्स की नहीं था मुझे वही करना था जो मेरा दिल कहेतता. मैंने अपनी हाथ से सवसी लंबी उंगली उसकी अंदर घुसेड़ दिया. अजीब सी बाताइ चुत की दोनों लिप्स इसे बंद हुई जैसे मैंने मुंह में सिग्ग्रटते रखा दिया है.मेरी उंगली चुत मॅगनेट तरह अपनी तरफ खिच रही थी. आंटी आहें वार रही थी.हलकी मेरी एक उंगली उनकी चुत अंदर थी लेकिन मेरी पूरा बदन में तरंगमाचीगाई.
हाथ से ज्यादा महेसुसकिया जा सकता है. अंदर की गरम और कस्माकस से तो मुझे ऐसा लगा इसमें टोमेरी एक उंगली अभी टाइट हो गया. मेरी उंगली खुद उनकी अंदर पूरी घुसेड़ गयी.मेरा लंड शायद उंगली से जल रहा था. उसने सर हिलना चालू कर दिया. आपनेकवी सिपाही को जोश से पर उठाकर सलाम करते हुए दिखा है मेरा लंड ठीक उसीतारह बार बार कर रहा था. पता नहीं क्यों मैं अपनी उंगली उंगली अंदर नीचे उपरकर रहा था शायद आंटी की चुत की ख्वाहिस यही थी. आव तो आंटी खुद अपनी मार्जिसे मेरी लंड पर मूठ मर रही थी. मुझे एक उंगली की बदले आंटी की पूरी मूठ मिलरही थी. मेरी समझ के हीसाव से मैंने अभी एक उंगली से तेजी से चोदना सुरुकारडिया. आव आंटी की चुत पूरी गीली हो गयी थी. आंटी की हालत बुरा हो चुका ताओर मेरा अभी. मैंने अपना उंगली सीधा बाहर निकाल दिया. आंटी इसे हिलगई जेसेमयने उनकी चुत से उनकी कुछ च्चिना हो.
आव मैं क्या करने वाला था इसे सोच ने मुझे पागल कार्डियसयद आंटी को अंदाज़ा अभी नहीं था.सच में मुझे ओरल सेक्स मालूम नहीं था.परणतुएहा बहुत चीज़ अपनी आप होती है. मेरी मुंह भूखे शेयर की तरह खुला था. एहजावानी का भूख था जो आंटी की चूची अभी पूरी मिठाई नहीं पे. आपको कोई बडिकाम बिना अवरोध करनी है तो उसकी गति इतनी तेज जरूर होना चाहिए की सामनेवालो को पता अभी नचले. ऐसा ही करना था मेरा खुली मुंह आंटी की पूरी चुटसमेटने जा रही था. आंटी अपना स्वोर दबा नयी पे’और,और,जग्गू..नहीं ला,..अल उः’उनकी पूरी बदन अकड़ गया. मैं जान चुका था,आंटी की चुत उनकी मुंह से तुलनकिया जा सकता है. हां मैंने लिप्स लिप्स किस किया. यह समय ने मैंने उनकी पनिका अभी टेस्ट लिए. यह टेस्ट अजीब सा था. लेकिन मेरा प्यास के लिए वो अमृत था.मुझे मालूम था पानी कहा से आ रही है. मैंने अपना जुबान को वही चाटना सुरुकारडिया. जिस तरह बिल्ली दूध चटके खाती है मेरा हालत उसी तरह था. आंटी कीगंद उछाल रही थी और कांप रही थी. आंटी की मुंह से अजीब आवाज़ आरहेते.मैंने तो पूरा मुंह उस छेद में लगाकर चूसना शुरू कर दिया जैसे स्ट्रॉ से जुयसएचुस्ते है. आंटी की गांड इसे उछालपदी मेरी मुंह में ज़ोर से लगा. आंटी ने ज़ोर सेमेरा सर को धक्का दिया.
मैंने आंटी की तरफ देखा. आंटी की चहेरा परिसनी से वराहुवा था. वो स्वास से बोलने लगी. अजीब बात थी आंटी अभी सोते सोते तक गाईति.’बेटा बस कर वो बहुत गाँधी है’ मैं कुछ बोल नहीं पाया. आंटी की चहेरादेख के फिर एक बार उनकी चुत प्यार से चूमा. सच बोलू तो मुझे चुत की महेकतस्ते और महेसुसी साव अच्छा लग रहते. मेरा लंड अपना पानी से नहा रहा था.मेरी मुंह वार आंटी की रस लगता फिर अभी आंटी ने अपनी मुंह में चूमना दिया. मैनेमा से कपते कहा,’आंटी आप की चुत में अमृत है’ यह आवाज़ सुनते ही आंटी कीचहेरा गुलाब हो गया और उन्होंने शर्म और सरारती से मुझे देखा फिर लंबी सासलेली. आंटी को जरूर होगी की मुझे मैंने उनकी चुत बहुत खूबसूरत और मासूंहाई बोलकर सुनायता. मैंने धीरे से कान में कहा.’आंटी एक बार फिर चूमने को दिलहो रहा है.’ आंटी लंड की प्यास की परिसनी से बोली’बेटा आव बस करो तारीफ..ओह जगा मुंह के लिए नहीं है..घुसेद्ड़ो अपना..अफ..’ मैं बहुत उत्तेजित हुआ.आंटी खुद मेरे लंड को अपनी चुत में निमंत्रणा कर रही थी. मेरा लंड अभी आव माकी चुत मरने के लिए उत्साहित था. आंटी अपनी शब्द पूरी अभी कर नहीं परहिति एहसव मेरा मुंह और जुबान ने किया हुआ उनकी चुत में खुजली का कमाल था.
मैं आंटी की ऊपर आ गया. आंटी ने खुद अपनी टाँगे फेलडिया.आपने कवि ऑफिस में लाइन में खड़े आदमी को दिखा है, जाव उसकी बड़ी आयगा तो वोकेसे अंदर जाता है. हां मेरा लंड ठीक उसी तरह आंटी की चुत में घुस गया.प्रेमरस चरोटरफ था इसलिए लंड मस्त फिसल रहा था. चुत अभी लंड को एसपकड़ रहा था जैसे की उसने मेरी उंगली अचानक बाहर जानेसए कुछ सीखा हो. क्याअप ने रब्बर को खींच के उसको जोड़ से हिलाया है और हिलने की बढ़ता देखा है हमेरा बढ़ता अभी कुछ कम नहीं था. आज पहेलिबर ऐसा लग रहा था आंटी मुझको छोद्राही है. उन्होंने अपनी गांड को उछाल उछाल कर ऐसा साथ दिया की इसे तरह किबेशरम तो रंडी अभी नहीं होती. लेकिन मुझे यह बहुत मजा दे रहा था.
मैं आंटी की टाँगे के बीच में कैद था. और मेरा नीचे हिस्समा को मीठा जोड़ का झड़का खुद ही खुद तेजी से दहाड़ा था. मैंने न जाने यहकयू पूछा’आंटी कैसा लग रहा है?’ आंटी क्या बोलती कुछ बोलती तो अभी मैं बीचबीच में ऐसा शॉट मरता आंटी की बात पूरी अभी नहीं होती. वो बस आए भरके उछलुछाल कर साथ दरहिति. लेकिन मुझे यह सवाल का जवफ सुनना था. मैंने अपनलुंद को थोड़ा ऊपर रूकड़िया. आंटी की गांड अभी एकबार उपर्तक आई लंड को चुत मेघुसेड़नेके लिए लेकिन लंड की कॅप बस उसमें समगया. मैंने आंटी की गाल चूमटेबोला’सच दिल से कहो ना आंटी’ आंटी ने मेरी गाल में एक प्यारी पत्नी की तरहचुंके सासो से कहा ‘बहुत अच्छा लग रहा है मेरा लाल ..’ आंटी ने फिर एक बारगांद उछली पर मैं रुक रहा था. उन्होंने फिर लंबी स्वास से तड़पते कहा’ जल्डिमुझे सकूँ दे..मेरा लाल ..’
आव मुझसे रही नहीं गया. मैं जोश में आरहता. इतनी जोड़जोड़ से चुदाई किया की आंटी की पायल,चुदी म्यूज़िक दे रहते, हमारी आहें भरणागना गाना जैसा होरहता और मेरा बॉल आंटी की गांड में मस्त टली बजा रहते.और मेरा बेडरूम म्यूज़िक स्टूडियो हो रहा था. आज आंटी की चुत दिखाई का बाद चुदायकी मजा अतुलनीया था.इसे तेज और जोश से चुदाई अगर दुनिया में कोई करते हाइतो शायद कुत्ता और कुतिया. अगर यह चुदाई कोई दिखा होता तो जरूर कहेते एहसलो से बिचदे हुए पति पत्नी है जो चुदाई का भूखे है.. हां जरूर कहेतजुड़ाई की बाद की चुदाई. पता नहीं क्यों मैं आंटी की कान चूमते बार बार उनकी चुतचोड़ चोद के कहे रहा था’ओह मेरी रानी मेरी सहेजडी’ जाव हवा ज़ोर ज़ोर सेचआलती तो पैर से पत्ते को तो गिरनी पड़ती है लेकिन में कुछ इष्तरह गिर पड़ा,लगता था हवा ने पूरा पैर को गिरदिया. इतना पानी निकली आंटी की चुत अभी सांवालनाय पाई वो तो खुद पानी और निकल रही थी. मैंने लंबे सफ़र कर लिया था. आव मुझ में कुछ दम नहीं ताएसा लग्रहता धड़कन की आवाज़ बाहर तक आए हो. आंटी की चुत की पकड़ जोकुछ पहले मजबूत था आव ढीला पड़ चुका था. मैं कुछ कर नहीं पा रहा तबदन में तगत कुछ नहीं था. मैं बस वैसे लिट रहा.
मुझे इसे से पहले कवि इस तरह की संतोष नहीं मिली. यहकया जीवन मैं जी रहता. मेरा ख्याल से हर कोई इंसान मुझ से जलता होगा अगरूनको पता चले की मैं और मेरी खूबसूरत आंटी घर में क्या क्या करते है. जावाप चोरी कर रहे है और इसको खावार किसको अभी नाहोना बात और दिलचस्पिहोजती है. चोरी का फल हमेशा मीठा होता है. मुझे उस पल क्यों लगा आंटी कीबेगार मैं एक पल अभी जी नहीं पाऊँगा. आव तक का जीवन में मैंने पहेली बार रात को 1 बजा समय में खाना खाया और आंटी के बदन के खुशबू ले के उनके साथ ददके बेड में सोयठा. वो रात अद्ऊत थी कितना सेक्यूर और कितना प्यारी महेसुई तापनी आंटी के साथ सोना. मेरी ख्याल में बीवी के साथ में यह अद्ऊत महेसुसी नईमिलता होगा.. रात में हमने चुदाई नहीं की लेकिन प्यार वारी बात करते एक दूसरे कोदिखते रहे एक पति पत्नी की तरह.मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मैं अपनईप्यारी प्रियतमा के साथ हूँ.जब सुबह हुई, आज मुझे आंटी की पायल की आवाज़ विसुना नहीं दिया. और मुझे उनकी चुंबन का अभी एहसास नहीं हुआ. कुछ आवाज़ सुनदरहता लेकिन वो आवाज़ मेरे सपनों में मिक्स हुवता. आवाज़ और ज़ोर से बादनेलागा तो मेरी आंख खुली. पता चला मेरी आंटी अपनी हाथों की चूड़ियां की आवाज़ सेमुझे जगाने की कोशिश कर रही थी. ‘वो आंटी! मुझे बहुत नींद लगी है’ मामुस्कुरदी और बोली’कोई जल्दी नहीं हे ‘.
मुझको एक महीने बाडकोल्लेगे जाना था अभी तो मेरा पास टाइम ही टाइम था. आंटी अपनी गांड हिला हिलाटेचल गई. अजीब सी बात है! पहले से मैं आंटी की गांड को साव से ज्यादा, बहुतपसंद करता था फिर अभी अवीटक मैंने उसको अच्छा तरीके से नंगा नहीं देखता. माकी गांड के बारे में सोचतेही मुझे जोश आया ऐसा लगा मैं उनकी गांड की बारएमेपुराण क़ुरान सब लिख सकता हूँ.इतने चुदाई के बाद अभी मेरा लंड तड़पने लगा.मेरी नींद गयव हुई. मैं नहाने के लिए चलगाया. मैं इसे बात पर बहुट्खूस होता हूँ ,मेरा लंड हमेशा जोश में रहता है .नहाने के बाद मैं अपनाकमरे में आ गया. आज मुझे अभी किचन में जानेका दिल हुआ वो अभी टॉवेल्मे.मुझको किचन में दिखटेही आंटी ने खूबसूरती से मुस्कुरा दिया. मैं किचन कियग्ले चेयर में बैठा. आंटी ने फिर चाय बनाना शुरू किया. मैं पीछे से उनको दिखराहा था. उन्होंने अपनी बँधे बाल को एक तरफ से आगे बया साइड में करलियता.उनकी गर्दन बहुत खूबसूरत और सेक्सी दिख रही थी मंगल सट्रा के साथ में.आजून्होने डार्क ब्लू कलर की सारी पहन रखा था. उनकी गोरी बदन में डार्क वालसारी बहुत जमती थी.पीछे से अभी कमाल की लग रही थी.मैं सोच अभी नहीं सक़तैसी औरत को मैंने कल नंगा किया था और साथ में चुत में मुंह अभी लगाया था और क्याकया किया था. उनकी उवर्ती हुई बड़ी गांड मुझे उनके तरफ खिच रहते. मैंने अपने आप चल पड़ा और उनको पीछे से बांहों में लेने की कोशिश किया. मैंने अपने दोनोहत को उनकी पेट में बढ़ा हुआ था और मेरी मुंह उनकी गर्दन चूम रहा था.उनकीबाल उनकी चूची के तरफ थे. लंड ने अभी आंटी की गांड में हरकत करना सुरुकारडिया शायद आंटी को अभी महसूस हो रहा था.’अभी जाने दो जग्गू, चाय पिलो. तुम्हमएसा यही चाहते हो और कुछ भी?’ मैंने उनकी गांड में लंड को घूमते उनकोकहा’आंटी आप बहुत खूबसूरत हो,आप में शराब की नासा है’ आंटी ने कुछ कहेनएकेलिए थोड़ा सर मोड़ा तो मैंने उनकी गाल अभी चूम लिया. ‘बेटा, बस अभी करो तुम नेकवी शराब पिया है. आंटी को खुश करने के लिए कुछ भी बोल देते हो, मैं मेरेबêते से इसे ही खुश हूँ. झूठी कहना नहीं चाहिए,मुझे चाय डालने दो’ मैइनेउनको कंधे में सर रखते कहा ‘मैं तारे गिरने के बात थोड़ी कर रहा हूँ आंटी सचमुछमा ,आप डार्क सारी में कोई सहेजादीलगती हो’ . आंटी ने हंसते सरारती से कहा’ तो तुम्हें मैं आख़िरकार कपड़ों मेअचछी दिखती हूँ ना?’. मेरा टावल ने बैलेन्स खोदिया और मैंने अभी कोई ध्यान नैडिया.टावल नीचे गिर ही लिया. यह सब मेरा लंड का करामात था. मैंने लंड कौंकी गांड में घिसते कहा’नहीं आंटी आप तो बिन कपड़ों में मस्त हो. मैं तो बसकपड़ो को कपड़ों से तुलना कर रहा था आप से किसी के मुक़ाबोला नहीं हो सकता है.’आंटी मस्ती और सरारती में बोली ‘ हां मैं समजती हूँ अभी भी मैं नंगी होती टोहतूम यहां जरूर गड़बड़ करलेटे. तुम तो अपना सोचते हो’. आंटी ने सही कहा तागार सारी बीच में नहोटी तो मैं लंड को उनकी अंदर जरूर दलदेटा.मेरा लुंडाज़द होरहता और उनकी गांड महसूस कर रहा था. अचानक बाहर उस्मान चाचकी आवाज़ आई. आंटी ने अचानक धक्का देदी और अपनी सारी को सही करने लगी.मैंने अभी जल्दी जल्दी टावल लपेट लिया और चाय लेकर आंटी से दूर हो गया. क्यहोटा अगर उस्मान चाचा ने मुझे अपनी आंटी की गांड में नंगे लंड घिसते हुवेड़ेका होता! आंटी बेटे का बीच यह संबंध बाहर दुनिया को पता होना बहुत्खतरनाक साबित होता है लेकिन दुनिया के सामने अपने आंटी को चुदाई करना एकद्उत कल्पना है ऐसा मुझे लगा.
मैं अपना कमरे में जाकर कपड़े चेंज करने लगा. उस्मान चाचा को भी आंटी ने चाय पिलाई. उस्मान चाचा का उमर 60 से ऊपर है लेकिन मैं अंदाज करसकता था उस्मान चाचा भी मेरी आंटी को गाँधी नज़र से दिखते थे. मेरी आंटी ही थी इतनी खूबसूरत की गाँव का मर्द हर कोई उनको पसंद करते थे. लेकिन मेरी आंटी की तीखी और मिर्ची स्वभाव से वो लोग आंटी से डर से किसी रिसत्ेका नाम लेते. लेकिन उस्मान चाचा बूढ़ा होने से उसकी छेड़खानी को आंटी लाइट्ली लेती थी. चाचा आंटी को बोल रहते”तुम्हारा बेटा इतना जवान हो चुका है फिर अभी तुम्हारी जवानी सदाबहार बसंत ऋतु की पर की तरह हरा भरा है” आंटी हंसी और इसको उठने ही बढ़िया से जवफ देदी”चाचा आप अभी इतना उमर के हुए हो फिर अभी औरत की खूबसूरती अवीटक आप की आंख दिख सकती है” उस्मान चाचा की मुंह बंद होगआइइ और वो अपने चश्मे को सही करते और ख़स्ते ख़स्ते किसी दूसरे मुद्दे पे बात करने लगे. मैं अपना आंटी की बात करने तरीके से खुद परभाबिट था. मैं सच में लक्की बेटा था अपनी आंटी का. दूसरों की लिए आंटी जितना तीखी और मिर्ची हो मेरे लिए मेरी आंटी, मोमबत्ती की आंटी थी.बाप आर्मी में होना. आंटी के साथ अकेले रहना. आंटी इतनी खूबसूरत होना,बाप का लंड निकँमा होना यह सब चीज़ ने आंटी को मेरे तरफ कर दिया था. यह सब कुदरत का करिस्मा था. आंटी बेटा का प्यार कहाँ से कहतक पहुंच जा रहा है. मैं सोचतेही रहेगया.
भला मैंने आंटी को कई बार चोदा हो. मुझे आंटी हमेशा फ्रेश लगती है.आज सुबह से ही मैं गाए की पीछे बैल के तरह आंटी के पीछे लग गया था. उस्मान चाचा कब गये पता नहीं हुआ लेकिन आंटी ने खाना खनेके लिए मुझे आवाज़ दी.
मैं और आंटी एक साथ में खाना खाने लगे. आंटी खाना खरही थी और मैं उनको खाना खाते हुए देख रहा था. उनकी लिप्स बहुत सेक्सी दिख रही थी. आंटी की मुंह सच में बहुत सुंदर है. लाल सेक्सी लिप्स चमकीले और मिले हुए दाँत रसीली जुबान. मैं वही डूब रहा था. आंटी ने मुझे देख के आंख से मुझे इशारा किया की मैं क्या दिख रहा हूँ.मैंने प्यार से कहा.”आंटी आज आप खुद मुझ को खाना खिलाओ ना” आंटी मेरी बात सुनकर मुस्कुराई और कहने लगी “क्यों मैं खिलौ अब तुम बच्चा तो नहीं है”. मैंने लाद प्यार से अपना सर आंटी का कंधे में रख के कहा”प्लीज़ आंटी”. आंटी मुस्कुराई और कही”लो लो बाबा खिलती हूँ” मुझे आंटी के हाथ से खाना अच्छा लग रहा था और खाना अभी टेस्टी. मैं बार बार आंटी की उंगली चूसता था जैसे की उनकी निप्पल या दाना चूसी हो. आंटी को भी शायद ऐसा एहसास हो चुका था. आंटी हल्का मुस्करा रही थी. और मैं उनकी उंगली चूसते चूसते खाना अभी कहा रहा था.
मैंने उनकी उंगली चूसना कुछ ज्यादा ही कर दिया था. आंटी आख़िर में कहने लगी”तूने आंटी की हर अंगा चूसा है क्या मिलता है इसे तरह से तुझे” मैंने बिन सोचे बोला”आप को क्या मालूम कवि चुस्ती तो पता होता कितना मजा आता है” मेरा मतलब आंटी को लंड चूसने का तो नहीं था बस इसे ही बोलता लेकिन मतलब तो यही निकल गया. आंटी अभी यही समझी. आंटी सरारती से मुझे गली देते बोली “धत्त अपनी आंटी को चूसने के लिए उकसा रहा है”. मैं हंसते बोला”मेरा मतलब वो चूसने का तो नहीं था आंटी ” आंटी ने झूठी नखरे से कहा”मैं जानती हूँ जग्गू अभी अभी से तू मेरी मुंह में कुछ ज्यादा ही झक रहा था. तुम मर्द लोगों के पाश चूसने के लिए और कुछ है क्या की वो नहीं बोलता है..उतनी गाँधी जगा,जग्गू तुम्हारा बाप अभी इसे बातें करने में मुझे जोड़ लगते लेकिन मुझसे यह काम कवि नहीं होगा”. मुझे लंड चूसा के बारेमा इतना मालूम नहीं था लेकिन आंटी की बात से पता चला औरत अभी मर्द के लंड चूसते है. आव मेरा नज़र आंटी की लाल ओत और मुंह में घूमने लगा. वो तेरी वो हंसी तेरी वो मुस्कुराहट तेरी वो लिप्स और वोा मेरे लंड हे भगवान मेरा लंड सीधा खड़ा हो गया. आंटी मुझसे बातें कर रही थी लेकिन मेरे ध्यान उस मुंह के आवाज़ से नहीं उस मुंह की रूप में लग रहा था.
खाना खनेके बाद मेरे ध्यान में यही आने लगा की अपना लंड कैसे आंटी की मुंह तक पहुचौ. आंटी की मुंह में लंड लगाने की सोच से ही मैं बहुत उत्तेजित होने लगा. कैसा अजीब बात है. सुबह आंटी की गांड मेरे जान ले रही थी अब आंटी की मुंह. बर्तन साफ करके आंटी भी कमरे में आई. हमें दुनिया से कुछ लेना देना नहीं था.आंटी भी मेरे साथ बेड में आई हम कुछ बातें करने लगे.
हम पति पत्नी के तरह बिस्तर में बातें करने लगे. आंटी भी आज मूंड़ में थी शायद उनको किचन में ही मेरा लंड ने अंदर चस्का दे चुका था. जाव औरत लंड की प्यासी हो तो नखरे बहुत करती है आज आंटी अभी इसे कर रही थी. आंटी बोलने लगी की मैं उनकी झूठी बड़ाई करता हूँ. वो बोलने लगी वो अब बूढ़ी हो चुकी है और उतनी खूबसूरत भी नहीं है जितना मैं बोलता हूँ. मैंने उनकी मुंह में उंगली रख के बोलना शुरू किया. ” क्या आंटी आप कुछ अभी बोलती हो. आप अभी 40 उमर की अभी नहीं हुई हो! आप फिर अभी बस 25 साल की ही दिख थी हो. सच बोलू तो कोई जवान लड़की अभी आप को देख के जलती है.” आंटी नखरे करते बोलने लगी जैसे की मैं उनका पति हूँ.”तुम कुछ भी बोले जा रहे हो. क्या मैं मोटी नहीं हूँ. उमर का हिसाब से मेरा पेट अभी कुछ ज्यादा ही नहीं दिख रहा है” मैंने बीच में बोला”सच आंटी आप की पेट बहुत सुंदर दिखता है. आप का मोटापन आप को अच्छा दिख रहा है. आप की मोटी पेट बीच के दूनी जान लेता है आंटी. सदीसूधा औरत की ख़ासिएट यही है” मैंने उनकी गांड और चूची को छूते बोला”इसे होती है असली औरत का चीज़” आंटी को अभी मालूम था मैं उनकी इन चीज़ों से आकर्षित हूँ उन्होंने मुस्कुराते कहा” बेटा एक बार सच बोल तुझे मेरी क्या सब से अच्छी लगती है”
मैं बोलने लगा”आप की सब चीज़ पसंद आता है लेकिन अगर आप किसी एक को बोलने के लिए बोलती है तो..” मैंने अपना उंगली से उनकी लिप्स को छूते सुस्त से कहा”आप की लिप्स कामाल की है आंटी” आंटी ने अपना नज़र फिरते कहा”सुबह से मेरे मुंह के पीछे पड़ रहा है. मैं जानती हूँ पहले तू बड़ाई करता है बाद में…” मैं उत्साहित हुआ शायद मतलब यही था पहले जिसकी बड़ाई बाद में उसकी ही चुदाई..मैं पूछने लगा “बाद में क्या आंटी?” आंटी ने सरारती से बोला”देखो कैसा भोला बन रहा है जैसे कुछ भी मालूम नहीं हो.लेकिन मैं ऐसा नहीं करूँगी”
आंटी की बात सुनकर मैं उत्तेजित और उत्साहित हो गया और मुझे और हिम्मत मिली. बिन बोले आंटी सबकुछ समझ चुकी थी”क्यों आंटी एक बार बस पप्पी डाल दो ना” आंटी ने नज़र दूसरी तरफ करते कहा”पहले पप्पी बाद में झप्पी फिर..तू छोटे से ही ऐसा था थोड़ा थोड़ा करके पूरा लिए बिना तेरी जिद पूरी नहीं होती थी.” मुझे अब जोश आया. आंटी का झुट्टी नखरे मुझे और उत्तेजित कर रहा था. मेरा लंड अभी आंटी की इसे हरकत को सुबह संकेत मनके से सर हिला रहा था और मेरी आंख उनकी लाल लिप्स में ही टीके हुए थे. ऐसा लग्रहता उनकी लिप्स को मेरा आंख नहीं लंड दिख रहा हो. कुछ भी बोलने के लिए आंटी मुंह खोलती तो लंड ऐसा सर हिलता था की उसके लिए जैसे की यह उसके लिए अंदर जानेका अवसर है.
मैं अभी उसी आंटी का बेटा था उनको खुश करना मुझे अभी मालूम था. मैंने उनके गाल में मुंह से चूमते कहा”प्लीज़ आंटी आप जो अभी कहोगी मानूँगा बस एक बार वोा अपनी मुंह से चूम दो” आंटी ने बड़ी बड़ी नज़ारो से मुझे दिखते कहा “मेरी पास ऐसा कोई बात ही नहीं है जग्गू को कहने के लिए मानने के लिए,जिद मत कर बेटा वही डाल रहा है वही बात बड़ी है.” मेरा लंड ऐसा ही खड़ा हो रहा था और आंटी ने अभी मेरा कचछाद खोल के वोा हाथ डालकर हिलने लगी.
मैंने बोला “क्यों आंटी आप को क्या परिसनी है चूमने को?” आंटी ने झुटे घुस्से दिखाते कही”तुमको क्या जरूरत है उसको मेरी मुंह में लगाने को..ओह जगा बहुत गाँधी है जग्गू.” मैंने आंटी की बात समझ लिया फिर अभी मैंने उनसे कहा. “मैंने तो आप की चूमा अभी है और चूसा अभी है, मुझे तो ऐसा नालागा सच बातों तो मुझे आपकी वो…छू….चुत..बिलकुल गाँधी नहीं लगी. उसकी खुशबू उसकी स्वाद मुझे बहुत अच्छी लगी आंटी. क्या पता आप को अभी मेरा ऐसा लगे”
आंटी शर्म से लाल हो गयी उन्होंने अपने आंख भौ को ऊपर करके मुझे मुस्कुराते झूठी घुस्सी से कहा” मैंने थोड़ी काहिति तुझे वोा मुंह लगाने के लिए तूने खुद लगालिया.मैं तो मना कर रही थी. यह तो बहुत गाँधी होती है. मैं मुंह नहीं लागासकती जग्गू” मैंने हंसते कहा”ज्यादा निर्दोष मत बानिए आंटी आप ने मजा लिया था…आप अभी एक बार कोशिश करो ना आंटी क्या पता आप को बचपन की याद आए” मैंने आंटी को चोदते कहा. आंटी आसामझ में पड़ी”कैसे बचपन की याद आती है वोा मुंह लगाने से” मैंने हंसते कहा”आप ने बचपन में लोलीपोप नहीं खाई है क्या?” इसे बात पर आंटी की मुंह खुली का खुली हो गयी और झुटे घुस्से से कहने लगी”जग्गू तुम बहुत बदमाश हो गया है मैं किसी अभी हालत में तेरी नहीं चुसूउंगी”
मैं निराश हो गया फिर अभी दिल ही दिल सोच रहा था एक ना एक दिन आंटी अपने बेटे को जरूर खुश करेगी. मैंने अपना करवट बदलते कहा”ठीक है आंटी ऐसा है तो मैं क्या कर सकता हूँ? आप मेरी आंटी हो आप की तो सुनना ही पड़ेगा. चलिए फिर हम सो जाते है.” आंटी ने मेरे लंड को एकबार कसके पकड़ के कहा”बेटा तू क्यों निराश हो रहा है. मेरे पास और कुछ है तेरे को चौकाने के लिए.” मैं सोच में पड़ गया. आंटी क्या कहने वाली थी मुझे अंदाज करना मुश्किल हो गया. आंटी फिर बोलने लगी”तेरे बाप अभी इसे चीज़ पे मरते थे.उनको ऐसा करना बहुत पसंद था. मुझे मालूम है तुमको अभी जरूर अच्छा लगेगा. लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरी बात मानने पड़ेगी” मैं कुछ अंदाज नहीं कर पा रहा था. आंटी के पाश क्या है!! शायद आंटी गांड की बात तो नहीं कर रही है. मैं तो और निराश हुआ यह सोचकर की आंटी की गांड अभी कुँवारी नहीं है ! लेकिन आंटी ने फिर कहा”क्या सोच रहा है जग्गू?” मैंने और निराश होते कहा “मुझे मालूम है आंटी आप किस चीज़ के बारे में बात कर रही है” आंटी अभी आसामझ में पड़ी “तुझे कैसे मालूम?” मैंने फिर कहा”किसी को अभी पता है आप की पिछवादी बहुत अच्छी है” इसे बात पे आंटी इसे हंसी उनकी हंसी रुकी ही नहीं और बहुत मुश्किल से कही”जग्गू…. तू नालयक है कितनी गाँधी सोचता है..तू कितना नालयक है ..है राम….” फिर हँसने लगी. मेरा मान में सकूँ और शांति मिला. मैं बहुत खुश हुआ. क्यों की मैंने जान लिया आंटी की गांड वर्जिन है. आव मैं के मोड़ में आया और सोचने लगा आख़िर आंटी अपने पाश क्या चीज़ है बोल रही है चुदाई के लिए..
मैंने उत्साह से कहा”आंटी जल्दी बोलो ना क्या है आप के पाश? मैं जरूर आप की जो अभी बात हो मानूँगा मानूँगा.” आंटी ने हंसते कहा”ज्यादा जल्दबाजी होना सही नहीं है हमारे पाश समय बहुत है. पहले तू आंख बंद कर” मैंने समझ लिया आंटी अब क्या है बोलने वाली नहीं थी बल्कि करने वाली थी.
मैंने अपने रूमाल से आंख बंद किया. मुझे बाद में खेद लगा मैंने सच में गाड़ा रंग की मोटी रूमाल से अपना आंख बंद किया था. सामने बिलकुल आधेरा दिखने लगा. लंड में हुई आंटी की स्पर्शा आंटी की हाथ है बोलकर पता करना अभी मुझे मुश्किल हो रहा था. उनकी चुदी की आवाज़ और उनकी उंगली का संकेत से मैं समझ रहा था आंटी मेरे लंड में मूठ मरनेवाली है. यह अजीब बात होरहता. इसे तरीके से आंटी की मूठ मराई से अभी मैं पूरा जोश में आया था और लंड पूरा खड़े हो चुका था. मैंने आंटी से कहा”आंटी आप तो बस मूठ ही मर दे रही हो.आप मुझे धोका डर रही हो क्या?” आंटी ने हंसते कहा”कितना नालयक है तू देखो कुछ सब्र नहीं है” आंटी ने कुछ पल मूठ मारना अभी बंद किया.
आव मुझे अजीब लगा. मेरा लंड ने चिकनी त्वचा का महसूस किया. यह क्या था! आंटी की चुत तो झट से भारी हुई है. लेकिन यह तो बिलकुल चिकनी है. आंटी ने मुझे फिर कहा”जग्गू तुम अपना हाथ से मुझे च्छुना अभी मत जब मैं बोलूँगी तब च्छुना” आंटी की आवाज़ कुछ नीचे से आ रहा था. क्या यह आंटी की मुंह होगा!आंटी की लाल लिप्स और वो खूबसूरत जुबान को सोचतेही मेरा लंड से और खड़ा हुआ. लंड अंदर गया. यह क्या था लंड में आप से आप दबाव बाद रहा था. लंड काश गया था. मुंह अगर होती तो मुझे जुबान और थूक की एहसास होना चाहिएता.यह मुंह अभी नहीं है. आंटी ने खुद अभी कहा है उनको मुंह में लंड लेना गंधा लगता है. आख़िर यह क्या था. मैंने खुद लंड को थोड़ा आगे पीछे करके मालूम करने का कोशिश किया लेकिन ओह गोद यह अनोखा था. इतनी मुलायम क्या होगा मुझे बहुत मजा आ गया मैंने इसी तरीके से चोदना शुरू किया. यह गांड अभी नहीं हो सकती है. आंटी की गांड कुँवारी है इतनी आसान नहीं है गांड की अंदर जाना. उनकी बात से अभी पता चल रहा था वो मुझ से गांड अभी अभी नहीं छुड़ाने वाली थी. यह बहुत मुलायम और स्वचालित लग रहा था. यह अद्ऊत था मजेदार था.
आख़िर क्या होसकता है. जीवन में पहेली बार मुझे एहसास हुआ महिलाओं के पास चुदाई के लिए तीन छेद होती है एक चुत की दो गांड की और तीसरा यह जहां मैं पहेली बार चोद रहा था.
अगर आप के सामने फल है तो आप को उसका पेड़ से क्या लेना देना. इसके बारे में ज्यादा सोचना से अच्छा इससे मिली अनोखा मजा लेना ही मेरे लिए बेहेतर था उसपल. मैंने बोला” आस! माँ..आप कमाल की हो…क्या..है आप की यह?”
मैं लंड को थोड़ा थोड़ा और पेल रहा था. बहुत मुलायम और मजेदार रास्ता में लंड जा रहा था. ऐसा मजा मुझे पहले कवि नहीं आया हो. मैंने उसकी गहेराई लेने के लिए लंड को और अंदर अंदर पेलने लगा. अजीब बात था मैं जितना पेलता था आंटी की चुदी की आवाज़ भी धक्के के साथ सुनाइडने लगती थी. और दूसरा अजीब बात, मेरा लंड का कॅप आगे कुछ महसूस नहीं कर पा रहा था. यह गजब था. मैंने सोच ही लिया इसिको जोड़ जोड़ से चोदूंगा और इसकी डेस्टिनेशन अभी मालूम करूँगा. मैंने एक जोड़का झड़का दे दिया. मेरा लंड एकदम से उप्पर आया और ऊपर टकराया.उसके साथ में ही चुदी टूटने की आवाज़ आई और आंटी की मुंह से “ओई आंटी”अभी आवाज़ आया. साथ में मुझे जो छेद जैसा रास्ता मिल रहा था ओह अभी गएब हुआ. मैना हैरान हुआ शायद मैंने ज्यादा ही जोड़ का झटका डियता. और आंटी से पूछने लगा” क्या हुआ आंटी? आंटी ने बोलने लगी”इतना झड़का क्यों लगाया यह थोड़ी छू…त थी ?” मैं बोलने लगा”फिर क्या थी?” आंटी ने हंसते हुए नखरे से कहा ” इतना अभी अंदाज नहीं कर पाया लंड..द को तो खूब मजे से पेले ही जा रहा था.. खुद देख लो आव इतना सब कुछ तो कर ही लिया.” मैंने आंटी की बात सुंतेही से आंख की पट्टी हटाया और वो सीक्रेट की चीज़ देखने लगा. मैं कितना बेबकुफ़ था, मैं अभी अभी समझ नहीं परहता की मैंने कहा चोदता.
आंटी अपनी जुल्फे को एक कातहा कर रही थी. मैंने पूछा”यह क्या आंटी मैंने आप की क्या मेरा मतलब मैंने कहा डालता?” आंटी ने हंसते कहा “चल एक बार आंखें खोल के देख ले मेरा लाल.लेकिन धीरे धीरे से”
मैं हैरान हुआ. यह नहीं कोई चुत थी नहीं कोई गांड और नहीं मुंह. मेरी इतनी क्लॅसिक आंटी इतनी कमाल की है मैंने सोचा अभी नहीं था. उन्होंने अपनी दोनों चूची को अपनी दोनों हाथ से कसके पकड़ा था और मेरी लंड को नीचे से अंदर रास्ता डियता.चूची में हाथ की दबाव से लंड को टाइट रास्ता मिल रहा था चोदने के लिए. यह कोई छेद नहीं थी लेकिन छेद से अभी कमाल थी और छेद की महसूस देती थी. हे भगवान चूची में अभी छुड़ा जा सकता है और इसमें इतने मजा मिलता है मैंने कवि नहीं सोचा था. सच बात थी चूची की चुदाई चुत से अभी लाजवफ हुई. आंटी मुझ से सीनियर है वो सबकुछ जानती है.मैं बहुत किस्मत वाला हूँ. मैंने आंटी की चूची में चोदते कहा. “अगर अंकल को अपने अपनी चुत से पहले इधर चोदने को कहा होता तो शायद मेरा जन्म कवि नहीं होता.” आंटी शर्म से लाल होते मुझे गली देते बोली”धत्त बेशरम कहिका मैं कहा बोलती तेरे अंकल ही थे मुझे जोड़ करने वाली.” मैंने उनकी चूची में चोदते कहा”आंटी आप लाजवफ हो अपने बेटे को खुश कर दिया” उनकी मुलायम चूची में चोदना जितना मजा था उतना मजा शायद किसकी चुत में अभी नाहो. मेरा लंड चूची के बीच में घिसते ऊपर तक जाता था और मैं लंड को कॅप को आंटी की मुंह तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था. मैंने आंटी को नीचे करते कहा”आंटी आज मैं आप की चूची में ही चोदूंगा”. आंटी ने अभी मेरे सहायता किया. मैंने आंटी को हाथ हतड़िया और खुद चूची को पकड़लिया. और फिर चूची की बीच में चोदने लगा. आंटी ने सर को दया तरफ मोड़ लिया. मुझे उनकी चूची चोदते हुए उनकी चहेरा देखना बहुत अच्छा लग रहा था.”आंटी सीधे देखो ना.आप बहुत खूबसूरत हो” आंटी ने सीधे मेरी तरफ देखते कहा”सम्हालके करना जग्गू तुझे अंत का पता होना चाहिए”.
चूची के बीच में मेरा लंड ने हल्का पानी निकल निकल कर रास्ता गीला कर दिया था और चोदने में काफी मजा आरहता. आंटी अभी मेरे हाथ के ऊपर अपनी हाथ रखा कर चूची में दबाव देते हुए मेरी लंड को काश रही थी. आंटी की माथे की लाल बिंदी बड़ी बड़ी आंख और लंड की करीब ही उनकी लाल लिप्स वाली मुंह देखे के मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ. मैंने और जोड़ जोड़ से धक्का दिया. अगर आप ज्यादा मजे में खोते होठों आप बस्ताबिक्ता से गायब होते हो. बस्ताबिक्ता यही था आंटी नहीं चाहती थी मैं उनकी चेहरे में लंड की पानी की बर्षट कर दम.उन्होंने मुझे होसीयारी अभी किया था.
यह अनोखा एहसास मुझे होरहता. मैं लंड को हटाना चाहा रहता लेकिन मेरी अंतर्मन तो यही चाह रहता की मैं अपनी पूरी पानी होसके तो उनकी मुंह में दलदु. यह कमाल की सोच आ रहा था,जैसे की मैं पागल हो गया हूँ. उनकी मुंह में पानी गिरने का शोक मुझे क्यों आया पता नहीं लेकिन मुझे यह बात बहुत अच्छा लग रहा था. आख़िर अंतरात्मा मुझमें हबी हो गया. आंटी अभी शायद अंदाज कर रही थी”जग्गू हटाओ वॉहासे..” लेकिन लंड का कान कहा था. लंड ने पिचकारी चला दिया. आंटी ने जल्दी से आंख बंद करली और चिल्लाई ओऊओ… पानी पूरी उनके माथे से लेकर उनकी नाक तक आई. उनकी चिल्लाने से उनकी मुंह खुली हो गया. उनकी खुली मुंह देखकर क्या होश आया पता नहीं मारा लंड ने तो फिर से दूसरा पिचकारी चालदिया और यह तो ठीक आंटी की मुंह तक पहुंचा. मुझे गलती महसूस होरहता लेकिन इतना संतुष्टि कवि नहीं मिला. मेरा मुंह से”आहहहहा ” करके आवाज़ आया. और अपनी गलती को एहसास करते कहा”आस..सॉरी आंटी…” आंटी की चहेरा में अपनी लंड की पानी देख के मुझे बहुत शर्म अभी आया और अंतर आत्मा बहुत खुश ही हुआ. आख़िरकार लंड ने बदला लिया. उनकी वही मुंह ने लंड को गंधा होता है बोलकने मुंह में लेना इनकार कर दिया था और आज ही उसी लंड ने अपना जल उनकी मुंह में चड़ा के यही साबित कर दिया की उनकी मुंह इसीका लायक है. आंटी ने जल्दी से अपनी पेटीकोट से अपनी मुंह को ढक लिया. और मुंह पूछने लगी.मुझे तो न जाने क्यों आंटी की पानी वाली चहेरा है देखने को दिल होरहता.कुछ पल ही सही उनका पानी लगी हुई चहेरा देख के मेरा मान तृप्त हुवता.
मैं उतना स्वार्थी नहीं था. मैं समजता हूँ आंटी ने मुझे खुश करने के लिए आज अपनी चूची में मुझे लंड डालने की अवसर डियति. मेरा अभी फर्ज़ बनता था मैं अभी आंटी को खुश करूं. आंटी पहले से ही नंगी थी. मैंने उनको किस करना शुरू कर दिया. जाव अभी मैं आंटी को किस करता मेरा ध्यान हमेशा उनकी लिप्स और जुबान में होता था. मुझे आंटी की महक बहुत पसंद आया. खासकर वो महक जो उनकी कांख से आती है. उनकी कांख बहुत सुंदर है. आज मैंने वोा अभी चाट लिया. बहुत अच्छी महक था जितना सुघु उतना सुघने का दिल हो जा रहा था. आंटी ने धीमी से कहा”जग्गू आज सुबह तेरी मौसी का कॉल आयता.” मैंने उनकी कांख सुघते वोा चूमा. मुझे मौसी से कोई लेना देना नहीं था. आंटी फिर आहें भरते बोलने लगी”उसने तुमको याद किया था.” मैंने उनको कहा”चोदा आंटी उनको फिर खुजली हुई होगी” मैंने मज़ाक में कहा. शायद सच में मौसी को खुजली हुवीति. आंटी ने कहा”वो फिर कल आ रही है मुझे मालूम है उसका नज़र तेरे में पड़ी है” आंटी ने घुस्से से कहा”रांड़ कही की दीदी के बेटे से चोदने थोड़ी सी शर्म अभी नहीं आई उसको” मुझे अंदर हंसी लगा. आंटी मौसी से जलने लगी थी.
मैंने उनकी निप्पल को चाटते कहा”चोदने दे दो आंटी जबतक अंकल नहीं आएँगे उनकी ख्याल अभी तो होना चाहिए” आंटी ने कहा”हां तुझे अभी नयी नयी क्या बोल रहा था माल मिल रही है इसलिए” मैंने हंसते कहा”मेरे लिए तो आप की माल काफी है” मैं धीरे धीरे आंटी की दूनी को चाटते उनकी चुत में चूमा लेने लगा. आंटी अब बातें करना उल गयी थी. जब मैंने उनकी दाना को निप्पल के तरह चूसना लगा तो उनकी बातें अब उनकी आहें में बदल गया था. मैं आंटी की चुत में अभी मुंह की तरह किस कर रहा था. आज मेरा आंख बार बार उनकी गांड की तरफ जा रहा था.
मुझे उनकी गांड बहुत पसंद है. यह वही गांड है जिसको देखकर लालच में आंटी को मैं पिच्छेसे घूरता रहता था. उनकी चलने पर इसकी लचकता इसकी मादकता मुझे बहुत रगड़ती. मैंने एक बार नज़र अच्छी तरह से लगाना चाहा. मैंने आंटी को दो पैर को मस्त खुलाया. मैं आंटी की गांड की वो झलक देखना चाहा रहता जिसको मैंने अवीटक देखा नहीं था. आंटी की गांड काफी मोटी थी. उनकी गांड की सुराख इतनी आसान से नहीं दिखने वाली थी. मैंने उनकी घूंते में दो हाथ लगाकर उनकी गांड को ऊपर करने पे दवाद दिया. जाव गांड कुछ दिखने लगा तो मैंने अपना दोनों घूँट को उनकी फरी हुई दो पर की घूँट के बीच में सपोर्ट दिया ताकि वो विषन मैं थोड़ी देर और देख सुकून.
यह नज़राना कमाल का था. आंटी की काली झांट से भारी चुत और नीचे उनकी गांड की सुराख इतना खूबसूरत नज़राना मैंने कवि नहीं देखा होगा. आंटी को शर्म आई रही थी. उनको पता हो चुका था बेटा क्या देख रहा है. आंटी ने अपने पर को नीचे करने की कोशिश करने लगी. मैंने आंटी के गांड दिखते लंबी सांसें से कहा”आंटी आप दुनिया में सबसे खूबसूरत औरत हो”. यह मेरी पुरानी आदत थी. आंटी कुछ कहे नहीं पा रही थी. मैंने अपने मुंह फिर उनके चुत पर लगाया. उनकी दाना को दाँत से दबाते कही बार चूसा. आंटी की चुत पूरी रसीली हो चुकी थी. लेकिन अभी अभी आंटी की गांड मुझे मोहित कर रहा था जिसकी वजह से मैं खुद को रोक नहीं परहता. आप अभी यह बात जानते है. जाव हमें नये चीज़ मिलती है हम उसे च्छुएँगे सुघेगे स्वाद लेंगे और जरूर उसकी इस्तेमाल करेंगे. बात बहुत ठरकी और गंधा था लेकिन मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लगा. मुझे तो और जोश आ रहा था.
मैंने आंटी की गांड को सुघना शुरू कर दिया. आंटी को शर्म लगा या क्या हुआ मालूम नहीं. उन्होंने मेरे सर को धक्का मरते कहा”जग्गू वोा मत करो” आंटी मुझे उनकी गांड की सुराख से दूर करना चाह रही थी. दोस्तों ऐसा मैंने जीवन में कवि अभी नहीं सोचा था की मैं किसका गांड सुघूँगा शायद यह तो घटिया सजा थी मेरे लिए. लेकिन आज मैं खुद अपनी मर्जी से आंटी की गांड सुघ रहा था. ऐसा मैंने कवि नहीं सोचता मुझे उनकी गांड सुघना बहुत अच्छा लग रहा था और उसकी गंध मुझे किसी सुगंधित महक की तरह लगा. अजीब सा महक था पुरानी परफ्यूम की तरह और कड़क खुशबू. मेरी बस चले तो मैं वोा अपनी नाक गादू. मैं पूरा हवस में उतार चुका था. मेरी मुंह में पानी आ रहा था. जैसे की मेरी नाक ने कोई स्वादिला भोजन का खुशबू लिया हो.
मैंने उनकी हाथ हठते अपना मुंह वही लगाड़िया. आंटी की शरीर पूरा काँप गयी. वो चिल्लाने लगी ” उूओा…..जा..ग्गू..वोा..नहीं भी…था..उउंम..ना..ही..वो ..गंधा है..ओवववव. वो..आ ..अँहि ..ना..उम्म.”. मैंने धीमी से इतना कहा” बहुत अच्छा लग रहा है आंटी… आप कमाल की हो आंटी.” आंटी अभी जाँचुकी थी मैं रोकने वाला नहीं हूँ. और मैं अभी जाँचुका था आंटी की आवाज़ में रौनक था. शायद उनको ऐसा एहसास पहले कवि नहीं हुआ था और उनको अभी अच्छा लगे हो.मैंने वोा शुरूवात एक जोददार चुंबन से किया.आंटी की शरीर ने अभी पॉज़िटिव रेस्पोने दे दिया. उनका गांड एकबार ऊपर की और खुद ही खुद बड़ा. लेकिन आंटी मुंह से और कुछ बोल रही थी वो अभी मुश्किल से जैसे की उनको अच्छी नालागी हो. मेरे लिए आंटी की गांड उनकी चुत से अभी ज्यादा पबीतरा था कारण यही था आजतक उनकी गांड किसी के हाथ नयी आईति.
यह नज़राना साँस रोकने वाला था. आंटी की गोरी मोटी गांड की एक छोटी सी सुराख में मैं उंगली घुसा रहा था और उनका चुत में चुंबन कर रहा था शायद फ्रेंच चुंबन ऐसा होता होगा लेकिन चुत में अलग मजा था. आंटी की चुत भीग चुकी थी. मुझे आंटी की चुत से निकली हुई पानी चाटने में बहुत अच्छा लग रहा था. ऐसा लगता मैं ये पानी पीने के लिए आंटी की चुत को छेद रहा हूँ.आंटी की टाँगे जोड़ जोड़ से हिल रहे थे. उनकी पायल झाँक की आवाज़ अभी सख्त आने लगा. मैंने फिर उनकी दाना को दोनों लिप्स में लेकर चूस चुस्के छेड़ने लगा. आंटी चिल्लाने लगी.”जा…ग्गू..यह क्या कर ..रहा..हे?..यू…में”
आंटी क्या बोल रही थी समझना मुश्किल था लेकिन उनकी गांड पूरा ऊपर उछल्लके मेरी मुंह में ऐसा आरहता की मुझे अभी लगने लगा आंटी की चुत को मेरी मुंह की सख्त जरूरत हो. मैंने उनकी गांड में उंगली करना कायम रखा. विश्वास नहीं होता मेरा लंड एकदम सीधा खड़ा हो चुका था.मैंने जीवन में कवि नहीं सोचा था इतने जल्द ही मैं आंटी की चुत और गांड को इसे तरह से हासिल का सकूँगा. आंटी आप बहुत अच्छी हो दुनिया में आप जैसी आंटी कोई नहीं होगा. मैं लंड को पकड़ के आंटी की टाँगे बीच आ गया.
आप के आगे दो सीकर है और आप के पाश एक गुण मेरा मतलब एक गोली है तो आप किसको सीकर चुनते है. वो सीकर में निभर करता है. आप जरूर पुरानी सीकर से बेहेतर नयी सीकर को ही गुण मारना चाहेंगे. मैंने अभी वही सोचा.
यह बिलकुल पहला बार था. मैं लंड को आंटी की गांड के तरफ ले जा रही था. मेरा बदन में पूरा गुदगुदी सा करेंट लग रहा था. और लंड भूखे शेयर के तरह मंडी हिला रहा था. मैं आंटी को देखने लगा. आंटी अपनी चेहरे को हाथ से छुपा रही थी. मुझे इसका मतलब समझना मुश्किल हो गया. इसे कंडीशन में मुझे यह सब के लिए समय कहा था. मैंने धीरे से आंटी की सुराख में अपना लंड की मंडी को जोड़ लिया. आंटी सिसक उठी. और कहने लगी”जग्गू वोा नहीं बेटा…नहीं होगी वोा…” आंटी की कमर उछल रहा था. आंटी की मुंह की आवाज़ और उनकी शरीर का मतलब बिलकुल अलग था.
मेरा उत्तेजना मेरा सर्तक चढ़ चुका था. मेरा लंड कोई मामूली चीज़ को नहीं छू रहा था. यह आंटी की वही गांड की सुराख में था जिसका में बहुत पहले से दीवाना था.
मैंने लंड की मंडी को उनकी गांड की सुराख में दबाव डालने लगा. आंटी बोलने लगी”नहीं बेटा..प्लीज़ वोा मत कर…यह जगा इसके लिए नहीं है..प्लीज़ बेटा नहीं कर” आंटी की सांसें भारी हो रही थी. मेरा लंड का मूंद उनकी गांड की छेद में जोड़ चुका था. मैं खुद को कैसे रोक सकता. शायद आंटी अपनी कसम देती अभी इसे पल मुझे रुकना मुश्किल पड़ता था. मैंने उनकी टाँगे को और फिलके कहा”बस आंटी एकबार अंदर करने दो” मैंने एक झटका लगाड़ियाया. आंटी चिल्लाई”आउच…यू…जग्गू..नहीं ..बेटा..नहीं …होगा”. मैं पागल था एक उंगली अभी मुश्किल से ले रही मेरी आंटी की गांड भला उतना बड़ा लंड को कैसे झेल पति. चुत की बात तो अलग था. मेरा लंड का झटका ने आंटी को हिलाड़िया लेकिन गांड में अपना जगा बना नहीं पाया.
इसे पल मैंने यही सोचा स्वर्गा का रास्ता सच में आसान नहीं है.
मेरा कोशिश असफल होने लगा. मेरे लंड में अभी दर्द हो गया. मैंने आंटी की दोनों घूँट के अंदर हाथ लगाकर उनको तंग साइड से उठाया और फिर कोशिश किया. आंटी को अभी शायद गांड में लंड के ठुमके से अब ज्यादा दर्द हो चुकी थी आंटी चिल्लाने लगी” नहीं जग्गू..नहीं..जाएगा..तुम,…बेटा वोा से हतले.” मैंने और एक झटका मारकर आंटी की गाल में चूमते कहा”आंटी मुझे वोा बस एकबार घुसना है. मैं पेल रहा था. लेकिन यह बच्चोवाली हाथ था. आंटी ने मेरे बाल को सहलाते मेरी गाल में हल्की चूमते कहा”वोा नहीं होगा बेटा..कैसे जाएगा वोा? उतना बड़ा!” मैंने आंटी को किस करना शुरू किया. मुझे आंटी समझा रही थी. मैं हर गया और लंड को कुछ देर उनके चुत के ऊपर घिसते घिसते उनको चुंबन करने लगे. आंटी आहें भर भर के मेरा साथ डर रही थी.
“जग्गू अब पेलडे बेटा आंटी की चुत में. मुझे बर्दाश्त नहीं हो रही है.” आंटी बेबस होकर बोल रही थी. मैं उनकी दाने में लंड घिस रहा था. वो आनन्दी से बड़बड़ा रही थी. अब मेरा लंड अभी अंदर घुसने का मूंड़ में था. मैंने पेल दिया. मेरा लंड उनकी गांड में च्छूनेसए ही टपक रहा था और पूरा जोश के साथ खड़ा था. उनके चुत के अंदर जातेही उसने जोड़ से चोदना शुरू किया.
मैंने दो हाथ से उनकी चूची दबाया और उनकी गाल मुंह नाक कान हर तरफ चूमने लगा. मैंने उनको धक्का देते कहने लगा”आंटी आप की गांड मस्त है.” आंटी आहें भर के अपना सर मोड़ने लगी. मैंने फिर कहा”आंटी क्या सच में गांड में नहीं जाता है” आंटी ने आहें भरते कहा”उम्म…यू,,में…पहले..छू..त..मर..ले ..बेटा.” मैंने उन्हें ढीला लेकिन जोड़ जोड़ से झड़का देते कहा”वो तो चोद रहा हूँ..हां..हां…हां..क्या..आप..की..हां..हां…गांड सॅक..हमूच..ले नयी पाएगी आंटी..” आंटी ने अपने गांड उछलते कहा.”उम्म्म….तेरे लिए …मैं..कुछ अभी करूँगी …बेटा…वक्त ..आने पा..आर….गा..अँड..तुम …तुम….मारावौनगी…” आंटी की मुंह से यह सुनकर मुझे बहुत जोश आ गया और मैंने उनकी चुत में झड़का तेज कर दिया
मैं आंटी को इसे तरह चोद रहा था आंटी सांसें अभी मुश्किल से ले पा रही थी और उनकी आहें अभी पूरी टैकसे निकल नहीं पे. बेड में पूरा कंपन हो रहा था. मैं बोलते ही जा रही था”आंटी आप सचमुच बहुत अच्छी हो” जाव अभी आंटी की चुत में मेरा लंड होता. मुझे आंटी का बहुत प्यार लगता था लेकिन फिर अभी बहेरेमी से चोदता था.
क्या अपने बुझने वाली केंडल की प्रकाश देखा है? मेरा तेज उससे अभी ज्यादा था. मैंने निकलते निकलते दो सदका ऐसा मारा. आंटी ने अभी अपने नाखून से मेरा पिच्छवादी में दर्द दिया. उन्होंने मुझे ऐसा जगदलिया मेरा लंड अभी उनकी चुत की अंदर मॅगनेट के तरह चिपक गया. आंटी की बदन कांप रही थी. मेरा लंड को उनकी चुत अपनी तरफ खिच रही थी मैं ऐसा ही रहा. आंटी ने एकबार जोड़ से गांड उछालदिया. ऐसा लग रहा था आंटी मुझे चोद रही है. ये एकदम अजीब और मजेदार था. आंटी की चुत से पानी की नादिया बहेकने का महेसुसी मेरा लंड ने किया. आंटी ने बहुत लंबी सांस निकली और अपनी बदन को ढीला चोद दी. यही मौके में मेरा लंड ने अभी एक धक्का के साथ अपना पूरा पानी निकाल दिया. यहीं नहीं होता जब मैंने खड़े होकर आंटी की चुत देखा तो उसकी बाहर बहेकि हुई पानी की धारा देख के में शॉक्ड हो गया. यह नदी के गति में उनकी चुत से बहेते उनकी गांड और नीचे बेडशीट तक आरहता. पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.
मैंने आंटी की चेहरे देखा. वो बहुत खूबसूरत दिख रही थी उनकी माथे की बिंदिया चमक रही थी. वो लंबी लंबी सांस फेंक रही थी. मुझे अभी उनके साथ सोने का दिल हुआ और उनको आलिंगन में लेते हुए मैं उनके साथ लिटा. पानी बेडशीट को खराब कर रही थी.
मैं आंटी के साथ चुदाई के बाद बहुत त्रिपता हुआ था. मेरा मान भर गया था.जीवन में ऐसा संतोष बहुत कम मिलती है. जान कमजोर पड़ रहा था और मेरी जान मेरी तरफ दिख रही थी. उनकी चेहरे में अभी संतोष का झलक दिख रहा था. ऐसा लग रहा था इसववर ने मुझे जीते हुए ही स्वर्ग दिखाड़िया. अगर आप का दिल खुश है तो आप क्या सोचते है. मैं अभी यही सोच रहा था. जीवन बहुत सुंदर है.यह दुनिया बहुत हसीना और खूबसूरत है काश मैं और हज़रौ हज़रौ साल आंटी के साथ इसीटारह जी पता था.
मैंने आंटी के तरफ देख के कहा”आंटी आप बहुत खूबसूरत हो,आप को जितना देखु उतना दिखने को दिल होता है.” आंटी हल्की से मुस्कुराई. उनकी सांसें अब नियंत्रण में आ चुका था. आंटी ने अपने हाथ से मेरे गाल को प्यार से सहएलाया. मैंने फिर कहा”आप की बेगार मैं अपना जीवन सोच अभी नहीं सकता”. आंटी ने कुछ नहीं कहा. बस थोड़ी मुस्कुराहट चेहरे में था और हाथ से मेरी गाल सहला रही थी जैसे की वो मुझे बहुत प्यार करती है. मैंने उनका हाथ को पकड़ के चूम लिया और कहने लगा”ई लव यू आंटी” यह वही ई लव यू था जो एक जवान लड़का लड़की को बोलते है. आंटी ने अपना सर को मेरा तरफ बढ़ाया और अपनी लिप्स से मेरे लिप्स को बस हल्का सा चूमते कहा”ई लव यू टू”. मैंने अभी उनको लिप्स में हल्का से चूमा यह सिलसिला कुछ देर तक चला. मुझे अजीब लगा अब हम आंटी बेटे के बीच में किस नॉर्मल हो चुका था.मुझे आंटी के ऊपर बहुत प्यार आया जैसे की वो मेरी बीवी हो. और मैंने उनको बांहों में लिया.
कुछ देर बाद आंटी की आंख बंद हुई. मैंने खुद को रोक नहीं पाया और बहुत डरटाक आंटी की चहेरा की चरोटरफ चूमता रहा. न जाने क्यों मुझे क्या हुवता आंख बदन करती हुई आंटी मुझे बहुत अच्छी लग रही थी. मेरी बारोबार चुंबन के बाद आंटी ने आंख की पलके को खोल लिया और धीरे से कहा धीमी से कहा”कल मौसी आने वाली है, मैं जानती हूँ बेटा वो किसलिए आ रही है.” मैंने आंटी को चूमना कायम ही रखा. आंटी और बोलने लगी”तुम मौसी को बहुत चाहते हो ना?” मैंने उनकी कान में दाँत से थोड़ा काटते बोला.”हां आंटी आप से बहुत कम,मौसी को मैं बस इसलिए चाहता हूँ की वो आप की बहन है.” आंटी मेरे बात से शायद खुश हो गयी फिर बोलने लगी”जग्गू तुम मेरे सामने उस दिन जाव उसको चोद रहते मुझ को बहुत बुरी लग रहा था.” आंटी कुछ कहना चाह रही थी. मैंने उनको बोला “आप बोलॉगी तो अब से दरवाजा बंद करके उनको चोदूंगा.” मैंने उनकी गर्दन में चूमना चाहा तो आंटी ने सर को मोड़ लिया.
आंटी कुछ देर बाद बोली, “मैं समझती हूँ उसकी तड़प कल उसने बिन वजह चार बाल कॉल लगाईति,जग्गू मैं चाहती हूँ तुम खुद कल मौसी के घर जाओ और अपनी काम पूरी करके जल्दी इधर लौट आओ वो इधर आएगी तो क्या पता हमारे बीच कोई गड़बड़ ना होज़ाये,इसे भी मुझे तुम दोनों को एक साथ में देखना अच्छा नहीं लगता है” आंटी को क्या मालूम आंटी जान चुकी थी उनकी दीदी अभी मुझ से चुदवाती है. आंटी की जेलासी दिख के मैं और ज्यादा आंटी को प्यार करने लगा. मैंने उनको चूमते कहा”आप की जो मर्जी आंटी.” आंटी ने अपने हाथ से मेरे छाती सहलाते कहा”लेकिन जग्गू जल्दी लौटना” मैंने उनको लिप्स में फिर चुंबन किया और कहा “मैं जल्द ही .आऊंगा”.
आप ने कवि गाँव में देखा है जाव भाएेश गये या बखरी को चुदाई जरूरी होता है तो क्या करती है हां वो कुछ ज्यादा ही आवाज़ देते रहती है. मौसी का हमारा घर में लगातार कॉल आना अभी इसे ही था. आव मेरा काम वही सांड का तरह ही था मौसी की घर में जाना उनको बुरी तरह से चोदना और फिर अपना घर में वापस आना.
हम आंटी बेटा उस दिन भर प्यार में डूबे रहे किसी नयी शादी की जोड़ी की तरह. आंटी ने खुद मौसी को कॉल किया और कहा की कल मैं उनके उधर आने वाला हूँ. मौसी ने शायद कुछ पूछी आंटी ने कहा की नहीं बस मैं अकेला ही उधर आ रहा हूँ क्यों की मैं मौसी के घर जाना चाहता हूँ और आंटी को दूसरी काम है.मौसी के लिए तो अंधे आंख ही मगेगा जैसा हुआ. मैं जब अभी मौसी के चुदाई के बारे में सोचता हूँ बहुत मजे के मूंड़ में आता हूँ. अगर आंटी और मौसी मैं मुझे किसी एक को चुनना होगा तो यह बहुत मुश्किल का काम होता था क्यों की दोनों मुझे प्यार करते है दोनों ने मेरा बचपन में ख्याल रखे है. अगर खूबसूरती की बात है तो आंटी को ही पकड़ लेता अगर जब नयी चुदाई के तरीके आजमाना है तो मेरे लिए आंटी से अभी ज्यादा मौसी आसान होती थी.
मैं अंदर ही अंदर सोच रहा था. मैं कल मौसी के साथ नयी चीज़ करूँगा. मैंने आंटी से अभी पूछा”आंटी क्या मर्द लोग सच में औरत की गांड मरते है?” आंटी मुझ को समझ रही थी?” आंटी ने मुझे साधारण से कहा”पता नहीं बेटा लेकिन कोई मर्द लोग यह अभी पसंद करते है सुनी हूँ”. मैं चुदाई की खेल में आंटी के तुलना में बहुत नया था. “आंटी क्या अंकल ने कवि आप के साथ इसकी जिकिर की?” आंटी ने हंसते कही”मैंने तुमसे पहले अभी कही थी उन्होंने कवि मेरी गांड नहीं ली.तुम्हारा बाप को सबसे पसंद लंड चूची के बीच पेलना था.अजीब इंसान थे बोलते थे चुत की जगह चूची के बीच में होना चाहिएता.” आंटी फिर हंसी और उदास हो गयी. “उन्होंने तुम्हारा जन्म के कुछ सालों बाद गांड में चोदने की बात जिकिर की थी. हलकी मैंने दवा लिईति फिर अभी बाटू बाटू में उन्होंने बोलता अगर इंसान बच्चा पैदा करना नहीं चाहे तो उन्हें अपनी पत्नी की पिछवादी लेना पड़ेगा.” आंटी की बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था हंसी अभी लग रहा था. इसे अभी आजकल मेरे लिए सेक्स सबसे पसंदित चीज़ हुवता. मैंने आंटी को पूछा”तो क्या? अगर आप ने दवा नहीं लिया होता तो वो आप की पिच्छवादी लेते?अच्छा हुआ अपने दवा लियता.”
आंटी मेरे बात सुनकर इसे ही हस्दी.वो अभी जान चुकी थी मैं उनकी गांड में अपना हक जाता रहा हूँ. आंटी ने फिर कहा”नहीं नहीं वो बस मज़ाक करते थे. सच तो वो गांड के बारे में यही बोलते थे-इंसान क्यों इतना पागल है दो इंच से अभी कम दूरी पर औरत की चोदने के लिए बनी हुई चुत होती है फिर अभी क्यों इसे गंधे जगा में लंड डालते है”. शायद अंकल अपने हिसाब से सही थे लेकिन मुझे तो आंटी की गांड में मुंह लगते कवि इसे गंधा महसूस नहीं हुआ था बल्कि बहुत अच्छा महसूस हो रहा था. मैंने आंटी से पूछा”क्या आप के ख्याल में अंकल सही थे आंटी?” आंटी ने मुस्कुराते कही”हां मैं अभी यही सोचती थी लेकिन तुमने तो वो सीमा अभी पार कर दिया” आंटी कुछ देर रुकी और कहने लगी” यकीन नहीं होता जिस जगा में बाप लंड डालने के लिए अभी गंधा कहेते थे वो जगा में उसी बाप का बेटा ने मुंह अभी मरलिया.” यह बात सुनकर मुझे बहुत सकूँ मिला.मैंने फिर पूछा”आप को कैसा लगा?”. आंटी कुछ देर रुकी फिर लंबी सांसें खिच के बोली”बेटा तेरे साथ मैंने जितना अभी चुदाई की वो हर चुदाई मुझे नयी लगती है.मैं सोच अभी नहीं सकती थी तू इसे तरह मेरे चुदाई करेगा. यह अपनी आप हुआ था. मुझे कहना ही पड़ेगा जग्गू तूने मेरे गांड की साथ जीतने अभी हरकत किए हो उसने मुझे अजीब अजीब गुदगुदी और न जाने क्या क्या एहसास दीलड़िया.” यह सुंतेही मैंने आंटी की कान में फुसफुसाया”ऐसा है तो आंटी आप सच में अपनी गांड मुझसे मरवायेगी ना?” आंटी ने अपनी दोनों हाथ से मेरे दोनों गाल पकड़कर मुझे देखा और कहा”मैं इसकी जवफ पहेली अभी दीसाकी हूँ बस मैं ही तुमको खावार दूँगी इसकी तुमको काव लेनी है.”
मैंने अभी वो जवफ पहले अभी सुनता फिर अभी आंटी के मुंह से मुझे यह बात बर्बर सुनाने को दिल होता था.मैं अभी इंतजार करूँगा काव मेरी आंटी मुझसे खुद बोलेगी की बेटा आज तुमसे अपनी आंटी को गांड मरवाना है. वो रात हमने बहुत अजीब अजीब बातें की और चुदाई अभी दो दफा की. रात में मैं यही बात पे खुश था की कल मैं मौसी को सर्प्राइज़ देने वाला हूँ उनकी पिछवादी लेकर. आंटी को पसंद आ रहा है तो उनकी बहन को अभी क्यों ना पसंद आएगा!मौसी के गांड मरने का दिन तो मैंने खुद कल ही चूनलीया.
सुबह से मैं जोश में था. आज फिर दूसरा माल चोदने के लिए मौका मिल रहा था. सुबह डेली जैसा का आंटी के चुंबन से मेरा नींद खोला. सुबह सुबह आंटी की नहाई हुई फ्रेश चहेरा से इसे भी मेरा लंड खड़ा करदेता. फिर और पेशाब के दवस से अभी लंड तो खड़ा ही था. मैंने आंटी को पकड़ के अपनी गोद में भरने का कोशिश किया लेकिन आंटी ने मेरे बांहों से छूटकर कहा अभी सुबह सुबह से मेरे साथ लगेगा तो मौसी को कौन लगेगा? मैंने कहा”अच्छा आप को अपनी बहन की फिक्र हो रहा है मेरी तो कोई फिक्र नहीं है.” आंटी ने हंसते कही”तेरा लंड तो हमेशा खड़ा ही रहता है इसमें फिक्र की क्या बात है.” आंटी ने सुबह मुझे चाय पिलाई और बहुत ध्यान से कही”बेटा ध्यान रखना मैं यहां अकेली हूँ तुझे जल्दी आना होगा” मैंने आंटी को बताया की मैं जल्दी .आऊंगा. मैं सुबह का खाना खाके मौसी के घर की तरफ लगा.
मौसी की घर हमारे यहां से 20 किलोमीटर दूर है. मैं वोा आख़िरकार पहुंच गया. मौसी घर में ही थी. वो पीला सारी में सजी हुई थी. मौसी मुझे दिख के मुस्कुराई. मैंने उन्हें दर्शन किया. मौसी मुझे छेड़ने लगी.”मौसी की याद कवि अभी नहीं आती है तुमने?मुझे खुद फोन लगा लगाकर बोलना पड़ता है.” मैं अभी उनके तरफ बड़के उनको हाथ पकड़ के बोला”मौसी आप की तो पहला इंप्रेशन ही मेरी जान लेने वाली था मैं कैसे भूल सकता!” मौसी सोचते हुए बोलने लगी”कौन सा इंप्रेशन?” मैंने उनकी हाथ को चूमते कहा”वही बाथरूम वाली” मौसी शर्मा गयी और बोलने लगी”वो पहेली बार था उससे पहले किसी मर्द ने मुझे उस हालत में नहीं दिखता. मैं बहुत घबरा गयी थी जग्गू.” मैंने उन्हें चोदते कहा”आप बहुत अच्छी दिख रही थी.” मैंने कुछ ज्यादा ही कहेदिया. आंटी शर्म से पानी पानी हुई और मेरे गले में लग के धीरे से कहने लगी.”आज इधर ही रुकने वाले हो ना जग्गू?” मैंने उनको अपनी गले में कसके कहा”नहीं मौसी आप अभी जानती हो आंटी उधर अकेली है.” मौसी ने दुख से कहा”दीदी बहुत बड़ा पाप कर रही है अपने बेटे से गाँधी काम करके” मुझे हंसी लगा मौसी अभी आंटी से जलने लगी थी. मैंने कहा”इसमें उनका कोई दोष नहीं है मैंने ही शुरू किया था.” फिर मौसी ने अभी बात को मूंड़ लिया”वो बहुत खुदकिस्मत है तुम्हारा जैसा बेटा मिला.” मैंने उनकी गालों में चूमते कहा”मौसी मैं आज सुबह से भूखा हूँ कुछ खाया नहीं हूँ. आंटी ने अभी खाना खिलाने से इनकार कर दिया” मेरी बात सुनकर आंटी गले से हटा कर कहने लगी.”ओह बेटा मुझे माफ कर मैं अभी खाना बनती हूँ.” मैंने उनको पकड़ते कहा”मेरा पेट नहीं भूखा है मौसी पेट की नीचे का भूखा है.”
मौसी समझ गयी. लेकिन मैं क्या खानेवाला हूँ अवीटक मौसीको अभी मालूम नहीं होअराहता. मेरा ध्यान तो अभी अभी उनकी सारी से बढ़ी हुई गधराई बड़ी गांड में टीका हुआ था.
मैंने मौसी की गाल में हल्का सा मीठा चुंबन लिया. मेरा जीवन सच में अनोखा हो रहा था. मैंने दो औरत के साथ सेक्स किया था और दोनों औरत एक ही चुत से निकली हुई दीदी बहन थे और मैं दीदी वाली की चुत से निकला हुआ बेटा. अजीब बात है मुझे आंटी और मौसी से खूबसूरत दुनियामे दूसरी कोई औरत अभी नहीं लगते है.
हम बेडरूम में चलगाए. मौसे कहने लगी भूख लगी तो चल खले. मैंने मौसी को चूमते कहा नहीं मौसी आप को खिलानी होगी. मौसी ने हंसते कहा”क्या मतलब है जग्गू?” मैंने कुछ देर उनको बांहों में चूमते कहा”आप ऊपर हो जाओ”. शायद मौसी ने समझा लिया. मैं पहले चुदाई उनकी तरफ से करने का सोच रहा था और दूसरा चुदाई अपने तरफ से वो अभी गान्ड में.मैं बिस्तर पर गया और नंगा हुआ. मौसी ने अपना सारी निकाला और ब्लाउज अभी लेकिन वो पेटीकोट के साथ में बिस्तर पर आने लगी. मैंने उनसे नंगी होनेको बोला तो थोड़ा शरामाके उन्होंने पेटीकोट का नाडा खोलदिया और मुझे खुश कर दिया. वो नंगी हो चुकी थी. मेरा लंड तो इसे ही खड़ा था. आंटी मेरे ऊपर आ गयी. आंटी सच में पहले से जोश में थी वो मेरे ऊपर आकर लंड में धीरे धीरे चुत बिताने लगी. लंड जितना चुत की अंदर जा रहा था मेरा उतना ही अंसा स्वर्ग की तरफ चल रहा था.
मौसी नीचे दिखते हुए मेरे लंड में पूरी तरह से बैठी. मुझे अपनी लंड को मौसी की चुत में गायब होते हुए दिख के बहुत अच्छा महसूस हुआ. मैंने आहें भर रहा था जैसे की लंड मौसी के चुत में जाकर मुझे सकूँ दहाड़ा हो.मैंने अपना सर में पिल्लो रख के नीचे मौसी की हरकत दिख रहा था. बेचारी मौसी एक लंड के लिए तरस राई थी और आज वो लंड के साथ अपनी मर्जी से चोदने की अवसर पराहह थी.वो हवस में बुरी तरह से डूब चुकी थी उनको ज़रा अभी शर्म नहीं आरहता. पहले तो उन्होंने धीरे धीरे गांड को हिलाकर आहें भर्लिया फिर बाद में उन्होंने चुत को कुछ ज्यादा ही ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.
मैंने सर में दोनों हाथ रख के नीचे देखा. यह बहुत शानदार ड्रिस्या था. मेरा लंड कवि आधा से अभी ज्यादा बाहर दिखज़ता और कवि पूरी मौसी की चुत में गायब होता था. जितना सफ़र मेरा लंड मौसी की चुत में लेता था वो जन्नत का सफ़र हो जाता था. मौसी अपनी मर्जी और मजे से चोद रही थी. उनकी चुत की चरोटरफ धीरे धीरे सफेद पानी क्रीम का तरह दिख रहा था. मैंने धीमी से कहा”मौसी आप घूम जाओ ना और बहुत मजा डर रही हो” मौसी ने बिन कुछ कहे चुत लंड से अलग किए बिना घूम गयी.
मौसी पूरी मस्ती में थी उन्होंने फिर गांड को ऊपर नीचे करना शुरू किया. इसमें मजा दूसरा किसीं का था. उनकी चुत की अंदर का अभी हिस्सा अभी घूमने से इसका टेस्ट अलग मिला था.आव मेरे तरफ मौसी की बड़ी गांड थी. मेरा लंड सीधा खड़ा होने के वजह से मौसी को चुत अंदर बाहर करने के लिए मेरे पर के तरफ झुकना पड़ता था. उनकी गांड और चुत एक साथ में दिखने को मिल रहा था. मैं बता नहीं सकता हूँ यह कैसा उत्तेजक ड्रिस्या था शायद कालीदश होते तो पूरी किताब लेख सकते.
मौसी की बाल अभी इतनी लंबी थी की पीछे उनके गांड तक झूल रहा था. कवि कवि मैं उनकी बाल पकड़कर अपनी तरफ खींच के नीचे पेलडेटा था. आव तो उनकी चुत पूरा पानी से भीगा हुआ था बाहर अभी क्रीम से झांट सफेद दिख रहा था. मैं उनके कूल्हे को चौड़ी कर रहा था ताकि अंदर कुछ देख सुकून. मेरा कोशिश उनकी गांड की सुराख दिखने का था. मौसी अभी अभी थपका लगा राई थी.आपने कवि गाँव में धन रोपते हुए पानी की आवाज़ सुना है ऐसा ही आवाज़ आरहता. मौसी कवि कवि गांड को अभी घूमालेटी. मेरा लंड उनकी चुत की कोने कोने पर घूम रहा था. मैंने अपने कोशिश से उनकी गांड की सुराख देख ही लिया. बहुत प्यारी छेद थी मगर छोटी थी. मैंने गांड की छेद में एक उंगली से टच किया तो मौसी की पूरा बदन हिलगया और वो एकबार जोड़ से मेरे लंड में बीत गयी. फिर मैंने ने नीचे से दो तीन बार धक्का देना कायम रखा तो मौसी शुरू हो गयी. आवाज़ मस्त आ रहा था. कुछ देर मौसी इसे गांड उठा उठाकर चोदने लगी मेरा लंड अभी खुद अंदर हिलने लगा लेकिन वो शांत हो गयी.
चुत में गरमा गरम पानी आरहता. मैंने मौसी को नीचे किया. मेरा लंड पूरा तैयार था. मैंने उनकी चुत की पानी को गांड तक का रास्ता दिखाया और गांड में लंड डालने लगा. मौसी पूछने लगी. मैंने उनको कहा.”मौसी हमें आपकी पिछवादी की लेनी है.” मौसी चौक गयी उन्होंने मुझे मना करते कहा “चाहे तू कुछ अभी कर जग्गू लेकिन वोा मत डाल,मेरी जान चली जाएगी” मैंने मौसी की चुत के बाहर ही लंड घिसते कहा”प्लीज़ मौसी बस एक बार दीजिए बस मैं टेस्ट करना चाहता हूँ” मौसी मुझे बचपन से जानती है मैं बहुत जिद्दी हूँ और मैं जनता हूँ अगर मैं पूरी दिल से कुछ मगू तो मुझे मौसी अपने पाश हुआ कुछ अभी देती और मुझे खुश रखती. गांड का अभी कुछ ऐसा ही बात था. मौसी ने अभी जान लिया की मैं उनकी गांड चोदे बिना खुश नहीं हो सकता इसलिए उन्होंने कहा”बेटा आराम से करना दर्द होगी. कौन बताया तुझे पिछवादी अभी ले जा सकती है?” मैंने इसे ही बताया “बस मौसी आप की गांड की सुराख बहुत अच्छी है कोशिश करने का दिल हुआ” मौसी ने अभी जवफ में कहा “हां बेटा तू अपना मजा तो ले लेकिन अपनी मौसी की दर्द को अभी ध्यान देना” सच में दीदी की गांड तो झेल नहीं पे मेरे लंड बहन की गांड कैसे झेल पति!
गांड में इसे ही लंड डालना बेबकुफी होगी. आंटी की गांड की तरह मौसी की बड़ी थी. मौसी की गांड अभी खूबसूरत था आख़िर मेरी आंटी की बहन तो थी गांड अभी वैसा ही था. उनकी गांड की सुराख ब्राउन कलर वृींग्ले शेप में था हलकी आंटी की अभी इसे ही थी लेकिन मौसी की गांड की छेद कुछ ज्यादा ही ब्राउन थे.मुझे मौसी की वो छेद प्यारी सी लगी लेकिन आंटी के जितना अपनापन नहीं हुआ. मैं कुछ देर तक दिखता रहा. मौसी ने पुच्छ लिया.”जग्गू जो अभी करना है जल्दी करो,मुझे इसे तरह बेशरम मत बनाओ बेटा.” शायद मौसी जान चुकी थी मैं उनकी सुराख को कुछ ज्यादा ही गौर से दिख रहा था और एक औरत को इसे से ज्यादा बेशरम चीज़ क्या हो सकता था. आप पहले क्या करते जाव आपके सामने खूबसूरत कुंवारी गांड हो और आपको चोदने का अवसर मिले! हां जरूर आप पहले उस सुराख की बारे में जितना अभी आप की मान में सवाल हो वो पूरा का जवफ उसमेहि ढुड़ेंगे. और उस गांड को अपने लंड के लिए तैयार अभी करेंगे क्यों की गांड और चुत में बहुत फर्क है.
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