“उफफफ्फ़, ओफ… निखिल Antrwasna ज़रा फन तो ऑन करना, बाप रे बाप” कहती हुई वैशाली अपनी भारी भरकम शरीर सोफे के गद्दे पर बिता लेती हैं, उसकी नज़र नीचे अपनीए पसीने से लथपथ सारी और ब्लाउज पर जाती हैं के तभी हॉल में दौड़ था हुआ निखिल आता हैं “अरे आंटी , तुम.. वो अटुअल्ली लाइट गया हुआ हैं” कहता हुआ अपने इपॉड ऑफ करके सोफे के आजू बाजू रखा हुआ ग्रोक्सेरी का समान लेकर सीे किचन में रख देता हैं. किचन से बहार निकलते ही निखिल का नज़र अपने आंटी के भीगे हुए सारी और ब्लाउज पर आने लगता हैं और बस उसकी आंटीथे की पसीने का अंदाज़ा लगते ही उसके मन में हुलचूलें होने लगा.
वैशाली : आए राम, यह लाइट को भी अभी जाना था…. उफफफ्फ़ कितनी गर्मी हैं.
उसकी कीमती सारी का वो हाल हो गयी थी के अगर निचोरा जाई तो पसीने का समंदर बह पड़े और ब्लाउज के अगल बगल भी भीगी हुई थी, बाज़ार से इतनी ताकि हुई थी की अपनी चौड़ी शरीर को सोफे पर ही रगड़ती गयी और रुआंटील से आंटीथे के पसीने को पोछने लगी “निखिल, जूस तो काम से काम ला देते”. निखिल दौड़ता हुआ झट से फ्रेश लाइम जूस लेकर आता हैं “वैसे आंटी, इतनी ताकि क्यों हो?
वैशाली : (जूस लेती हुई) हम, एक मिनट, पीने तो दे पहले.. हम वो निखिल, बहार गर्मी हो इतनी हैं, और (तेज आवाज़ में) वॉचमन को बताया क्यों नहीं जेनरेटर ऑन करने के लिए???
निखिल : वो… आंटी….कुछ प्राब्लम हो गया था आज
वैशाली : (निखिल को गिलास देती हुई) मैं तो पागल हो जाऊंगी, सच में.. यह मनहूस जेनरेटर और खैर.. मुझे लाता हैं (अपनी गालों के पसीने को छुट्टी हुई) के थोड़ी नहा लेना चाहिए, वो भाई आए तो केहदेना के पहले बर्तन कर ले
वैशाली अपनी चौड़ी जिस्म को सोफे पर से उठती हुई सीधे अपनी कमरे में जाती हैं और निखिल अपने उमर के बाकी लड़कों के तरह ही अपने आंटी के भादी भादी मटकती हुई कमर और खास करके कमर के नीचे गुब्बारो के सारी में मटकने को देखता गया, उसके हाथ कुछ ही देर के लिए बेचैन हो गया था के सीधे अपने डंडे को पकड़ ले, उसे यह एहसास ही नहीं था के सिर्फ़ पसीने से ही उसके आंटी जैसी कोई भादी भड़कं औरत नमकीन लग सकती हैं, पर फिर ‘आंटी’ शब्द का ख्याल आया और वो शर्आंटी गया.
वहां दूसरे और अपने कमरे में वैशाली पागलों की तरह अपनी सारी, ब्लाउज, इत्यादि से मुक्त होकर सीधे शवर में घुस पड़ी और फुल बढ़ता में शवर का मजा लेती रही. शवर के दौरान बार बार उसने आँखें बंद की और उसके दिआंटीग़ में एक ही दृश्या थी, आंटीर्केट में की गयी एक जवान लड़के का हरकत.
अपनी गले और कंधों पर हाथ रगड़ती हुई वो उस घारी को याद करने लगी के कैसे उसके निखिल के उमर का एक स्टूडेंट बस में खुले आम अपने आप को उसकी पीठ पर रगड़ने लगा था और कैसे बार बार उसके हाथ उसकी मुलायम कंधे और कमर को छूटा रहा. फिर वैशाली ने गले से नीचे हाथों को लेकर सीधे अपने चौड़े चौड़े मोटे स्तनों को पानी के पौच्ार में रगड़ने लगी और वो सारे बदतमीज़ी याद करती हुई अचानक हाथों को अपनी बुर् के आसपास सरकने लगी और जांघों को रागाड़ने लगी. “उसे लड़के का यह हिम्मत…. उसके आंटी तो मेरे ही उमर का होगा…. कम्बख़्त्ट्त्त पर.. जो भी हो” कहकर अपनी बुर् के झाँटो पर हाथ फिरने लगी “अच्छी लगी उम्म्म्मम” अब वैशाली अपनी पूरे बदन पर हाथों को फिरने लगी और खास करके अपनी मोटी गान्ड के गालों पर. उसे यह अच्छी तरह आंटीलूम थी के लोंडो के लिए सबसे आकर्षित चीज़ वो थी उसकी और वो स्टूडेंट भी तो एक जवान लोंदा ही तो था. शवर का मजा लेती लेती वो उस पल को याद करती रही.
कुछ देर बार अपनी जिस्म पर एक टावल लपेट्टी हुई वैशाली बहार आई और जब उसने अपनी अलआंटीरी खोली तो घुस्स्सा और हैरानी, दोनों होने लगी. हमेशा की तरह उसकी कोई एक पैंटी गायब थी.
वैशाली ने यह सब पहले भी होते देखी थी और उसे आंटीलूम थी के यह हरकत या तो उसके पति का है या तो फिर उसकी….
वैशाली ने यह सब पहले भी होते देखी थी और उसे आंटीलूम थी के यह हरकत या तो उसके पति का है या तो फिर उसकी….
वीयशाली और उसकी पटा के बीच सेक्स और प्यार, दोनों का रिश्ता बहुत ही मज़बूत थी तो यह लाज़मी थी के यह हरकत निखिल का ही था. यह सोचते ही विशाली की जिस्म काँप उठी “आए भगवान… इसका मतलब्बब…” और फिर उसके गौर की के जो पैंटी गायब थी वो एक काले रंग की सिल्क वाली थी और शायद उस सिल्क की नरम एहसास से उसका निखिल… “नहीं नहीं… यह नहीं हो सकता…. आख़िर्र्र ऐसा क्की.. नहीं शायद लॉंड्र में दी हैं मैंने, हाँ ऐसा भी तो हो सकता हैं” सोचती हुई वीयशाली फॅट से एक साधारण सारी और ब्लाउज पहनी और जैसे ही सिंदूर लगाने लगी तो आने में निखिल नज़र आया और वो चौुक्ति हुई हाथ में से सिंदूर की डिब्बा गिरा देती हैं और घुस्से में पीछे मुड़ती हैं “टत्तततुउुउउ यहां… क्या कर रहा है????”. निखिल के हाथ में मेथ्स का किताब था “वह सॉरी.. वॉ तो मैं बॅस एक सुम्म था, सॉरी आंटी”.
वैशाली : (घुस्से में) तो मेरे पूजा होने तक नहीं रुक सकता क्या??? अगली बार मैं दरवाजा बंद करूँगी, ईडियट!
वैशाली झट से कमरे में से निकल पड़ती हैं और पूजा का सआंटीन हाथ में लिए सोचने लगी ” निखिल वहां कब से खड़ा था?? क्या उसने मुझे… उफ़फ्फ़ मेरा दिआंटीग़ खराब हो चुका हैं और बस में उस लड़के को जी भर के कोसती गयी और पूजा घर में घुस पड़ी. सच तो यह था के निखिल ने चुप के से अपने आंटी को ब्लाउज पहनते हुई भी देख चुका था और इस एहसास को दिआंटीग़ में रखता हुआ वो अपने कमरे में जाता हुआ अपने बिस्तर के ताकते ने नीचे से वही सिल्क की काली पैंटी निकल के, बतूम घुस पड़ा. हर रोज़ की तरह वो पैंटी के नर्आंटीहट उसके लंड के कोमल त्वचा पर पड़ते ही, जोरदार तेज खून दौड़ पड़ा और लंड के सुपाडे में से गड़ गड़ नमकीन पानी बहार आने लगा. वैशाली के स्तन कुछ 40 सी के आसपास थी और वो दृश्या याद करता हुआ निखिल पैंटी का आनंद लेता गया.
पूजा में भी कुछ खास मन नहीं लगा पा रही थी वैशाली. बस में की गयी हरकत और निखिल के घूरने से वो काफी परेशान थी. उसे एहसास हो गयी थी के निखिल अब बड़ा, जवान लोंदा हो चुका था. भले ही 19 साल, लेकिन फिर भी एक मर्द एक आस पास. उसे और गुस्सा तब आई जब वही पूजा खरते वक्त भी उसकी सारी और पेटीकोट के अंदर फँसी बुर् में छोटी छोटी खुजली होने लगी और उसके पास कोई चारा नहीं थी इस लिए बस मंत्र पड़ते पड़ते हल्के से अपनी जांघों को आपस में घिस्स लेती थी. जैसे ही पूजा खत्म हुई, उसकी दिआंटीग़ में एक ही बात थी “आज निखिल से कुछ जरूरी बातें करनी हैं मुझे”.
“निखिल!!! निखिल!! यहां आऊ, जल्दी!” वैशाली ने एक आदर्श आंटी का रूप धारण कर ली थी, आँखोन्म ए मोटे चश्मे और चेहरे पर एक सख्त भाव और हाथ में मेथ्स के मनुअल, पर इन सब के अगर कुछ अलग थी वो था उसकी सारी जो उसने अपनी पेट से थोड़ी नीचे पहनी हुई थी जिससे उसकी सुडौल कमर और पेट पर नाभी साफ नज़र आ रही थी. वैशाली ने पहले मनुअल के पन्ने देखे, फिर नजरें नीचे करके अपनी गहरी नाभी देखी और मन ही मन थोड़ी शर्आंटी गयी, पर यह करना जरूरी थी. आख़िर निखिल से बात जो करनी थी उसे.
“निखिल!!! निखिल!! यहां आऊ, जल्दी!” वैशाली ने एक आदर्श आंटी का रूप धारण कर ली थी, आँखोन्म ए मोटे चश्मे और चेहरे पर एक सख्त भाव और हाथ में मेथ्स के मनुअल, पर इन सब के अगर कुछ अलग थी वो था उसकी सारी जो उसने अपनी पेट से थोड़ी नीचे पहनी हुई थी जिससे उसकी सुडौल कमर और पेट पर नाभी साफ नज़र आ रही थी. वैशाली ने पहले मनुअल के पन्ने देखे, फिर नजरें नीचे करके अपनी गहरी नाभी देखी और मन ही मन थोड़ी शर्आंटी गयी, पर यह करना जरूरी थी. आख़िर निखिल से बात जो करनी थी उसे.
निखिल अपने मेथ्स के किताब और नोटबुक लेकर भीगी बिल्ली की तरह आने लगा अपने आंटी के पास और सामने खड़ा होते ही उसकी नज़र नीचे की तरफ अपने आंटी के गहरी नाभी पर गयी. नाभी के दरार में से कुछ बूँदें झलक रही थी और निखिल के लंड में हलचल होने लगी, शुक्र था के कक्चा काफी मज़बूत था शॉर्ट्स के अंदर. वैशाली भी एक पोज़ देकर खड़ी थी, जैसे आंटीनो कोई सख्त टीचर हो, पर उसकी इस पोज़ में उसकी नाभी और उभर के दिख रही थी और निखिल नजरें हटा नहीं पा रहा था के तभी “बर्कुधर, ज़रा ऊपर भी तो देखिए” और निखिल चौुक्ता हुआ आंटी के चेहरे को देखने लगा “ओह सोर सोर्रर्र सोररय्ी आंटी”.
वैशाली सोफे पर अपनी चौड़ी गान्ड बिता लेती हैं और चश्मे को एडजस्ट करती हैं और निखिल के हाथों में से नोटबुक लेती हैं “हम, एम्म्म.. नहीं नहीं… गलत है निखिल, तुम कब सुधरोगे!!!!” कहती हुई निखिल को देखती रहती है जो खड़ा का खड़ा ही था. निखिल टेन्स होकर अपने बालों को खुजाने लगता हैं और बार बार चुपके से नाभी को देखने लगा जो बैठने के कारण और आंटीज़ में दब चुकी थी और फिर वैशाली ने चुटकी बजाई “अब बताओगे भी, कौन सा सवाल???”.
निखिल ने किताब दी और वीयशाली किताब हाथ में लेती हुई सवाल को देखने लगी और एक उबासी लेती हुई किताब को अपनी गोद में रख दी “बैठ जाओ, कुछ बातें करनी थी तुमसे”. निखिल सर को झुकाया हुआ फॅट से अपने आंटी के विपरीत सोफे पर बैठ जाता हैं और आंटी निखिल एक दूसरे के रूबरू होते हैं. वैशाली अपनी मोटी जाँघ पर एक जाँघ रखकर बैठ पड़ती हैं जिससे सारी थोड़ी पैरों से ऊपर होती हैं, पर उसने परवाह नहीं की और निखिल को देखने लगी. सवाल जवाब तो बाद में, उसे तो पहले यह देखी थी के निखिल वाकई में कितना गबरू मर्द बन गया था और सच तो यह था के वो तो अपने पितः का ही रूप लेकर आया था, इन सब बातों से और क्रोधित होती गयी वैशाली और वापस चश्मे को एडजस्ट करती हुई अपनी हाथों को आपस में मलने लगी “देखो निखिल, मैं आंटी हूँ तुम्हारी, कुछ बातें बहुत जरूरी हैं”.
निखिल : आंटी, वो सवाल दरअसल… मैंने बहुत कोषिश्ह.. पर वॉ..
वैशाली : खैर सवाल चोदा…. मुझे एक और विषय को लेकर चिंतित हूँ.
निखिल हैरानी से आंटी को देखने लगा…. और चेहरे पर पसीना जआंटी होने लगा. वैशाली अनजाने में बार बार अपनी मुलायम हाथों के नाखूनओ को अपनी पेट के आंटीज़ पर फिरने लगी “देखो निखिल, मुझसे कुछ मत छुपाना, प्लीज़” और सोफे में से उठती हुई निखिल के करीब खड़ी हो गयी, कुछ ऐसा के उसकी नाभी सीधे निखिल के आँखों के सामने आ गये.
वैशाली कुछ ऐसे खड़ी हो गयी के उसकी नाभी बिलकुल निखिल के नजरों के सामने थी और निखिल के धड़कन तेज होने लगा, उसके जी में आया के झट से अपने आंटी के मोटे कमर को अपने हाथों के जलद में लेले, पर उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था के आख़िर क्यों उसके आंटी ने सारी इतनी नीचे पहनी हुई थी. वैशाली कुछ देर बस शांत रहके अपने निखिल के आँखों को घूरती गयी और बड़ी रुबब के साथ अपनी नाभी प्रशरहित करती गयी, उसके मन में अब हर वो पल घूमने लगी जब उसके पति उसके नाभी पर जीभ फिरता था और फिर नाभी के नीःे…..
वैशाली कुछ ऐसे खड़ी हो गयी के उसकी नाभी बिलकुल निखिल के नजरों के सामने थी और निखिल के धड़कन तेज होने लगा, उसके जी में आया के झट से अपने आंटी के मोटे कमर को अपने हाथों के जलद में लेले, पर उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था के आख़िर क्यों उसके आंटी ने सारी इतनी नीचे पहनी हुई थी. वैशाली कुछ देर बस शांत रहके अपने निखिल के आँखों को घूरती गयी और बड़ी रुबब के साथ अपनी नाभी प्रशरहित करती गयी, उसके मन में अब हर वो पल घूमने लगी जब उसके पति उसके नाभी पर जीभ फिरता था और फिर नाभी के नीःे…..
एक लंबी सान लेती हुई वैशाली अब यहां से वहां घूमने लगी और फिर से निखिल के पास आकर रुक गयी “देखो निखिल, तुम अब बारे हो रहे हो और यह बातें बहुत जरूरी हैं, तुम… तुम समझ रहे हो ना????”. वैशाली चिंतित थी पर अंदर खुजली भी बहुत थी और वो अपनी निखिल के बालों पर उंगलियाँ फिरने लगी “तुम्हारे सूंस सही नहीं हो रहे है निखिल, कॉलेज से भी कमज़ोर रिपोर्ट आ रही हैं, आख़िर प्राब्लम क्या है??” बालों पर हाथ फिरनी हुई वैशाली अब सीधे निखिल के गर्दन के पीछे हाथों को लाने लगी, आंटीनो जैसे अपनी नाभी पर उसके मुंह को धकेल ना चाहती हो.
निखिल कुछ बोलना चाहा पर उसके होठों से निकला हर साँस सीधे उसके आंटी के खुले नाभी पर आने लगा और वैशाली की धड़कन तेज होने लगी. निखिल फिर कुछ धीमे धीमे शब्द बाहार लाअनए लगा और फिर नाभी पर गरम साँसों का असर हुआ और इस बार विशाली थोड़ी सी दूर खड़ी हो जाती हैं तो निखिल के आंटीसवाल चेहरा दिख गयी उसको.
निखिल : VVओह्ह आंटी….. दरअसलल्ल्ल…. आंटी… मुझे पढ़ाई में मन…. मन नहीं लगताअ हाीइ..
वैशाली : क्यों निखिल???
निखिल बार बार अपने आँखें बंद करता तो उसके आंटी के पैंटी, आंटी के ब्रा और ब्लाउज बदलने का दृश्या बार बार आने लगा और उसके लंड पर सुरसुरी होना शुरू हो गया “वॉ आंटी…” फिर से नज़र नाभी पर. “हाँ निखिल, वो क्या????” वैशाली को उसके निखिल से सुन्नी थी, उसे यह जानी थी के आख़िर निखिल के मन में क्या चल रहा था. निखिल भी काफी शैतान था, उसने बात को घूमने के लिए कुछ अलग ही कहानी बनाई “आंटी… वो डर्सल कॉलेज में.. वॉ आक्च्युयली…मंदिरा आंटीम्म…”.
“मंदिरा आंटीअंम???? उसके केमिस्ट्री टीचर??” सोचने लगी वैशाली और फिर निखिल के तरफ देखने लगी “क्या हुआ…???? कुछ कहा क्या उसने तुझे???? बताओ मुझे निखिल!!. वैशाली अपनी पल्लू के आखिरी हिस्से को जकड़ती हुई थी और खेल रही थी कपड़े के साथ और चेहरे में तेज भाव थी.
निखिल में थोड़ा नमक मिर्च लगा ने का सोचा “वो आंटी…. आज क्लास के,…… आज क्लास के बाद मंदिरा आंटीँ ने मुझे उनके क्वार्टर में बुलाई थी और…..” फिर सर नीचे कर लेता हैं. वैशाली क्रोधित होने लगी, उसके दिआंटीक़ में बहुत कुछ चल रही थी, मंदिरा उसकी एक अच्छी दोस्त भी थी और काफी शरीफ औरत थी. “और फिर क्या हुआ???? अरे खुल के क्यों नहीं बताता????
निखिल के लंड ऊपर होने लगा था और “वो आंटीँ…. आंटी, वो बहुत गंदी औरत है…….. वो तो मेरे साथ फ़्लर्ट करने लगी!!!” कहता हुआ चुपके से अपने आंटी को देखने लगा और कुछ ही पलों में वैशाली पसीने से नहाने लगी. पावर फैल्िुरे और सिचुयेशन दोनों के दबाव से वैशाली फिर से पसीने में लथपथ होने लगी और उसे फिर बस में की गयी हरकत याद आने लगी. “हें राम… क्या यह वैसा भी हो सकता है…. लगता है हम दोनों इस आंटीमल्ले में बराबर शिकार हुए हैं” सोचती हुई निखिल के तरफ देखने लगी और एक हाथ को उसके गाल पर फिरने लगी “कककक क्क्या कह रहा है तू निखिल?? मुझे तो समझ में ही नहीं आ रही हैं, मंदिरा आंटीँ ने क्या कहा तुझसे?? ‘Hindi Sexy Kahania
निखिल बनावटी चिंतित स्वर में बोल पड़ा “आंटी, वो तो मुझसे अश्लील हरकतें करने को कह रही थी….आंटी… मैं तो शर्आंटी गया”. वैशाली बहुत क्रोधित थी “कामिनी कहीं की, इतनी भोली सूरत लेकर घूमती है और स्टाफ रूम में यह सब्बब… ओह गोद”. वैशाली ने कुछ और सोची और फिर निखिल के बालों को चोर दी “निखिल, क्या . की क्या तूने कुछ किया???? पूछते ही उसकी साँसें तेज हो गयी और निखिल ने नजरें नीचे की तो देखी के नाभी में कुछ पसीना जम चुकी थी और सुडौल पेट चमक ने लगी थी. भारी दोपहर में गर्मी भी ड़ थी गयी और सारी पतली होने के बावजूट भी वैशाली गर्मी के आंटीरे पागल हो रही थी, दुआ कर रही थी के पावर जल्दी आ जाए और तभी निखिल झट से अपने आंटी के कमर के चारों और हाथ फैलता हुआ उसके भीगे पेट पर अपना भीगा हुआ चेहरा दबा लेता हैं “आंटी…. मुझे… मुझे तो इन टीचर्स से ही डर… डर लगता हाईईईई”. वैशाली आंटींता और वासना के बीच तैयार रही थी, एक तो दोनों आंटी निखिल पसीने में लथपथ और फिर इस तरह निखिल का चेहरा उसके पेट के आंटीस्स पर दब जाना, अनजाने में उसकी हाथ अपने निखिल के सर को और अंदर दबा देती हैं “श निखिल…. हे राम तेरे कॉलेज में यह सब होता हैं…. “.Hindi Sexy Kahania
एक तो निखिल का चेहरा अपने आंटी के मुलायम आंटी पेट के पसीने भरे आंटीज़ में दब चुका था और वैशाली भी निखिल के चेहरे को दबाई रखी “पर निखिल…. ज़्ज़ा.. ज़रा खुल के बोल, उन्होंने क्या किया तेरे साथ???”. निखिल अब चेहरे को थोड़ा आंटीज़ में से मुक्त करता हुआ बोल पड़ा ” आंटी, वो औरत इतनी गंदी हाीइ…. वो तो रिपोर्ट देखने के बहाने… मेरे शरीर पर हाथ लगाने लगी!!!!!”. वैशाली के पसीने तरफ गयी और जिस्म लाल होने लगी और आँखें बंद की तो उसके निखिल और उसके टीचर के दृश्या आंखों में आने लगी और उसीकि पहले से ही फू;ई हुई बुर् में से ताप ताप रस बहने लगी. फिर उसने स्कोा के नइकज़िल के साथ कुछ वैसा ही हुआ जैसे उसके साथ बस में हुई थी. पर ताज्जुब की बात यह थी के जब उसने मंदिरा के बारे में सोची तो उसे जलन से होने लगी “ब्बीता, शरीर के क्कों से हिस्से पर्र्र्ररर???, तू खुल के क्यों नहीं बताता ???”. वैशाली की साँस बहुत तेज हो चुकी थी और बार बार आंटीथे में से पसीना आती रही.
निखिल भी पसीने में पटपट होने लगा “वो आंटी….. उन्होंने… मेरे म्म्म्मेरे जाँघ पर हाथ रख दी त्ीईिइ”. यह सुनते ही वैशाली की बुर् में से एक गहरा बंद निकल पड़ी और बुर् के अंदर ही अंदर खुजली होना शुरू हो चुकी थी, कुछ वैसा जैसे उसके पति के और उसके दरमियान होती थी, पर यह सिचुयेशन तो अलग थी और फिर भी उसे ऐसा क्यों महसूस हो रही थी. वैशाली बहुत बहुत घुस्से में थी “जाअँघह पार?????? मतल्लब्ब्ब्बब??.. मैं अभी प्रिन्सिपल को रिपोर्ट करती हूँ!!! आए बहगवान, और तुऊउ, फिर तूने क्क्या किया????” वैशाली को और जानी थी, उसे सब कुछ सुन्नी थी निखिल के मुंह से, क्योंकि उसने भी वैसा ही महसूस की थी जब उस कॉलेज के छोकरे ने उसकी गान्ड पर अपने आप को घिसा था बस के बीड़ में, और सच तो यह थी के उसे बहुत अच्छी लगी थी, तो जाहिर थी के मंदिरा को भी अच्छी लगी थी यह सब. उसने अपनी निखिल के सर को पकड़ के रखी और इस बार निखिल अपने आंटी के कमर को हाथों के दबोचने लगा जिससे वैशाली थोड़ी सिसक उठी और और भी सीधी खड़ी हो गयी “बब्बेतता…. यईः सब्बब बातें नॉर्मल हाईईइ.. यह” उसके मन में उस लोंडे का मोटापे का एहसास घूमने लगी “यह नॉर्मल बातें हैं पर निखिल, पदाइइ मैं मन लगाओ!!!”.
निखिल और काश के अब आंटी के कमर को जकड़ लेता हैं “आंटी, यह टीचर्स बहुत गंदे हैं!!!!! आप ही मुझे आज से पदाओ!!!!” कहकर कमर के आंटीज़ को हल्के से मसल लेता हैं तो वैशाली अपने आप ही थोड़ी आगे सरक जाती है जिससे निखिल का चेहरा और नाभी में दब जाता हैं.
वैशाली : अफ निखिल….. अब चोदा भी यह सब,,, देखो… जो हुआ सो हुआ पर अब तो मुझे जाने दूओ वरना….
निखिल नाभी में से चेहरा ऊपर कर लेता हैं “वरना क्या आंटी???? आंटी मुझे आपके जरूरत है, स्टाफ रूम में मैं खुद को बड़ी मुश्किल से कबुउउउ रखा था..”.Hindi Sexy Kahania
वैशाली अब घुस्से में अपने निखिल के गाल पर एक खींच के चमत आंटीदता हैं “बदतमीेज़्ज़… इसका मतलब भी क्या हुआ??????, मुझे तो लगता है के इसमें तुम्हारे ही कुछ शरारत है, निखिल! वो औरत तुम्हारी आंटी का उमर की है!! च्ीईीईई, तुम ऐसे कैसे” उसकी होठों से मुश्किल से शब्द निकल रही थी क्योंकि उसकी बुर् काफी गीली हो चुकी थी, सच तो यह भी थी के वो बस का लोंदा भी तो निखिल के उमर का ही था और फिर भी पूरे हिम्मत के साथ भादी बस में ही उसकी रस निकल दिया था और अब तो उसे मंदिरा से जलन भी होने लगी पर खुद में काबू रखती हुई अपनी निखिल से दूर हाथ गयी और यहां से वहां चलने लगी.
निखिल का लौंडा टन चुका था शॉर्ट के अंदर और उसके जीभ में पानी आ चुका था, बस एक बार उसके जीभ को उस नाभी का स्पर्श मिले तो बॅस…..
निखिल सीधे सोफे में से उठ के अपने आंटी के पीछे खड़ा हो गया और पीछे से झप्पी देने लगा “आंटी, तुम इसे नॉर्मल कैसे कह सकती हो??? मुझे बहुत शर्म आया था उस वक्त…” कहता हुआ अपने उभरे लंड को सारी में भारी गान्ड पर घिसने लगा. यह एहसास वैशाली को वापस उस बस के घटना में लेकर गयी जब वो लोंदा बिलकुल ऐसा ही कुछ कर रहा था उसके साथ. अनजाने में वो थोड़ी पीछे सरकने लगी जिससे गान्ड निखिल के पाँत पर और दब गयी और दोनों आंटी निखिल खामोश. दोनों के आँखों में वासना और वैशाली की पैंटी तो पहले से ही गीली हो चुकी थी “ब्निखिल.. यह नॉर्आंटील्ल है… कक्यूंकीईइ….
निखिल : क्योंकि क्या आंटी?? (और आगे दबाता हुआ)
वैशाली अब पीछे मूंड़ गयी और निखिल के आमना सामना हो गयी “क्योंकि निखिल, मैंने भी ऐसा कुछ अनुभव किया आज”. वैशाली को बहुत शर्म आने लगी पर निखिल में उसने एक मर्द का अनुभव की आज.
“क्या मलब आंटी?” निखिल कुछ आश्चर्य में था और आंटी के आँखों में आँखें डाल के उसे देख था गया. वैशाली मन ही मन कहने लगी “निखिल, तुझे कैसे बताऊं के आज आंटीर्केट से आते वक्त बस में मेरे साथ क्या हुआ….” और फिर आँखों में आँखें डाले बस इतना ही बोल पड़ी “एमेम-म्मेरा मतलब यह था के ऐसा थोड़े बहुत चीज़ें नॉर्मल हैं स्कूल्स में, पर निखिल तू इन सब से दूर रहा कर और पढ़ाई में ध्यान दे”. वैसा;ई की पूरी बदन अब पसीने में इतनी लथपथ हो चुकी थी के आंटीनो पावर फेल्यूर को मन ही मन कोस रही हो और अब उस सारी से कुछ पतली पहनना उसके लिए मुश्किल थी.Hindi
नजरें थोड़ी नीचे की तो उसकी निखिल भी काफी पसीने में लथपथ था और उसका टी-शर्ट तो आंटीनो पूरा भीग ही गया हो. “खैर…. निखिल, मैं मनुअल से एक सवाल देता हूँ… तुम.. तुम वो कर लेना अभी” बोलती हुई भी नजरें उसके भीगे टी-शर्ट पर चिपकी हुई थी और किताब में से एक सवाल निखिल को देती हुई अचानक खुद से बोल पड़ी “उःम्म पर फिलहाल इस शर्ट से मुक्त हो जा, देख कितना भीग चुका है पसीने से, अभी दे दे मुझे”. निखिल आश्चर्य और उत्तेजना में अपना शर्ट उतार दिया और ऊपर से पूरा का पूरा नंगा होकर आंटी को देखनके लगा और फिर उसका गठीला छाती वैशाली के आँखों के सामने.