मैं हैदराबाद का रहनेवाला हूँ. मेरे पापा का कुछ साल पहले डेथ हो गया था. घर की सब जिम्मेदारी माँ के ऊपर ही थी. पापा के मरने के 6 महीने में ही माँ ने एक ऑफिस में काम देख लिया. और वो मेरी और मेरी छोटी बहन की परवरिश करने लगी. माँ दिनभर ऑफिस में काम करती थी और शाम को थक के आने के बाद भी खाना बनाती थी हमारे लिए. ऐसे ही दिन गुजर रहे थे. माँ के बॉस थे उनका नाम सतपाल सिंह रंधावा था. और वो एक पग वाले सरदार जी थे. वो अक्सर हमे मदद करते थे. मुझे याद हे की जब मैं 10वी तक आया तो वही स्कुल की किताबे, नोटबुक वगेरह लेने के लिए मुझे और मेरी बहन को ले चलते थे अपनी कार में.
मेरी माँ जब भी घर में बिरयानी बनाती थी तो अपने बॉस को खाने पर बुलाती थी. कभी ऑफिस में कोई अर्जंट काम हो तो माँ को रंधावा अंकल अपनी गाडी में ले जाते थे. कभी कभी माँ लेट में यानी की रात के 10-11 बजे भी ऑफिस से आती थी. और ऐसा हो तब वो हम भाई बहन के लिए खाना पार्सल ऑर्डर कर देती थी. सब कुछ ठीक ही चल रहा था. और फिर एक दिन हमारी नन्ही ही फेमली में भूचाल सा आ गया! माँ के एक करतूत को देख के मेरे पैरो तल की जमीन ही खिसक गई जैसे!
रंधावा अंकल जिन्हें मैं बहुत सीधे समझता था वो दरअसल माँ को अपनी रखेल बना के बैठे हुए थे. माँ कोई ऑफिस वोफिस नहीं जाती थी. वो तो रंधावा अंकल के एक फ्लेट में रहती थी. दोपहर में रंधावा अंकल अपनी ऑफिस से माँ के पास जाते थे. और फिर दिन में वो दोनों साथ में रहते थे और शाम को माँ घर आ जाती थी हम दोनों के पास में. मुझे ये सब कैसे पता चला?
एक दिन की बात हे माँ ने चिकन बिरयानी पकाई थी. और रंधावा अंकल शाम को खाने के लिए आये थे. माँ सलवार स्यूट में थी और उसको पसीना हुआ था. पसीने से उसकी बगल गीली दिख रही थी. और माथे के ऊपर के बालों में भी पसीना लगा हुआ था. खाना लगाने के बाद वो नहाने चली गई. टेबल पर मैं, अंकल और मेरी बहन नाज़िया ही थे. माँ ने हम को कहा तुम लोग खाओ मैं नहा लेती हूँ. हमारे घर में बाथरूम ऊपर के मजले पर हे. हम लोगों ने खाना खाया और रंधावा अंकल ने मुझे 20 का गुलाबी नोट दिया और बोले, जाओ नाज़िया के साथ आइसक्रीम खा के आओ.
मैं नाज़िया का हाथ पकड के घर से निकला. नाज़िया ने कहा मुझे चाचा के घर छोड़ दो भाई.
मैंने कहा आइसक्रीम नहीं खाना हे.
वो बोली: भाई अभी तो बिरयानी खाई हे. इसलिए अभी नहीं खाना. पैसे आप अपने पास रखो हम कल चलेंगे खाने के लिए.
मैंने बगल की गली में नाजो को छोड़ के वापस घर आया. निचे देखा तो रंधावा अंकल नहीं थे. मैंने सोचा की वो चले गए होंगे, लेकिन उनकी गाड़ी तो बहार ही खड़ी थी. मैंने सोचा की शायद वो इधर उधर होंगे. उस वक्त तो मुझे उन्के ऊपर फ़रिश्ते के जैसे भरोसा था. मुझे क्या पता था की वो फ़रिश्ता ही मेरी माँ के साथ ऊपर बाथरूम में था. वो तो माँ की सिसकियाँ सुनता नहीं और मैं ऊपर जाता भी नहीं.
जी हां मुझे सिसकियाँ सुनाई दी और मैं ऊपर दबे पाँव चढ़ा. माँ बाथरूम में थी और अन्दर से ही आवाज आ रहा था. मैंने एक छेद से अन्दर देखा तो चौंक गया. अन्दर मेरी माँ एकदम न्यूड खड़ी थी शावर के निचे. और उसके पीछे रंधावा अंकल आधे नंगे खड़े थे. उन्होंने अपने पग के ऊपर एक पोलीथिन की बेग बाँध ली थी गिला न हों उसके लिए. और उन्के बदन के ऊपर एक बनियान थी बस. उनका लंड मोटा और काला था. वो मेरे माँ के बूब्स को दबा के उसे किस कर रहे थे और उसी वजह से माँ सिसकिया रही थी.
फिर माँ ने कहा, जल्दी करो न खलील आ जाएगा.
अंकल बोले: मैंने उसे आइसक्रीम के लिए भेजा हे वो 20 मिनिट से पहले नहीं आएगा.
माँ: आप को तो रोज करने के बाद भी आग लगी रहती हे.
ऐसा कह के माँ हंस पड़ी और अंकल के लोडे को मसाज करने लगी. फिर माँ ने अपने हाथ में साबुन लिया और अंकल के लोडे को वो अपने हाथ से मसाज करने लगी. साबुन की वजह से लंड के ऊपर झाग बन गया था. माँ ने अंकल की झांट के अन्दर भी साबुन लगाया और उसे खुजाने लगी. फिर माँ ने शोवर वापस ओन कर के अंकल के लंड को धो दिया. सरदार अंकल का लंड अब एकदम कडक हो गया था और वो 85 डिग्री का एंगल बना के जैसे माँ के मुहं को देख रहा था.
अंकल ने कहा, चलो जल्दी से इसे अपने मुहं में डालो जान.
माँ घुटनों के ऊपर बैठ गई और उसने फट से अंकल के लंड को मुहं में ले लिया. अंकल ने माँ के मुहं को अपने लंड पर दबाया और फिर बोले, पूरा अंदर ले लो डार्लिंग.
माँ ने डीपथ्रोट दिया अंकल को. और एक मिनिट लंड चूस के माँ खड़ी हो गई और बोली, जल्दी से कर लो कोई आ गया तो प्रॉब्लम होगी मुझे. माँ बाथरूम की दिवार पकड़ के खड़ी हो गई. अंकल ने अपने लंड के ऊपर शैम्पू लगाया और माँ की चूत में भी. वो एक हर्बल शैम्पू था. फिर अंकल ने माँ को थोड़ा आगेकी और झुकाया और अपने लंड को उसकी चूत में डाला. शैम्पू की वजह से अंकल का लोडा फच के साउंड से चूत में घुस गया. अंकल ने शावर को फुल कर दिया और वो दोनों शावर के निचे चूत चुदाई करने लगे.
माँ को जल्दी से पानी छुडाना था इसलिए वो जल्दी से अपनी गांड को जोर जोर से हिला के चुदवाने लगी. अंकल भी फुल मूड में थे. और उन्होंने भी माँ को मस्त चोदा एकदम स्पीड से. माँ की चूत में लंड का पानी निकाल के उन्होंने अपने लंड को साफ़ कर लिया. और फिर माँ बोली, आप जल्दी बहार निकालो खलील और नाज़िया किसी भी वक्त आते होंगे.
ये सुन के मैं वहां से निकल गया और नाज़िया के पास चाचा के वहां पर चला गया. माँ की पूरी दास्ताँ को मैं आप को आगे की स्टोरी में बताऊंगा. जिसमे आप पढेंगे की कैसे वो अंकल के फ्लेट में उसकी रखेल बन के लंड लेटी हे उसका!