मैं जब कोलेज में एडमिशन लिया तो वहाँ सब कुछ नया था. मेरे सब दोस्त अलग अलग हो गए थे. और मैं जिस कोलेज में था वहां तो पुराने सर्कल से कोई था ही नहीं. अब नयी कोलेज में मैंने कुछ नए लडको को अपना दोस्त बना लिया.
एक नया दोस्त बना जो मेरे घर के करीब में ही रहता था. मैं डेली उसके साथ ही रहने लगा था दिन का काफी सारा समय. हम घर से साथ में ही कोलेज और घुमने फिरने और खेलने का काम करते थे. वो लोग काफी पैसे वाले थे और उसका घर भी काफी बड़ा था. उसके घर में उसकी मम्मी, डेडी, छोटी बहन, उसके अंकल, आंटी, दादी और दादा जी रहते थे. मेरे मोम की माँ बड़ी ही सेक्सी लगती थी. उसकी बड़ी गांड और बूब्स को देख के कसम से लंड खड़ा हो जाए ऐसी आंटी थी वो. उसे दिन की किसी भी वक्त देखो आप का लंड खड़ा हो ही जाए ऐसे थी वो!
मैं इस दोस्त के घर अक्सर जाता था. और अक्सर लेट नाईट तक वही पर होता था. और अगर लेट हो तो मैं अपने घर पर बता के दोस्त के घर पर ही सो भी जाता था. मेरे दोस्त का अपना प्राइवेट बेडरूम था इसलिए कोई टेंशन नहीं थी.
ऐसे ही कोलेज का पहला साल पूरा हो गया. और मेरी और मेरे दोस्त की माँ की भी अच्छी बनने लगी थी. आंटी का नाम नीता हे. आंटी घर के अन्दर सलवार और कमीज पहनती थी. और काम करते हुए वो अपनी चुन्नी निकाल देती थी.
बहुत बार आंटी के बूब्स मुझे दिख जाते थे. और मुझे ऐसे भी आंटी लोगों की बूब्स और गांड एकदम से आकर्षित करती हे. तो मेरी नजर उन्के बूब्स के ऊपर चली जाती थी. काफी बार नीता आंटी ने मुझे उन्के बूब्स देखते हुए देख भी लिया था. पर वो अभी तक मुझे कभी कुछ कही नहीं थी. अब मेरा मन और ईमान आंटी के प्रति बिगड़ने लगा था. अब मैं नीता आंटी को चोदने के खाव्ब देखने लगा था. और कई मैं आंटी के बड़े बूब्स और गांड के ख्याल कर के बहुत बार अपना लंड भी हिला चूका था.
एक दिन मैं मेरे दोस्त के कमरे में था. और मेरा दोस्त कुछ काम से बहार गया. उसके अंकल ने फोन कर के उसे कुछ काम बताया था इसलिए वो गया था. उसने बोला तू बैठ मैं जल्दी से वापस आता हूँ. वो बोला मुझे एक घंटे जैसे लगेगा. मैंने कहा ठीक हे तू हो आ. उसके जाने के कुछ देर बाद आंटी कमरे में आई और उसने पोछा हाथ में पकड़ रखा था. मैं बिस्तर के ऊपर चढ़ के बैठ गया और आंटी निचेफर्श के ऊपर पोछा करने लगी. आंटी झुक के काम कर रही थी और उसके बूब्स एस युसुअल मेरे को दिखने लगे थे. मेरी नजर को मैं कंट्रोल न कर सका और वो आंटी के बूब्स के ऊपर चली गई. मैं देखा नहीं की आंटी कब से देख रही थी की मैं उसकी चूचियां देख रहा था. आंटी ने मेरा नाम लिया तो मैंने उन्के सामने देखा.
आंटी: क्या देख रहे हो?
मैंने कहा, कुछ भी तो नहीं आंटी.
आंटी: मुझे क्या पागल समझा हे की कुछ समझ नहीं आता हे. रुको आज आने दो तुम्हारे दोस्त को शिकायत लगाती हूँ तुम्हारी!
मैं जानता था की कोई माँ अपने बेटे को ये सब नहीं बताएगी. मैं ये जानता था की वो सिर्फ मुझे डराने के लिए ही ऐसा कह रही थी.
मैं: नहीं आंटी ऐसा कुछ मत करना प्लीज़! अगर आप को बुरा लगा हे तो मैं आप की माफ़ी मांगता हूँ. मैं दुबारा ऐसा नहीं करूँगा!
नीता आंटी ने कहा इट्स ओके और वो फिर से अपना काम करने लगी. पर मेरा मन और लंड भला कहा से मान जाता इतनी जल्दी से. मैंने तो वापस आंटी की चूचियां देखने लगा! और नीता आंटी ने मुझे फिर से पकड़ लिया!
अब की वो बोली: अरे ऐसा क्या हे मेरी छाती में की तुम देखते ही जा रहे हो!
उसका आवाज थोडा हेवी था.
मैं: सोरी आंटी, सोरी सोरी!
आंटी: तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है की नहीं की मुझे ऐसे देखते हो!
मैं: नहीं आंटी मेरी एक भी गर्लफ्रेंड नहीं हे, पहले थी लेकिन अब ब्रेकअप हो गया हे. अभी सिर्फ फ्रेंड्स हे!
नीता आंटी मेरे पास में आ के बैठ गई और बोलो: तुम मुझे देखते हो तो मुझे भी अच्छा लगता हे क्यूंकि मैं पिछले कुछ महीनो से किसी के साथ फिजिकल नहीं हूँ हूँ. तुम्हारे अंकल अपने काम में इतने बीजी हे की उन्हें मेरा कुछ ख्याल ही नहीं हे. और ये कह के आंटी ने अपने हाथ को मेरी जांघ के ऊपर रख दिया.
फिर आंटी ने कहा, जॉइंट फेमली में रहती हूँ इसलिए कही जाना और किसी को बुलाना भी संभव नहीं हे!
मैं: फिर तो अंकल से बड़ा कोई स्टुपिड नहीं हे! इतनी अच्छी वाइफ मिली हे और वो अपने काम में भांजी मारते रहते हे. साला आप का फिगर एमरी वाइफ का होता तो मैं उसे छोड़ के काम पर जाने को भी दो बार सोचता और दिनभर प्यार और रोमांस करता.
आंटी ने मेरे गाल के ऊपर प्यार से हाथ फेरा और बोली, तुम बड़े ही नोटी और बदमाश हो!
मैं: आंटी मैं सच बोल रहा हूँ, आप का फिगर एकदम मस्त गे. और मैं दीवाना हो चूका हूँ आप के लिए. आंटी जी सच में आई लव यु!
मैंने ये कहते हुए आंटी का हाथ पकड लिया और उसे कहा, ये देखो मेरा दिल कितनी जोर जोर से धडक रहा हे. आंटी ने हंस के कहा, दिल तो मेरा भी धडक रहा हे. आंटी ने ये कह के मेरे हाथ को अपनी छाती से लगा दिया. उसके बूब्स से मैं सिर्फ एक इंच दूर था और मेरा लंड और भी जोर से खड़ा हो गया!
आंटी ने भी निचे देख के कहा, आई लव यु टू!
फिर क्या था मैंने आंटी के होंठो के ऊपर अपने होंठो को रख दिया और उसे स्मूच करने लगा. आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने उन्हें 10 मिनिट तक जोर जोर से किस किया. और फिर हम अलग हुए और मैंने आंटी के बूब्स पकड लिया. आंटी थोड़ी पीछे हटी और बोली, नहीं अभी नहीं!
मैं: क्या हुआ आंटी, अभी मौका तो हे हमारे पास!
आंटी: नहीं ऐसे नहीं यार, बहुत लोग घर में ही हे अभी, कोई आ गया तो प्रॉब्लम होगा.
मेरे खड़े लंड के ऊपर धोखा दे के आंटी चली गई. मैंने अपने दोस्त के बेड के ऊपर उसके मम्मी के नाम की ही मुठ मारी!
ऐसे ही एक हफ्ता और निकल गया और आंटी को चोदने का कोई मौका मुझे मिला नहीं. आंटी जब भी मैं उसे अकेले में पकड़ता था तो वो कहती थी अभी नहीं, फिर! और फिर मुझे आंटी के अथ एक मौका मिला. आंटी और मेरे दोस्त को छोड़ के सब लोग एक फंक्शन में अहमदाबाद जा रहे थे.
दुसरे दिन मैं कोलेज नहीं गया. और मेरे दोस्त को बोला की मुझे कुछ काम हे. और मैं उसके कोलेज के जाने के बाद चुपके से उसके घर पर चला गया. मैं आंटी के साथ लिविंग रूम में बैठ गया. मैंने आंटी के हाथ को पकड के अपनी तरफ खिंच लिया और वो मेरे ऊपर आके गिर गई सोफे के ऊपर.
आंटी: इतनी भी क्या जल्दी हे शाम तक तुम और मैं यही तो हे!
आंटी ने आज भी अपना नियमित ड्रेस कुरता पजामा पहना हुआ था. फिर मैं और आंटी बेडरूम में चले गए. मैंने आंटी के होंठो के ऊपर किस दे दिया. और आंटी भी मुझे बहुत अच्छी तरह से चूस रही थी. मैं और आंटी दोनों एक दुसरे को जोर जोर से चूस रहे थे. आंटी को भी काफी टाइम के बाद सेक्स का चांस मिला था इसलिए वो भी भूखी शेरनी लग रही थी. उसके बाल खुले हुए थे और आगे चहरे के ऊपर आ जाते थे. मैं उसे पीछे कर के उसके होंठो का रस पिए जा रहा था.
फिर मैं नीता आंटी का कुरता और पजामा उतार दिया और आंटी ने तो अन्दर ब्रा पेंटी पहनी ही नहीं थी. वो सेक्स के लिए एकदम ही तैयार थी. आंटी ने मेरा पेंट और शर्ट निकाल दिया और चड्डी भी. मैं भी पूरा नंगा था उसके सामने. आंटी ने मेरा लोडा हाथ में ले के जोर जोर से चुसना चालू कर दिया. और मुझे बहुत मजा आ रहा था उसके कोक सकिंग से. नीता आंटी पुरे जोश में थी और मेरे को उनकी चूत चाटने का मन हुआ. मैंने आंटी को कहा तो वो 69 पोज में आ गई. और हम दोनों एक दुसरे को होंठो से चोदन का मजा दे रहे थे. आंटी के मुहं में मेरा पानी छुट गया जिसे वो एकदम आराम से गटक गई. और मैं चूत में ऊँगली कर के उसका पानी भी छुड़ा दिया. हम दोनों ही बहुत हल्का महसूस आकर रहे थे.
आंटी और मैं बिस्तर में लेटे रहे कुछ देर के लिए. और फिर आंटी ने वापस मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और हिलाने लगी. उसने मेरे लंड को फिर से खड़ा कर दिया और बोली, अब मेरे को चोदो अपने इस बड़े लोडे से और मेरी चूत की सब आग को आज शांत कर दो इस से|!
मैंने भी देर नहीं की और आंटी को बिस्तर में लिटाया और उन्के पैरो को फैला दिया और लंड को सेट कर के जोरदार धक्का दे दिया. आंटी के मुहं से चीख निकल पड़ी, अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह!
अभी तो आधा ही लंड आंटी की चूत में गया था. मैंने दूसरा एक धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड अंदर चला गया. और वो चीखने लगी अह्ह्ह अह्ह्ह्ह फाड़ दी मेरी चूत अह्ह्ह अह्ह्ह धीरे से प्लीज़!
मैं आंटी को धीरे धीरे से चोदने लगा. और वो अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह ओह उईई ऐसी आवाजे निकाल रही थी. और फिर कुछ देर के बाद मैंने जोर जोर से झटके देने चालू कर दिया. आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही ती चोदने में. और वो अपनी गांड को उठा उठा के जोर जोर से आह अहह माँ अह्ह्ह उईइ अह्ह्ह कर के चुदने लगी थी. पुरे कमरे के अन्दर चुदाई की पच पच की आवाजे आ रही थी. और वो आवाजे हमें और भी मदहोश कर रही थी.
ऐसे ही 20 मिनिट तक मैंने आंटी की चुदाई की और आंटी मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत का पानी छोड़ बैठी. और मैं आंटी के ऊपर पूरा चढ़ गया और उसे जोर जोर से चोदने लगा. मैं आंटी के बूब्स को चोद के जोर जोर से लंड को लडवा रहा था उसकी चूत कर साथ.
और फिर मेरा भी छुट गया आंटी की चूत के अन्दर ही. मैं निढाल हो गया तो आंटी ने कहा, क्या हुआ थक गए क्या?
मैंने कहा नहीं आज तो शाम तक चोदुंगा तुमको मेरी जान!
आंटी मुझे किचन में ले गई और दूध में बादाम का पावडर डाल के पिलाया. फिर मैंने नीता आंटी को किचन का प्लेटफोर्म पकडवा के खड़ा कर दिया और उसको चोदा. उस दिन तो मैंने आंटी को दिन भर में 6 बार चोदा और हर बार अलग अलग जगह में.
फिर मेरे दोस्त के कोलेज के आने से पहले मैं नाहा के अपने घर चला गया. आंटी को आज भी जब मौका मिलता हे तो वो मुझे बुला के मेरा लंड लेती हे.