(Maa Dwara Beton Ko Choot Chudai Education- Part 2)
दोस्तो, मैं सोनाली आप सभी पाठकों का अभिनन्दन करती हूं जो आप लोग मेरे द्वारा लिखी हुई कहानियो को पढ़कर आनन्द प्राप्त करते है और फिर अपने विचार मुझे भेजते हैं।
अब तक आपने पढ़ा कि किस प्रकार मैंने अपने दोनों बेटों को मुठ मारना सिखाया और उन्हें वीर्य के इस्तेमाल के बारे में बताया।
अब आगे:
तो रात के समय मैंने अरुण को अपने पास बुलाया और उससे आज शाम को हुई घटना के बारे में पूछा तो अरुण बोला- मम्मी… ये सब तो मैं अवि को इसलिए बता रहा था ताकि वो भी इसका मजा ले सके! उसे भी ये सब करके बहुत अच्छा लगा।
पर अरुण बोला- मम्मी आप चिंता मत करो, मैंने अवि को यह नहीं बताया कि ये सब मुझे आपने सिखाया है।
उस समय तो मैं उसे कुछ नही बोल पाई पर अब मुझे सब कुछ सोच समझ कर करना था और शायद यही उन दोनों को चुदाई की शिक्षा देने का सही समय था।
अब मुझे कुछ ऐसा करना था कि इसकी पहल मेरे दोनों बेटों की तरफ से हो।
अगले दिन रविवार था और मेरे दोनों बेटे मेरे ही साथ बेड पर सो रहे थे। थोड़ी देर बाद अरुण अपने दोस्तों के साथ बाहर चला गया और अवि घर पर ही था।
अवि छोटा था तो वो मेरे सामने नंगा नहाने में नहीं हिचकिचाता था और कई बार तो मैं भी उसके सामने नंगी नहा लिया करती थी। मैंने अवि को उठाया और उससे अपने साथ ही नहाने के लिए कहा तो वो तैयार हो गया।
अवि बाथरूम में नंगा ही मेरे सामने खड़ा था, मुझे भी नहाना था तो मैं भी कपड़े उतारकर केवल पेंटी में ही उसके साथ नहा रही थी।
तभी दरवाजे पर अरुण की आवाज आई तो अवि दरवाजा खोलने चला गया।
अवि के साथ अरुण भी बाथरूम में आ गया और मुझे नंगी देखकर मेरे ही साथ नहाने बैठ गया। अब हम तीनों साथ में नंगे नहा रहे थे। अरुण ने पहली बार मुझे नंगी देखा था… तो मेरे उभरे हुए मम्मों के कारण उसका लंड तन चुका था और वो मेरे मम्मों को घूरे जा रहा था।
मैंने उन दोनों के शरीर को अच्छे से साबुन से धोया और फिर उन दोनों के लंड पर अपने दोनों हाथों से साबुन लगाने लगी। आज अवि का लंड भी खड़ा हो होने लगा था और उसके साथ ये पहली बार हो रहा था…वो भी पूरी तरह से उत्तेजित था…फिर मैं उन दोनों के लंडों को सहलाने लगी।
अवि मुझसे बोला- मम्मी, आप ये क्या कर रही हो?
तो मैंने उसे कहा- वही जो कल तुम दोनों भाई अंदर बैठकर कर रहे थे।
मेरी बात पर दोनों बिल्कुल चुप रहे…
पर अगले ही पल मैंने उनसे बोला- अगर कभी भी तुम दोनों को ऐसा करने का मन हुआ करे तो मेरे पास आ जाया करो! पर यह बात किसी को बताना मत!
तो वे दोनों खुश हो गए।
थोड़ी देर बाद दोनों मेरे ही हाथों में झड़ गये, झड़ने के बाद अवि ने भी वही सवाल किया- यह सफेद सफेद पानी क्या होता है?
तो मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू अवि को सब बता देना कि यह क्या होता है और इससे क्या होता है।
मेरे दोनों बेटे नहा कर बाथरूम से बाहर चले गए, मैंने उन दोनों के वीर्य से अपने चेहरे को और अपने बदन को धोया और फिर मैं भी नहाकर बाहर आ गई।
अब मैं अपने दोनों बेटों को चुदाई की शिक्षा देने के लिए साथ में तैयार कर रही थी।
उसी शाम को मेरी ननद घर आई और अवि को अपने साथ उनके घर लेकर चली गई, घर पर अब मैं और अरुण ही थे!
रात को अरुण जब मेरे साथ लेटा हुआ था तो मैंने अरुण से पूछा- कल तूने अवि को भी मुठ मारना सिखा दिया पर तेरे हाथ में वो किताब कौन सी थी?
अरुण चुप रहा पर मेरे जोर देने पर वो बोला- मम्मी, आप कभी अपने बूब्स नहीं दिखती थी.. पर मेरा बूब्स देखना का बहुत मन करता था.. तो मैं इस किताब में से नंगी लड़कियों को देखकर मुठ मारता हूँ।
अरुण की बात सुनकर मैंने उससे बोला- पहले मुझे वह किताब ला कर दो!
तो अरुण भाग कर अपने रूम में गया और वहां से वह मैगजीन उठा लाया, उसने वो मैगजीन लाकर मेरे हाथ में थमा दी।
मैंने उस मैगजीन को खोलकर देखा तो उसमें बहुत सारी लड़कियों की नंगी तस्वीरें थी।
मैंने उस मैगजीन को उठाकर अपनी अलमारी के अंदर रख दिया और वापस आकर अरुण के पास बैठ गई।
अरुण मुझसे बोला- मम्मी, मुझे वह मैगजीन वापस चाहिए? आप तो कुछ दिखाती नहीं हो तो मुझे इन्हीं को देखकर अपना काम चलाना पड़ता है।
मैं अरुण को प्यार करते हुए बोली- मेरा बेटा नाराज है… मैंने आज सुबह ही तो बाथरूम में तुझे नहलाया था तब देख तो लिया था तूने मेरे बूब्स को?
तो वह कुछ नहीं बोला।
तब मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर रख दिया… तो अरुण बिल्कुल पागलों की तरह मुझे देखने लगा।
मैंने उससे कहा- ऐसे क्या देख रहा है मुझे? पर अब जैसा मैं कहूं वैसा ही करना!
तो अरुण मान गया।
मैंने उसके सामने अपना ब्लाउज और फिर अपनी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही मेरे दोनों मम्मे अरुण के सामने खुलकर आजाद हो गए और अरुण ने अपने दोनों हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया, मुझसे बोला- मम्मी… क्या मैं आपके बूब्स दबा सकता हूँ?
तो मैंने उसे हां बोल दिया।
अरुण ने अपने हाथों से मेरे मम्मों को मसलना शुरु कर दिया और फिर धीरे-धीरे वो मेरे मम्मों को चाटने लगा। उसको मेरे मम्मे दबाने में बड़ा मजा आ रहा था और अब मुझे भी पूरी तरह से मजा आने लगा था।
अरुण एक हाथ से मेरे एक मम्मे को दबा रहा था और दूसरे मम्मे को चाट रहा था।
धीरे धीरे मेरा हाथ अरुण के लंड पर पहुंच गया… उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। मैंने अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
तो अरुण मुझसे बोला- मम्मी… यह आप क्या कर रही हो?
तो मैंने अरुण से कहा- वही जो तू रोज करता है!
अरुण मेरी बात नहीं समझ पाया।
तो मैंने उससे कहा- आज मैं तुझे सब बता दूंगी!
मैंने अरुण से कपड़े उतारने के लिए कहा तो वह कपड़े उतार कर मेरे सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया… उसका लंड अब और भी ज्यादा लंबा लग रहा था। शायद मेरे नंगे बदन को देख कर वह काफी उत्तेजित था।
मैंने भी उसके सामने अपनी साड़ी उतार दी और फिर अपनी पेंटी भी उतार दी… अब मां बेटे के सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
मुझे नंगी देख कर अरुण ने अपना लंड सहलाना शुरु कर दिया… वह मेरे नंगे शरीर को निहारे जा रहा था… उसकी नजर मेरी नंगी चूत और गांड पर ही थी।
जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि मैंने अरुण को चुदाई के बारे में पहले ही सब बता दिया था। मैं बिस्तर पर जाकर सीधे लेट गई और फिर अरुण से अपने ऊपर लेटने के लिए बोला, मैंने उसे कहा- अपने सिर को मेरे पैरों की तरफ रखना और अपने पैरों को मेरे सिर की तरफ!
अरुण वैसे ही आकर मेरे ऊपर लेट गया… मैंने अरुण से अपनी चूत चाटने के लिए बोला तो अरुण मेरी चूत चाटने लगा और मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर मैंने अरुण से चूत के अंदर दो उंगली डालने के लिए कहा।
अरुण ने वैसा ही किया, उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत के अंदर घुसा दिया और उन्हें अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद अरुण मेरे मुंह के अंदर ही झड़ गया, उसका सारा रस मेरे मुंह के अंदर भर गया जिसे मैंने निगल लिया।
अरूण अभी भी अपनी उंगलियों को मेरी नंगी चूत के अंदर बाहर कर रहा था, मैं भी झड़ने वाली थी तो मैंने अरुण को अपने से अलग कर दिया और फिर हम दोनों उठ कर बैठ गए।
तब अरुण बोला- मम्मी… आज मुझे सबसे ज्यादा मजा आया और आपने मेरा वीर्य भी पी लिया।
मैंने अरुण की बात का जवाब देते हुए कहा- अभी तो यह शुरुआत हुई है, आगे और भी ज्यादा मजा आएगा!
फिर मैंने अरुण के लंड को दोबारा सहलाना शुरु कर दिया जिससे उसका लंड दोबारा तन गया।
अब मैंने अरुण को तेल की शीशी लाने के लिए कहा तो वह उठ कर तेल की शीशी ले आया।
मैंने अपने हाथों पर तेल लेकर अरुण के लंड पर मलना शुरु कर दिया तो अरुण ने मुझसे पूछा- मम्मी, अब आप आगे क्या करने वाली हो? और आप मेरे लंड पर तेल क्यों लगा रही हो?
मैंने कहा- बेटा, अब तेरा लंड मैं अपनी चूत के अंदर डलवाने वाली हूं… और तेल की मालिश इसलिए कर रही हूं क्योंकि पहली बार लंड को चूत के अंदर डालते समय लंड की टोपी की खाल थोड़ी खिंचने लगती है जिससे दर्द होता है… पर तेल लगाने से लंड बिना किसी दर्द के बिल्कुल आराम से चूत के अंदर चला जाता है।
मैंने अरुण से कहा- मेरा राजा बेटा क्या अब मेरी चुदाई के लिए तैयार है?
तो उस ने कहा- हाँ मम्मी… पूरी तरह से!
मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, मैंने फिर अरुण को अपने ऊपर लिटाया और उसके लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने लगी क्योंकि अरुण बिल्कुल नया खिलाड़ी था और यह उसकी सबसे पहली चुदाई थी, इस पूरी चुदाई के दौरान मुझे ही सारी सावधानियां बरतनी थी।
अरुण के लंड को अपनी नंगी चूत पर सेट करने के बाद मैंने उसे अंदर की तरफ धक्के लगाने के लिए कहा तो अरुण धीरे धीरे धक्के देने लगा।
पहले धक्के में अरुण के लंड का सुपारा मेरी चूत में घुस गया और फिर मैंने उससे जोर के धक्के लगाने के लिए कहा तो उसने फिर एक जोरदार धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया।
मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकल गई, अरुण ने फिर एक जोरदार धक्का मारा और उसका पूरा सात इंच का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ सीधा अंदर घुस गया…मैं दर्द से चीख पड़ी… दर्द के कारण मेरे मुँह से जोरों से ‘ओईई..ई.. माआआ.. मर गगई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह.. आऊह… ओह…’ की आवाज़ें आ रही थी।
क्योंकि आज बहुत दिनों बाद मेरी चूत के अंदर कोई लंड गया था… और वह भी काफी लंबा और मोटा था… मेरे मुंह से चीख निकलते ही अरुण डर गया, मुझसे बोला- क्या हुआ मम्मी… अगर आपको दर्द हो रहा हो तो मैं अपना लंड निकाल लेता हूं।
मैंने उससे कहा- मुझे कुछ नहीं हुआ, मैं ठीक हूं।
फिर मैंने अपने बेटे को मेरी चूत में धक्के लगाने के लिए कहा… तो अरुण अपने लंड को बाहर करके अंदर की तरफ धक्के देने लगा, मैं भी अपनी गांड और कमर उठा कर उसके हर धक्कों का जवाब दे रही थी और मजे से उसके लंड से चुद रही थी।
मैं सीत्कार रही थी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. ओऊहहह.. चोददो मुझे.. आहह ओहह माआ.. और जोरर से चोदददो… फक्कक मीईई…
कुछ देर की चुदाई के बाद मैं अपने चरम पर थी तो मैं अरुण को और तेज… और तेज… कहते हुए झडने लगी, उसने भी अपने धक्कों की गति को बढ़ा दिया।
अरुण मुझसे बोला- मम्मी, मेरा भी होने वाला है!
और वह भी मेरे ही साथ झड़ने लगा, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया, वो अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर छोड़ने लगा और मेरे ऊपर लेट गया।
दस मिनट बाद अरुण उठा, उसने मेरे होंठों पर किस किया और मेरे बगल में लेट गया।
मैंने चौंक कर अरुण से पूछा- तू किस करना कैसे सीख गया?
तो अरुण बोला- मम्मी.. मैंने पिक्चरों में यह सब देखा है.. तो मैं वहीं से सीख गया!
और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।
थोड़ी देर बाद जब मैंने अरुण को देखा तो उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था… मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा- अरुण, यह तो फिर से खड़ा हो गया है।
अरुण बोला- मम्मी, लगता है इसे आपकी चूत बहुत पसंद आई है.. शायद इसलिए यह दोबारा आपकी चूत के अंदर जाना चाहता है!
वह दोबारा मेरे ऊपर आकर लेट गया।
उस रात मैंने और अरुण ने तीन-चार बार चुदाई की और हर बार अरुण ने मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।
अगले दो दिन तक बिलकुल यही सिलसिला रहा। अरुण दोपहर को स्कूल जाता और स्कूल से आकर हम दोनों चुदाई किया करते थे।
तीसरे दिन अवि घर पर आ गया तो अब अरुण रात को मुझे नहीं चोद पाता था…
तो मैं अवि को भी अपने इस चुदाई के खेल में जोड़ने के बारे में सोचने लगी।
आगे की कहानी अगले भाग में… आपको मां बेटे की चूत चुदाई की यह कहानी कैसी लगी, आप अपने विचार मुझे मेल के द्वारा भेज सकते हैं।
Sizzlingsona678@gmail.com
अवि मुझसे बोला- मम्मी, आप ये क्या कर रही हो?
तो मैंने उसे कहा- वही जो कल तुम दोनों भाई अंदर बैठकर कर रहे थे।
मेरी बात पर दोनों बिल्कुल चुप रहे…
पर अगले ही पल मैंने उनसे बोला- अगर कभी भी तुम दोनों को ऐसा करने का मन हुआ करे तो मेरे पास आ जाया करो! पर यह बात किसी को बताना मत!
तो वे दोनों खुश हो गए।
थोड़ी देर बाद दोनों मेरे ही हाथों में झड़ गये, झड़ने के बाद अवि ने भी वही सवाल किया- यह सफेद सफेद पानी क्या होता है?
तो मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू अवि को सब बता देना कि यह क्या होता है और इससे क्या होता है।
मेरे दोनों बेटे नहा कर बाथरूम से बाहर चले गए, मैंने उन दोनों के वीर्य से अपने चेहरे को और अपने बदन को धोया और फिर मैं भी नहाकर बाहर आ गई।
अब मैं अपने दोनों बेटों को चुदाई की शिक्षा देने के लिए साथ में तैयार कर रही थी।
उसी शाम को मेरी ननद घर आई और अवि को अपने साथ उनके घर लेकर चली गई, घर पर अब मैं और अरुण ही थे!
रात को अरुण जब मेरे साथ लेटा हुआ था तो मैंने अरुण से पूछा- कल तूने अवि को भी मुठ मारना सिखा दिया पर तेरे हाथ में वो किताब कौन सी थी?
अरुण चुप रहा पर मेरे जोर देने पर वो बोला- मम्मी, आप कभी अपने बूब्स नहीं दिखती थी.. पर मेरा बूब्स देखना का बहुत मन करता था.. तो मैं इस किताब में से नंगी लड़कियों को देखकर मुठ मारता हूँ।
अरुण की बात सुनकर मैंने उससे बोला- पहले मुझे वह किताब ला कर दो!
तो अरुण भाग कर अपने रूम में गया और वहां से वह मैगजीन उठा लाया, उसने वो मैगजीन लाकर मेरे हाथ में थमा दी।
मैंने उस मैगजीन को खोलकर देखा तो उसमें बहुत सारी लड़कियों की नंगी तस्वीरें थी।
मैंने उस मैगजीन को उठाकर अपनी अलमारी के अंदर रख दिया और वापस आकर अरुण के पास बैठ गई।
अरुण मुझसे बोला- मम्मी, मुझे वह मैगजीन वापस चाहिए? आप तो कुछ दिखाती नहीं हो तो मुझे इन्हीं को देखकर अपना काम चलाना पड़ता है।
मैं अरुण को प्यार करते हुए बोली- मेरा बेटा नाराज है… मैंने आज सुबह ही तो बाथरूम में तुझे नहलाया था तब देख तो लिया था तूने मेरे बूब्स को?
तो वह कुछ नहीं बोला।
तब मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर रख दिया… तो अरुण बिल्कुल पागलों की तरह मुझे देखने लगा।
मैंने उससे कहा- ऐसे क्या देख रहा है मुझे? पर अब जैसा मैं कहूं वैसा ही करना!
तो अरुण मान गया।
मैंने उसके सामने अपना ब्लाउज और फिर अपनी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही मेरे दोनों मम्मे अरुण के सामने खुलकर आजाद हो गए और अरुण ने अपने दोनों हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया, मुझसे बोला- मम्मी… क्या मैं आपके बूब्स दबा सकता हूँ?
तो मैंने उसे हां बोल दिया।
अरुण ने अपने हाथों से मेरे मम्मों को मसलना शुरु कर दिया और फिर धीरे-धीरे वो मेरे मम्मों को चाटने लगा। उसको मेरे मम्मे दबाने में बड़ा मजा आ रहा था और अब मुझे भी पूरी तरह से मजा आने लगा था।
अरुण एक हाथ से मेरे एक मम्मे को दबा रहा था और दूसरे मम्मे को चाट रहा था।
धीरे धीरे मेरा हाथ अरुण के लंड पर पहुंच गया… उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। मैंने अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
तो अरुण मुझसे बोला- मम्मी… यह आप क्या कर रही हो?
तो मैंने अरुण से कहा- वही जो तू रोज करता है!
अरुण मेरी बात नहीं समझ पाया।
तो मैंने उससे कहा- आज मैं तुझे सब बता दूंगी!
मैंने अरुण से कपड़े उतारने के लिए कहा तो वह कपड़े उतार कर मेरे सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया… उसका लंड अब और भी ज्यादा लंबा लग रहा था। शायद मेरे नंगे बदन को देख कर वह काफी उत्तेजित था।
मैंने भी उसके सामने अपनी साड़ी उतार दी और फिर अपनी पेंटी भी उतार दी… अब मां बेटे के सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
मुझे नंगी देख कर अरुण ने अपना लंड सहलाना शुरु कर दिया… वह मेरे नंगे शरीर को निहारे जा रहा था… उसकी नजर मेरी नंगी चूत और गांड पर ही थी।
जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि मैंने अरुण को चुदाई के बारे में पहले ही सब बता दिया था। मैं बिस्तर पर जाकर सीधे लेट गई और फिर अरुण से अपने ऊपर लेटने के लिए बोला, मैंने उसे कहा- अपने सिर को मेरे पैरों की तरफ रखना और अपने पैरों को मेरे सिर की तरफ!
अरुण वैसे ही आकर मेरे ऊपर लेट गया… मैंने अरुण से अपनी चूत चाटने के लिए बोला तो अरुण मेरी चूत चाटने लगा और मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर मैंने अरुण से चूत के अंदर दो उंगली डालने के लिए कहा।
अरुण ने वैसा ही किया, उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत के अंदर घुसा दिया और उन्हें अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद अरुण मेरे मुंह के अंदर ही झड़ गया, उसका सारा रस मेरे मुंह के अंदर भर गया जिसे मैंने निगल लिया।
अरूण अभी भी अपनी उंगलियों को मेरी नंगी चूत के अंदर बाहर कर रहा था, मैं भी झड़ने वाली थी तो मैंने अरुण को अपने से अलग कर दिया और फिर हम दोनों उठ कर बैठ गए।
तब अरुण बोला- मम्मी… आज मुझे सबसे ज्यादा मजा आया और आपने मेरा वीर्य भी पी लिया।
मैंने अरुण की बात का जवाब देते हुए कहा- अभी तो यह शुरुआत हुई है, आगे और भी ज्यादा मजा आएगा!
फिर मैंने अरुण के लंड को दोबारा सहलाना शुरु कर दिया जिससे उसका लंड दोबारा तन गया।
अब मैंने अरुण को तेल की शीशी लाने के लिए कहा तो वह उठ कर तेल की शीशी ले आया।
मैंने अपने हाथों पर तेल लेकर अरुण के लंड पर मलना शुरु कर दिया तो अरुण ने मुझसे पूछा- मम्मी, अब आप आगे क्या करने वाली हो? और आप मेरे लंड पर तेल क्यों लगा रही हो?
मैंने कहा- बेटा, अब तेरा लंड मैं अपनी चूत के अंदर डलवाने वाली हूं… और तेल की मालिश इसलिए कर रही हूं क्योंकि पहली बार लंड को चूत के अंदर डालते समय लंड की टोपी की खाल थोड़ी खिंचने लगती है जिससे दर्द होता है… पर तेल लगाने से लंड बिना किसी दर्द के बिल्कुल आराम से चूत के अंदर चला जाता है।
मैंने अरुण से कहा- मेरा राजा बेटा क्या अब मेरी चुदाई के लिए तैयार है?
तो उस ने कहा- हाँ मम्मी… पूरी तरह से!
मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, मैंने फिर अरुण को अपने ऊपर लिटाया और उसके लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने लगी क्योंकि अरुण बिल्कुल नया खिलाड़ी था और यह उसकी सबसे पहली चुदाई थी, इस पूरी चुदाई के दौरान मुझे ही सारी सावधानियां बरतनी थी।
अरुण के लंड को अपनी नंगी चूत पर सेट करने के बाद मैंने उसे अंदर की तरफ धक्के लगाने के लिए कहा तो अरुण धीरे धीरे धक्के देने लगा।
पहले धक्के में अरुण के लंड का सुपारा मेरी चूत में घुस गया और फिर मैंने उससे जोर के धक्के लगाने के लिए कहा तो उसने फिर एक जोरदार धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया।
मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकल गई, अरुण ने फिर एक जोरदार धक्का मारा और उसका पूरा सात इंच का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ सीधा अंदर घुस गया…मैं दर्द से चीख पड़ी… दर्द के कारण मेरे मुँह से जोरों से ‘ओईई..ई.. माआआ.. मर गगई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह.. आऊह… ओह…’ की आवाज़ें आ रही थी।
क्योंकि आज बहुत दिनों बाद मेरी चूत के अंदर कोई लंड गया था… और वह भी काफी लंबा और मोटा था… मेरे मुंह से चीख निकलते ही अरुण डर गया, मुझसे बोला- क्या हुआ मम्मी… अगर आपको दर्द हो रहा हो तो मैं अपना लंड निकाल लेता हूं।
मैंने उससे कहा- मुझे कुछ नहीं हुआ, मैं ठीक हूं।
फिर मैंने अपने बेटे को मेरी चूत में धक्के लगाने के लिए कहा… तो अरुण अपने लंड को बाहर करके अंदर की तरफ धक्के देने लगा, मैं भी अपनी गांड और कमर उठा कर उसके हर धक्कों का जवाब दे रही थी और मजे से उसके लंड से चुद रही थी।
मैं सीत्कार रही थी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. ओऊहहह.. चोददो मुझे.. आहह ओहह माआ.. और जोरर से चोदददो… फक्कक मीईई…
कुछ देर की चुदाई के बाद मैं अपने चरम पर थी तो मैं अरुण को और तेज… और तेज… कहते हुए झडने लगी, उसने भी अपने धक्कों की गति को बढ़ा दिया।
अरुण मुझसे बोला- मम्मी, मेरा भी होने वाला है!
और वह भी मेरे ही साथ झड़ने लगा, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया, वो अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर छोड़ने लगा और मेरे ऊपर लेट गया।
दस मिनट बाद अरुण उठा, उसने मेरे होंठों पर किस किया और मेरे बगल में लेट गया।
मैंने चौंक कर अरुण से पूछा- तू किस करना कैसे सीख गया?
तो अरुण बोला- मम्मी.. मैंने पिक्चरों में यह सब देखा है.. तो मैं वहीं से सीख गया!
और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।
थोड़ी देर बाद जब मैंने अरुण को देखा तो उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था… मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा- अरुण, यह तो फिर से खड़ा हो गया है।
अरुण बोला- मम्मी, लगता है इसे आपकी चूत बहुत पसंद आई है.. शायद इसलिए यह दोबारा आपकी चूत के अंदर जाना चाहता है!
वह दोबारा मेरे ऊपर आकर लेट गया।
उस रात मैंने और अरुण ने तीन-चार बार चुदाई की और हर बार अरुण ने मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।
अगले दो दिन तक बिलकुल यही सिलसिला रहा। अरुण दोपहर को स्कूल जाता और स्कूल से आकर हम दोनों चुदाई किया करते थे।
तीसरे दिन अवि घर पर आ गया तो अब अरुण रात को मुझे नहीं चोद पाता था…
तो मैं अवि को भी अपने इस चुदाई के खेल में जोड़ने के बारे में सोचने लगी।
आगे की कहानी अगले भाग में… आपको मां बेटे की चूत चुदाई की यह कहानी कैसी लगी, आप अपने विचार मुझे मेल के द्वारा भेज सकते हैं।
Sizzlingsona678@gmail.com
Nice 👌 too
ReplyDeleteAb maa ki jhanto bhari choot ki chudai ki kahani banawo
ReplyDeleteSonali ji ek bar ki bast hai Maine v apani Nani ko choda raat ke and here me chhat par Kya choot this unki bahut mahak aati thi..
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