मेरी आंटी मेरी जान-1

Related imageमैं कहानी लिख रहा Antrwasna हूँ जो अपनी है. कहानी में कोई फॉरमॅलिटी नहीं होगी जैसे कोई फॉर्मल कहानी में होती है.मैं इसमें कोई मसाला और कोई काल्पनिक मस्ती की बात डालकर इसको ड्रमलीज़ेड नहीं करूँगा हां अपना दिल और भावना की तो बात जरूर करूँगा.
मेरा नाम जगदीश लेकिन कामन्ली जग्गू बुलाया जाता हूँ . मद्याम परिवार से हूँ.मेरा अंकल आर्मी मैं है. अंकल का नाम मोहनलाल है,और मेरी आंटी का नाम सकुंतला है. मेरा पालन पोसन आंटी ने की. मैं आंटी से ज्यादा करीब था. अंकल तो कवि कवि ही मिलते थे. मेरी आंटी का कामन नाम सुकून था.
दोस्तों आदमी खुद कुछ नहीं है बस बेहेता हुआ पानी जहां नीचे धार होता उधर ही बेहेता है. अगर आप को भूख प्यास लगी तो आप क्या करते हां जरूर अपने करीब इसका खोज करेंगे. हां मेरा साथ कुछ ऐसा ही हुआ. पहले आश्पस आंटी की पायल की झाँक से सेक्यूर महसूस होने वाला मेरा मान इसे उमरसे ही कैसे कौनसा दिन से और क्यों यह झाँक से रोमांचित होने लगा था. यह कोई सामान्य बात तो नहीं थी लेकिन मेरा साथ ऐसा ही हो गया. मेरा पहेली सेक्स ड्रीम गर्ल अपनी आंटी हो गयी थी,हलकी आंटी आम आंटी की तरह ही थी. मेरा लंड को चुत की तलाश थी और बाहरी दुनिया से बेखवार होते हुए मुझे तो अपनी आंटी ही इसकी इलाज लगी. सेक्स की भूख ज्यादा हद तक मूठ से अभी बुझती है इसीलिए आंटी के नाम से ही मूठ मारना शुरू कर दिया.
क्या करे सेक्स तो नशे वाली चीज़ थी जिसका जितना सोचा करो उतना चाहत. आंटी को नंगी दिखनेको उनकी गुप्तँग महसूस करने को दिल होने लगी. अंकल जी को बहुत कुछ की फिक्र थी.जाव अभी घर होते, हमेशा नयी ज़मीन नयी फ्लैट की बात करते थे.उनका स्ववाव कूल था और लोगों के कंपनी उनको पसंद थी. दोस्तों मेरा दिमाग तो आंटी की पास ही घूमता था. आंटी की बारे में क्या बताऊं उनकी सुंदरता और स्ववाव? मैं उनके किसी चीज़ की बारे बताके अपना पूरा जीवन खत्म कर सकता हूँ. सच में उनकी आंख बड़ी थी.केश घनी लंबी, 6आती टनटन और गांड काफी मस्त बड़ा था जो मुझे बहुत पसंद थी. मेरी आंटी दबंग्ग थी.उनसे कोई अभी आदमी गलत तरीके से पेश आनेकी हिम्मत नहीं कर सकते थे.वो अपने आपको शिहरती थी और प्रॅक्टिकल अभी थी. और वो मुझ से काफी प्यार करती थी.मेरा हर चीज़ की ख्याल रखती थी.लेकिन उसको जरासा अभी साख नहीं था की उनका इकलौता नादान बेटा की लंड उनकी लेने की चाहत करता है. जाव अभी आंटी की नज़र मेरे से हटजति थी तो मैं उनको घूरने लगता था. ज्यादातर आंटी पीछे मुड़ने की वक्त ही लंबा वक्त होता था आंटी को घूरने के लिए. इसलिए आंटी की पिछवादी हिस्सा मुझे अपना सा लगता था. अगर आप औरत की पीछे कुछ चीज़ दिखने चाहते हो तो और क्या चाहोगे सिवाए गांड. मैं अभी उनकी गान्ड को दिखता था. सारी में कसी हुई उनकी गांड अभी मुझको बहुत तरंग देती, काश एक बार ही सही उनकी सारी और पेटीकोट उठाकर उस मान मोहिनी को दिख पता. होता तो कुछ भी नहीं था लेकिन मूठ मरने के लिए घटिया सोच काफी थे.
*** साल की पूरा मेरा सेक्स चाहत माकी ऊपर ही थी. हर दिन दो तीन बार मूठ मरता था कवि तो 5 बार भी मारी होगी लेकिन वो साव आंटी के नाम पर ही थे. दोस्त लोग आप हैरान होंगे की दिन में 5बार मूठ .! मेरा दिमाग बुरी तरह से आंटी की तरफ आकर्षित होता था,और मुझे उनको कसके पकड़ने को दिल होता था तब मूठ इसका इलाज था. मूठ मरने की बाद कुछ देर मुझे आंटी बस आंटी लगने लगती. इसीलिए दिमागी उलझन को दूर करने के लिए मैं ज्यादा मूठ मरता था.डर अभी लगता था ज्यादा मूठ मारकर कही कोई हेल्थ में असर पड़ जाए. कवि कवि निचला वाला पेट खाली महसूस होता था,और बॉल फूला लगता था परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ.
हैरानी की बात तो यह थी की शायद ज्यादा लंड हिलने और मसलने से मेरा लंड तो काफी बड़ा हो रहा था. मैंने सुना अभी था किसी ने ससेंसे में यह कहा था.. कोई अभी चीज़ की ज्यादा पर्योग से उसकी बिकस जल्दी हो जाती है उसने क्या एग्ज़ॅंपल दिया पता नहीं लेकिन प्रूफ तो मेरा लंड ही कर रहा था.मैं अपना लंड दिख के मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश होता था आप तो जानते है की इसकी कारण, क्यों की बड़ी औरत की चुत अभी बड़ा होती है लगता था यह लंड खुदा ने मेरी आंटी के लिए बनाई है,यह सोचता तो लंड और उछालता था.
हर वक्त आंटी के साथ रहने की चाहा और उनको घूरने की तो नासा पड़ी थी. सुबह मेरी तव होती जाव आंटी की पायल की झाँक मुझे रूम पे सुनआदिटी. हर सुबह आंटी चाय टेबल में रख के मेरी माथे में छू के सहेलती तब ही मैं आंख खोलता. फिर आंटी बहुत प्यार से बोलती ‘सुबह हो गयी लाल,चाय पिलो’ जाव मुदके चली जाती तो मैं उनकी मटकते गांड की उछाल दिख के अपने लंड को सहलाते सोचता था’काश आंटी मेरी बीवी होती’ और काश हर सुबह मेरी जीवन की मेरी आंटी इसे ही रोसनी डालती, और मेरी आंटी कुछ देर मेरी पास सो जाती!मान में उनकी चुत और गांड की दिखने लालच हर दिन भी ड़ थी थी.सोचता था बाथरूम 6एड करूं या मोबाइल 6उपके उनकी रूम में वीडियो रिकार्ड करूं लेकिन यह साव प्रॅक्टिकल में ईज़ी नहीं थी क्यों की आंटी इतने आसानी औरत नहीं थी. वो मजा ही क्या मजा जहां डर ना हो.
आप लोग सोचते होंगे की मुझे अपनी इसे गंदी ख्याल आने पर मैं खुदा से क्यों नहीं डरा! इसकी जवफ तो आसान थी. हम लोग गयी को देवी मानते है और गये की बचे अपनी आंटी की चुत सुघ के हुकार हुआ मैंने बहुत देखा था और कही तो ऊपर चड़ा अभी दिखा था. बच्चों से यह जाना ताकि खुदा का मतलब प्यार है जो बिना नॉक्सन किसी के साथ किया जा सकता है.मेरा धर्म को में इसलिए आज तक अभी रिस्पेक्ट करता हूँ,लेकिन धंधे वालो के लिए धर्म बस एक आदरसा है पोलिटिकल वर्ड है और खुद को उछल दिखाने की ढोंग है खेद आती है और हंसी अभी उन लोगों को दिख के,साला जो इन चीज़ को नहीं समाज सकते है. मैं *** साल छोटा था लेकिन बेबकुफ़ नहीं.हाँ गिल्टी महसूस जरूर होती जाव आंटी का नज़र मेरे लिए कुछ और था और मेरा जो सांड की तरह ही था.
चलते चिजको बदलना मुश्किल होती है खासकर आप कच्चे है तो! हां मेरा साथ अभी ऐसा ही हुआ. मैंने अपनी 5 साल मूठ से ही गुजरदिया. जाव में *** साल का हुआ मेरी आंटी का अभी आगे 37 हो गया था. हैरानी की बात थी आंटी थोड़ी सी मोटी हुई थी जिसका असर उनकी गांड में दिख रहा था. आंटी तो और कामुक दिखती थी कोई 30 साल की मस्त खूबसूरत मादा जैसी. सच बोलू तो मुझे आंटी इतनी मस्त लगती थी की सोचटता खुदा ने चोदने के लिए रचना की है उनका. मुझ में अभी बहुत बदलाव आई.बॉडी स्ट्रक्तुरे बाप से अभी उछल और मोटा हो गया था. यह साव आंटी का हाथ की खाना और प्यार का कमाल था. और मेरी लंड की बात करूं तो दोस्तों मुझे कवि अपने को दिख के ऊपर इतनी घमाद नहीं हुई जितनी इसको दिखकर हुआ था. इतना मोटा और लंबा था की जैसे एवरेज हाथ उसको मूठ में ले नहीं पाते. लंड की जो कॅप था दिखने में अच्छा ख़ासा गोल मोटा पिंक आलू लगता था. जिस तरह आंटी की हाथ की खानसे मैं मोटा हुआ था शायद इसी तरह आंटी के नाम के मूठ और सहलाने से लंड अभी मस्त हुआ था. मेरी आंटी बोलती थी’अगर मैं मोटा हुंगा तो हेल्दी हुंगा और लंबी जीऊँगा इस बात से उनको मिलेगी’ मैं बोलता था ‘आप मेरी में अपनी दिखती हो और मैं अभी हमेशा आप को खुश रखूँगा आंटी’ यह बात सुनकर आंटी खुश होती थी लेकिन मैं हवस की पुजारी सोचता था ‘काश आंटी यह लंड आप के लिए पर्योग कर सकता’
आव मेरा उमर का साथ मेरा सोच अभी मेच्योर हो रहा था. मुझे मीठी सपने से ज्यादा हकीकत में जीना था. सोकता था आंटी की चुत पे एक बार लंड दलदु तो समझू मैंने जीते जीते जन्नत हासिल की. क्या आप अंदाज़ा लगा सकते है इसे चाहत को.हां जरूर अगर आप के अभी मेरे जैसे आंटी होठों! जी करता था पूरा दुनिया को उनकी कदमों में कर दम और उनको दुनिया की सहेजडी बनडु और अपनी गोद में बिता लू.
एक सुबह जावमा की पायल की झाँक सुनआडी देने पर मैंने अपना सर घूमलिया और नींद कीनटक की. आंटी ने चाय टेबल में रखी और मेरे गाल में हल्के से चूमि और बोली‘मेरा लाल उठ लो सुबह हो गयी’ मैंने जब आंख खोली तो वो अपनी मस्त गाँधिलते चल दी. दिल झूम उठा क्यों की मुझे आंटी की चुंबन अपनी गाल पर अच्चीलगी. दो दिन बाद अंकल आ गये. मुझे कुचखास नहीं लगी इसे बात पे लेकिन आंटी कुछ ज्यादा खुश थी. अंकल आतेही आंटी ओर्पिता की मिलन दिखने लायक थी. मेरी तो गला सुख रही थी. मुझे ऐसा क्यों लगकी काश अंकल नहीं होते तो!.फिर अभी हमेशा मैं आंटी की के साथ था. औरसामय मेरा साथ था,शायद खुदा अभी यही चाहते. वो शाम आंटी हर चीज़ जल्दी मेकर रही थी मैं आव समझ सकता था. मैंने अभी अपनी एग्ज़ॅम खत्म हो गया बोलकेउनको काम में हेल्प किया. दोस्तों शायद मोहोब्बत यही होती है मुझे आंटी को खुश दिखनबहुत अच्छा लग रहा था.मैंने मूठ मरते आंटी की रेप की बहुत कल्पना की हैलेकिन हकीकत में मुझे आंटी को रेप करना दुनिया में सबसे बड़ा पाप करना लगतता. मैं अपनी कारण से आंटी को देना चाहता था. इसलिए मैंने आंटी से कहा’मा अंकल हमारे साथ में हार्डिन रहजाये तो कितना अच्छा होता ना’ आंटी मुस्करा के बोले’हमेरा लाल लेकिन जिंदगी मजबूरी में जीने पड़ती है’ मैंने फिर बोला’आंटी आप दोनोको साथ में दिख के मुझे बहुत मिलती है’ आंटी ने मुस्कुराते बस इतनिबोली’मेरा लाल आव समझदार और जवान हो गया’. रात सोने के टाइम में सोचने लगामेरा अंकल बड़ा लक्की इंसान है जो उनको इतनी मस्त माल मेरी आंटी मिली है छोड़नेके लिए. सोचने लगा लेकिन अंकल बेबकुफ़ है जो घर कम आते है. मैं होता तोहेक पल साथ नहीं 6ओदता था. हूँ रात मैंने खुद को अंकल के जगह रख के आंटी की सतखब चुदाई की कल्पना की. मूठ मारना बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन पाणिनिकलते वक्त दिमाग में आंटी आंटी आया और पानी की धारा चोद दी. कल्पनाओ में विमैन बेटा होकर ही आंटी को चोदना चाहता था. उसका प्रूफ मेरा लंड का पानी नेदिका दिया. रात भर लंड हिलाते सो गया. कल का सुबह आंटी की पायल की झंकरसुन्ते ही मैं खुश हुआ. आंटी हार्डिन की तरह चाय टेबल पे रख के मेरी निडर पेचुमि और मेरे बाल सहलाते बोली’बेटा चाय पिलो’ और धीमी से चालदी. आजूनकी चलना कुछ आहिस्ता था और उनकी आवाज़ अभी खिसकी हुई थी. मैं सोचने लगजरूर अंकल ने रात भर आंटी को मस्त पेला होगा इसलिए आंटी सुस्ती पड़ी. मैंने जातेहुई आंटी की गांड को दिखके लंड मसलते लंबी सास ली और सोचा मुझे अपनी ख़यल्मे आंटी को चोदने से कोई रोक नहीं सकता. मुझे लगा अगर इंसान की खुद की कोई होठों बस उसकी कल्पनाए और ख्वाव है बाकी कुछ बस में नहीं. फिर मैं मान ही मान सोचता था क्या हुआ मैं अपनिमा को खुश रखूँगा अपने बस्तविक जीवन में चाहे मुझे जान देना पड़े. कशदाड़ को घर में रख के मैं काम लग्जाो और आंटी को यह जतासकु आप का बेटाअप के के लिए कुछ अभी कर सकता हूँ यक़ीनन मैं उनसे मोहोब्बत कर रहता शायद इसे महेसुसी हो रही थी. मेरा दिल इतना बड़ा हो रहा था दोस्तों कयबतौ. आव आंटी की चुत बस्तविक दुनिया में मिलनी नहीं है तो क्यों अपने आंटी के लिए ना जीऊ. अगर बस आंटी के नाम पर मूठ मारकर रहूँगा तो एक दिन जरूर पागलवली हरकत करज़ौंगा. आज दिन में आंटी उदास और थाकेली दिख रही थी इसकामतलाव मैंने कुछ और समझा. शाम को मैं अंकल को रूम में गया,बात चित के लिए. मेरा मख़साद था अंकल को घर में रूकौउ. अंकल ने मेरी स्टडी के बारे मेपुचताछ की बात जनरल हुई फिर मैंने अंकल को बोल दिया.’ अंकल आप घर में आंटी केसाथ रहिए हमारे पास क्या चीज़ की कमी है, मेरी फिक्र मत करिए अगर आप किखवाहिस कुछ है तो अभी बोलदीजिए मैं पूरा करनेके लिए कोशिश शुरू करूँगा अगर इसके लिए मैं आर्मी पे ज़ोइंवई कर सकता हूँ!’यह साव बात एकसाथ मैंने जोश में बोला. मेरा बात सुनकर दड़त्ोड़ा मुस्कराए और मुझको अपने साथ बेड में बुलाए. ‘बेटा बात तूने बारे वालीकिया है लेकिन गौर कर बोलना चाहिए. पहले बोल तू क्यों चाहता है की मैंघर में रहएजाओ. और तू बाहर चले यह तो फिर वही बात हुई मुझ से दूर होनेकी’. मैं बोला ‘ हां अंकल मैं बड़ा हुआ हूँ पढ़ाई इतना ही बहुत है. अगर आपमा के साथ रहेंगे तो आंटी बहुत खुषोंगी वो आप को बहुत याद करती है. आप के साथ आंटी बहुत खुश है’ अंकल नेलम्बी सास लिया और कहा ‘बेटा आज यह कहकर तूने मेरा मान जितलिया मुझे तुझेबहुत चीज़ बताने है. और मेरे जीवन की सारे कड़वाहट बतानी है. मुझे तू यहबता की क्या तू आंटी से दूर रही सकता है. सच में तू आर्मी जाय्न कर सकता है.मैनेतुज़े कवि किसी के साथ नहीं देखा मेरा जानकारी से आंटी ही तेरेलिए सावकूचहाई,और उस से दूर रहना वो अभी पहेली बार अचानक क्या तू अंदाज कर सकता है.मैं जातना हूँ तू मुझे अभी प्यार करता है लेकिन मुझसे दूरी तो पहले से है’मैंने हिम्मत से बोला ‘हां अंकल मैं जनता हूँ मेरे लिए आसान नहीं है. आंटी कहतो की खाना और उनकी केरिंग को त्यागना मुश्किल है लेकिन जाव में यह चीज़ उस्मा के लिए ही कर रहा हूँ तो इसमें मुझे खोने की कुछ फिक्र नहीं है.’अंकल ने बादीलंबी सास लिए जैसे उनको चिंता हो गयी और बोले ‘बेटा तूने अंकल का मान को जितलिया. मुझे गर्व है तू जैसा बेटा मिला मुझे. मुझे तुझ से और बात बतानी हैलेकिन तेरे बात से आव वो खास नहीं रही. चल यह बार मैं 1 महीने के बदावँगा.जाव मैं रिटर्न .आऊंगा तो पूरे घर के लिए तव तक तू कुछ मत करना.मैं बताऊंगा तुझे क्या करना है. आज तूने मेरा मँको शांत कर दिया.’ वो बतसे मुझे लगा अंकल अभी आंटी के साथ रहना चाहते है जिसके लिए वो सेल्फिशदिखने लगे मुझको फिर अभी अंकल की बात मुझे कुछ उलझे से लगे. मैं तो आंटी के लिए कर रहा था की वो खुश रहे.
अंकल इसे बार जल्दी चले. आंटी तो और निरासलगी. शाम को अंकल जातेही आंटी ने खाना तैयार की. आंटी कुछ ऑफ मूंड़ में थी. माकूछ नहीं बोल रही थी और में अभी चुप रहा. कल की सुबह आंटी ने टेबल मेरी तबलेचाए रखी और मेरे बाल बहुत देर तक सहेलाइ. आज वो मुझे नहीं चूम रही थी इसका मुझे खेद रहा. लेकिन वो आज मेरी बेड में बैठी थी. मैंने गौर कियामा उदास थी. मैंने आंख को पूरा खोल के बोला’आंटी क्या हुआ?’ वो कुछ ना बोली.मैंने फिर बोला’आंटी आप उदास क्यों होती हो,अंकल आएँगे प्लीज़ आंटी मुझे आप को इशूदसीपान को दिखना बहुत मुश्किल होती है.’ ऐसा बोलते ही आंटी एक छाँटा मुझकॉएसा मारा मुझे दर्द हो गयी. मर मुझे पड़ी थी पर आंटी रोने वाली थी. मुझेकुच समझ में नयी आया. मैंने कुछ सुलझे बिना झट से बोला ‘मैं क्या करूमा मैंने कोशिश की लेकिन अंकल ने मेरी सुनी नहीं. ‘ मैं अदक के बोल रहा तज़ैईसे रोनेवाला हूँ.आंटी ने ‘ बस कर मेरे लाल’ बोलकर मुझे गलियां देने लगी ‘तुखुद को क्या सोचता है,तू इतना बड़ा हो गया की मेरी चिंता अभी से उठा ले. तुझेठ़ो चाय कैसे बन जाता है वो अभी मालूम नहीं है,और इतना बड़ा बड़ा बातें कार्डिदाड़ से.’ आव बात मुझे समझ आ गाई साव अंकल का किया हुआ था. आंटी बोलटेही जारही थी कवि एक दिन घर छोडा है तूने! बड़ा आ गया आंटी को प्यार करने वाला.मैं अपना दर्द वारा गाल को सहलाते बोला..’अरे आंटी घाव्रती क्यों हो अंकल मेरएकोसव बतायांगे.’मेरे रसीले आंख मैं दिख के आंटी तो कूद पड़ी. मुझे बांहों में लेकेमेरी गाल में चुम्मा के इसे बारिस करदी मैंने साव दर्द उल्गया. आंटी ने प्यार सेकहा‘बस कुछ नहीं करनी है तुझे मैं कोई थोड़ी तेरा अंकल के नहोटे मरने वलिहू.तू क्या सोचता है की तू मेरे लिए कोई महीने नहीं रखता है. तू कोई आसमन्से गिरा है! अगर तूने इसे बात कवि सोच अभी लिएगा ना तुझे मेरी कसम मेजान दूँगी.’ दोस्तों मैं ज्यादा एक्सप्लेन नहीं कर सकता उस समय मेरा माइंड और मंकिस तरह चल रहते. आप लोगों को अभी समझना मुश्किल हो गया होगा. आंटी किस हड़त्ाक मुझे प्यार करती थी जैसे की मैं उनकी दिल की टुकड़ा हूँ. एक बात सच बटौउतो हूँ महसूस काफी अलग था और कॉंटरोलएशस. मेरा अंतर्मन अंतरंग रचने लगा.मेरे बदनौर मान दिमाग में ऐसा कोई हिस्सा नहोगा जहां तरंग नचला. मैंने आंटी को पीछहत से सहलाते बोला’बस करो आंटी अपने हद करदी. नहीं होने मुझे आर्मी मुझे किसकी परबाह अभी नहीं है. बस आप ही मेरी जिंदगी हो आपको नीरस नहीं करना हैईमुझे. मुझ से जान डेनेकी बात मत करना फिर कवि. ओह! आंटी ’ बोलकर मैंने भी उंकीचहेरा पे चूमना शुरू कर दिया. जाव दोनों तरफ से हवा चलती तो चीज़ काहौड़ती है किसको पटा! हमारी लिप्स टकराई मैंने बिना दिक्कत होते हुए उनकोचुसलिया और मैंने उनको और खींचा यह बिलकुल गलत था. मेरा अंतर्मन कुछ ग़लतचह रहा था. आंटी की स्वास तेज चली और उन्होंने फाटक से अपने को अलग करदी.शायद उनको अंदाज़ा चला गया क्या होनेवाली थी. क्या कोई इंडियन आंटी बेटे सएचोड़ने की ख्याल कर सकती है ,बिलकुल नहीं,चुंबन ही ज्यादा था इंडियन आंटी के लिए. मैंने खुद को गली दिया बेबकुफी के लिए लेकिन आंटी अभी तो समेल थी इसलिएेतोड़ा राहत मिली.
आंटी फाटक सेचआलदी. मैंने अपनी पैंटी बहुत टाइट महसूस किया. पैंटी नीचे करके दिखा टोमैन दिखता ही रहेगया. मेरा लंड किसी घोड़े का तरह दिख रहा था. लंड कीकअप में पानी थोड़ा निकल रहा था. काश आंटी की चुत ने अभी इसे हरकत कार्दिहटी. आप को मेरी बात झेलना मुश्किल हो रहा होगा. जाव आदमी मान और दिमाग की एकसाथ बातें करता तो कन्फ्यूज़न बाद जाती है. मेरा दिमाग तो डर रहा था किकही इसे हादसे के बाद कही में अपनी पहेली वाली आंटी अभी ना खो जा. पहले तोमुझ्े मूठ मारना जरूरी था. मूठ मरते मैंने आंटी को कुतिया बनकर अभी चोदा. कल्पनाओ की कोई हद नहीं थी इसलिए मैइनेउनकी मोटी गांड अभी मर्डिया. वो दिन यही उलझन में फसगाया क्या होनेवाली है.इतना इमोशनल होने के बाद मुझे यह गुमसूँ अच्छी नहीं लगी. क्यों ना पहेली वालिमा को हासिल नकरू जो तो हुआ हुआ. जब आंटी खाना बना रही थी तब मैंने बोला‘मां मुझसे हुई गलती के लिए मुझे माफ करना’ आंटी ने लंबी सास लेकर बोली ‘नाबेटा तू बड़ा हो गया है मुझे क्या मालूम तुझे किस करना अभी मालूम है. मैंजांटी हूँ किस उसको किया जाता है जिसको हम प्यार करते है. हम इमोशन मेखोगआय थे. मेरा अपना लाल प्यार से चूमा तो इस्मी माफी की कोई बात नहीं है,माफ़ीमैगने वाली कम तो तूने अंकल से किया था.आंटी ने बहुत नॉर्मली बात बोला जैसे की बात कुछ अभी नहीं हो.’ सॉरी आंटी मैं आवसे ऐसा बात नहीं करूँगा’. आंटी ने ऐसा नहीं बेटा यह कोई बड़ी चीज़ तो नहीं लेकीन्मुझे अजीब लगा,अंकल तो पहेलेसए आर्मी में है. मुझे आदत पड़ी है झेल सकतिहू, तू मुझ से दूर कैसे हो सकता है. ऐसा होना ही नहीं चाहिए.’ मैं समझचुका था. बात ठीक लगी अच्छी अभी लगी. वो पहले किस की पल मैं उला नैसाकता हूँ. खैर फिर मैंने आंटी को नॉर्मल पाया. अंकल और आंटी को एक करने चक्करमे मैं खुद आंटी के साथ एक होने वाला था. मैंने सुना था अगर तुम दूसरों कियच्चाई सोचोगे तो खुदा तुम्हारा अच्छा करेगा आज प्रॅक्टिकल लगा. मैं सोचनेलागा अंकल का और मेरा प्लान में पानी फिरगया इसमें साव गड़बड़ी अंकल ने कर दिया जो कीमा को कन्विन्स्ड करे बिना रिटर्न चले. फिर नॉर्मल चला.
अगर कुचलग चीज़ होनी है तो कुछ अलग सा हादसा और सदमा जरूरी है. आप क्या समझे! मेरा साथ ऐसा ही हुआ. 1 मंथ बाद अंकल की लटतर आई. आंटी के लिए और मेरे लिए अलग अलग. हम दोनों अपनी अपनी रूम में छलके पड़ने लगे. मेरे लिए लेटत्ेरपहेला था अंकल के तरफ से शायद आर्मी जाय्न के लिए संदेसा आया बोलकर मैनेलेत्तर पड़ने लगा. मैं शॉक्ड हो गया. ऐसा लग रहा था मैंने आज अंकल कोपेहेचना वो अभी लेटर से. लेटर पड़ते पड़ते ऐसा लग रहा था में सास लेनउुल्जौ. लटतर खत्म होतेही मैं नीले और बहुत गहेरा समंदर के नीछेपहुचा. आख़िर आंटी की चुत मेरे लिए खुल ही जाएंगे. अंकल का गये 5 साल सेआपनी जाँघ में लगे चोट के वजह से सेक्स बिफल थे. उन्होंने अंतिम बार इलाज किकोसिस करने पर अभी हो नहीं पाया. अंतिम बार उन्होंने आंटी को अभी बताया था जिस्किवाजह से आंटी काफी उदास हो गयी. मैंने याद किया आंटी का उस दिन का सुस्ती पान वजहयेह था.उन्होंने बताया की मैं आंटी को खूब प्यार करता हूँ. और अंकल ने ये अभी कहाकी आव अंकल आनएसए आंटी और उदास दिखती है इसलिए वो घर अभी नहीं आना चाहते. एकमस्त औरत को पति आनेका पहले जो होनी चाहिए अंकल का पास हूँ नैयरहा.अंकल ने इसे बात को सम्हालके लिखा’बेटा मैं शायद आव नहीं जीऊँगा अगर जियू तोवी कवि दिखा नहीं दूँगा. मुझे तेरी आंटी की उदासी दिखा नहीं जा सकती. आव तेरी माकी तुझ पर चोदता हूँ. मैं इसके आगे कुछ नहीं कहेसकता. हां मैनेरेतुर्न आते वक्त तेरी आंटी को बताया था की तू थोड़ा नालयक जरूर है उसके लियेकूच अभी कर सकता हूँ. आज का लेटर में क्या लिखा हूँ तेरे को जल्द पता चलेगा.माफ करना बेटा आज की लेटर में अभी मैंने तुझे नालयाल लिखा हूँ. बेटा मैनेमा की लेटर में जो कुछ भी लिखा हूँ मेरी तरफ से लिखा हूँ. बस तेरा आगे जोकुछ भी आना है तुझे हैंडिल करनी पड़ेगी. अगर आंटी तुझे नालयक बोलेगी तोसे दर्द वारी प्यार देना जो कीमती है. मेरा घर संपाती तेरी है और आंटी किखूसी की जिम्मेदारी अभी आव तुझे देता हूँ. समाज में इज्जत को कवि कम नहीं होनदेना. मुझे मालूम है तू कर सकता है क्यों की तू अपनी आंटी बहुत प्यार करता है.’मुझे अंकल अच्छा राइटर लगे. उनकी दुःखद घटना के बारे में पता होकर मुझेफ़िकर हो गयी. सही में अंकल सही थे. मैं उनको प्यार करता था लेकिन क्या होनेजराहा है कुछ पता नहीं चलराहा था. में सोचने लगा आंटी की लेटर में क्यलिखे होंगे. अंकल की कहानी यह दुःखद अंत थी लेकिन मुझे लगा यह मेरी कहानी सुखद शुरूवात थी. लेटर पड़ पड़ते मैं सोने लगा सोते वक्त मैंने आंटी कोडद ने लेटर में क्या लिखे होंगे बोलकर सोच रहा था. सोते मैंने इसी बारएमएसपना दिखा. आंटी की लेटर में अंकल ने लिखा था की मैं आंटी से मोहोब्बत करता हुओो अभी इश्क वाली. और उन्होंने लिखा था की मेरी लंड किसी घोड़े की तरह है.यह अभी कहा की आव बेटा को तुम सावकुछ मनलेना अपने पति भी. लेटर पढ़कर माकी रगड़ती चुत झूम उठी. और सुबह चाय के साथ मस्त बनकर आई. मुझसेसरारत करके कहने लगी तुमको अभी ऐसा कुछ लिखा है ना! हां आंटी ऐसा कुचबोलके मैंने उनको अपनी और खिच लिया और उनको नीचे ला कर तरीके से चुदाई की.मुझे यह बकवास सपना रियल लग रहा था जाव की आंटी सपनों जैसे उतावली कवि थी ही नहीं.
सुबह माकी पायल की झाँक सुनकर मान में आनंद मिली. मेरी अंतर मान बहुत खुश तमगार दिल में बहुत सवाल आरहे थे. वो सुबह अलग थी. आंटी ने टेबल पर छायरख़् दी. और चुपचाप मेरे बेड में बीती. में आंख बंद कर के उनकी चूमने किँतेज़ार कर रहा था. देर तक चूमने की कोई संकेत नहीं मिली तो मैंने आखेखोलदी. आंटी उदास थी. मैंने पूछा आंटी आपने मुझे जगाया क्यों नहीं? आंटी कुछ बोलनएकोसिस कर राई थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी. उनकी उलझन मुझे अजीब लगी. सयाद्दड़ ने कुछ लिखा लेटर में जिस से वो इस स्थिति में थी कई मेरी सपना कीतारह तो नहीं, नहीं ऐसा हो नहीं सकता. मैंने अपना सर उठाया और चाय पीना उचित्संजा. चाय लेते मैंने इसे बोल दिया’आंटी मुझे आप की उदासी बर्दाश्त नहीं होती.क्याहुवा बताओ ना.’ मैंने अपने लेटर की बारे कुछ नहीं कहा. आंटी इतनी ज़ोर से मेरेबाहोमे टूड पड़ी की मेरा हाथ से चाय उछलके नीचे फर्श पर गिरा. मैंने छाएसांहलने की कोशिश में अपना हाथ गरंचाए जलदिया.मुझे बहुत दर्द हो रही थी. शीशे की गिलास जोरदार आवाज़ देकएफर्श में टुकड़ा टुकड़ा होकर ठूटगया. लेकिन यहां कोई बड़ी बात नहीं थी हलकी मेरिहत में जलन बहुत था और आंटी की हालत बहुत खराब थी. उन्होंने मुझे बाहोमेलएके अपनी सर मेरी कढ़ में रख ऊंची स्वोर्मे रोना शुरू कर दिया.मैंने अपनी हाथ से उनकी पीछे सहएलाया. उतना बड़ा लंड होने का मालूम होकर अभी मुझे आज पहेलिबर बड़ा होने का एहसास हो गया था जाव आंटी ने मुझे नाम से पुकारा’जग्गुटूम्हारा अंकल हमें चोद के चले,’ आंटी और उछाल के रोपड़ी. मुझे क्या कहना हैसमझ में नहीं आया. मैंने आंटी की तड़प को दिलासा देते बोला’नहीं आंटी ओह आएँगे.’आंटी ने बिन रुकी आवाज़ से बोली’ ‘जग्गू उन्होंने कसम कवि नहीं थोड़ा है. वो फीरलौटके नहीं आएँगे.’ मैं आंटी को सहलाते बोल रहा था.’उदास मत हो ना आंटी.’आंटी रोते रोते बोल राई थी..आव मैं क्या करूं जग्गू.’ मुझे आंटी की रोना बर्दस्तनाई हो रहा था. मैंने बोला की मैं अंकल को दूध लौंगा’ आज से ही मैं निकलूंगमा आप फिक्र मत करो,आप समझना आप का यह बेटा घर लौटेगा तो अंकल केसाथ नहीं तो कवि नहीं.’ ‘मेरे लाल बोलकर आंटी ने चूमना शुरू कर दिया. उन्होंने एक बार मेरी आखोने में गहेराई सेदिकी. उनकी आंख आंसू से लाल दिख रहा था. ‘जग्गू तुम क्यों इतनी जल्दी पीगलतेहो,.मैं नहीं समझा.. तुमने अंकल से मेरी फिक्र ज्यादा दिखाया उन्होंने बोला तटेरा लाल तेरी एक इसारएमए जान देगा. आख़िर क्यों इतनी ज्यादा फिक्र तुम्हें मेरी’दोस्तों मैं एक्सप्लेन नहीं कर सकता उस वक्त मेरा महेसुसी. मेरा दिल उवार उठा.मेरा आंख से आंसू आ गया. मैं रोने लगा और बोलना शुरू किया’क्यों फिक्र ना करुआप की,आप मेरी आंटी हो. मैं आप को खुश देखना चाहता हूँ,आपने मुझे संसर्दीखाया आप के लिए जान देना मेरे लिए गर्व बात है, अंकल को ढूड़ना कौन सी बताई.बस इतनी सी बात तो है.’ क्या आप सोच सकते है क्या हुआ उसके बाद. आंटी नेमेरी बाल को नोंच लिया. मेरा सर ऊपर हो गयी फिर अभी उनकी चहेरेको दिख सक्तता. और आंखें में आंखें डालकर घुसे से बोली’मैंने तुम्हें पहले अभी बोली की मुझसेदुर होनेकी बात कवि नहीं करना लेकिन जग्गू ..ओह मेरा लाल..’ आंटी रुक गयी और्लंबी स्वास लेकर मेरे सर अपनी तरफ खींच के चूमते बोली’मेरा लाल तू सचमुछबाडा हुआ है. आंटी की गुस्सा और अचानक की प्यार ने मेरी दिल में तहेलका मचड़िया. सुबह मीठी सपने से मुझ से अभी पहला सीना टाँके खड़ा मेरा लंड कुचपेहेले तो मुज़रा गया था आव वो अभी औकात में आकर अनहोनी का संकेत कर डियता. आंटी मुझे चूमते जा रही थी. आव हद हो गयी थी. बरसों से थमा ठंडी बदलाज गरज गरज के बरसनी थी. मैंने आंटी की बाल को पकड़ के उनकी सर को अलग्किया. और जिस तरह से उन्होंने कुछ देर पहले मेरा सर को नोंच लिया था. मैिनेवी वही किया.हमारी आंख मिल रही थी. आंटी की लाल ओत काप रही थी.मैंने अपनदिल को खोल दिया. आप क्या सोचती हो इसे घर में सिर्फ़ अंकल ही आपको चाहतेहैई,प्यार करते है,और आप की फिक्र करते है..इसका आगे मुझे कुछ नहीं सुलझबास उनको चूमना चाहा. चुम्मा चुम्मा बहुत हो गयी थी. इसका आगे लिखना मुझहेबहुत मुश्किल हो रही है. वो महेसुसी और पागलपन को में कैसे लेखु जाव की उस वक्त मेरा होश अपना जगा चोद रहा था. चूमते चूमते हम और बांहों में कसे गाएेते किसी दो प्रेमी की तरह. काव से मेरा अंतर्मन मुझ पे ज्यादा हावी हुआ पताही नचला. मैं आंटी को अपनी बिस्तर पर लिटने को कोशिश कर रहा था. आंटी वीपयर में बहेक चुकी थी इसलिए उन्होंने इसबार अपना लिप्स को मैंने चूसने पर विकोइ अवरोध नहीं की. यह काफी देर तक चला. मेरा दिल उछाल रहा था जाव मैइनेतंलिया की आज मैं आंटी की अंदर घुसने जा रहा हूँ,मेरी लंड पैंटी की अंडरकसमसाया. आंटी की बाल खुलगया था. उनकी सारी का पल्लू ने जगा पहले से छोड़देती. मेरा हाथ उनकी चूची महसूस करने पे जुट रहते और मेरा पर उपर्णीचे करके उनकी सारी ऊपर करने में जुट रहे थे. मेरी घूँट के कोशिश से सरीऊपआर अभी हो रही थी. मेरा दिल तेज चल रहा था और दिमाग चला ही नहीं रहा तबास अंतर्मन ही साव कर रहा था. कुछ देर बाद मैंने आंटी की चूची को नंगी कारपाया आगे स्तनों से लेकिन सारी बस उनकी घूँट की ऊपर ही कर पाया. मेरा लूंडबेटाव होरहता. मैंने अपने हाथ के सहायता से आंटी की सारी और पेट्तीको कुचज्यदा ऊपर कर दिया लेकिन मैं एकदम नीरस हो गया आंटी ने तो चड्डी अभी पहेंरखी थी. कुछ और वक्त लगी आंटी को इधर उदर हिलाते और चूमा लेते उंकीचड्डी निकालने को पर इसी दौरान मेरी हाथ ने आंटी की झांटे महसूस किया ताओर दिल ज़ोर से धड़क रहा था. चड्डी को मैं पूरा निकलना चाहा रहा था ताकिमैन उनकी टाँगे फैला सुकून. मैं खड़ा होकर निकालने को सोच रहा था ताकि मैं अपनी सपनों की सहेजडी की नॉवब बनकर चुत अभी दर्शन कर सुकून. लेकिन मैंने शायद शर्म से मेरा सार्को डाओच लिया शायद उनको अंदाज़ा था मेरा सर उठनेसए मैं उनकी चुत दिखूंगा. चड्डी नीचेतक मैंने अपने पर से किया. आव मुझेसबर नहीं था. मैंने अपनी पैंटी को आगे से नीचे खींच के मेरा लंड निकाला.लुंदसर हिला हिलाकर आंटी की चुत दूध रहा था जिसके साथ मिलने के लिए उसको 6 सलींटेजर करना पड़ा. सच में मेरा लंड को अभी पता था सवार का फल मीठा होताहै इसलिए वो अभी झूम रहा था. जाव मेरा अंधे लंड ने आंटी की झट को महेसुसकी तो उसने मेरी कमर नीचे जोड़ से खिच दिया. जाव अंधे लंड ने गलत निसनेलगाई तो आंटी की निकलते हुई आवाज़ थाम गई. लंड ने चुत की गीलापन महेसुसकिया तो मैंने अभी जान लिया आंटी की चुत अभी मेरे लंड के लिए चिकनी बनकर मारखाने को तरस रही थी. आव मैं इसी स्थिति में था अगर खुदा मेरे जान ले विलेटे तो अभी मैं आंटी की चुत में लंड घुसा देता था. इसकी कोई कीमत नहीं थी. अंधेलुँद बर्बर निसना चुका रहा था. मैंने हाथ की सहायता से आंटी की चुत की वॉहजगा ढूड़ने की कोशिश की जहां से पूरा मैं निकल आया था. अजीब बात थी मैइनेऊंगली से चुत को फैलने की कोशिश की तो आंटी काँप पड़ी उनके मुंह ने आहें वरलिया. ऐसा असर मेरे लंड ने 6उते वक्त अभी किया नहीं था. मुझे उनकी चुत किउपली हिस्से पर अजीब सी कुछ कड़क और उठा हुआ चीज़ महसूस किया. मुझे उसेपकड़ने की न जाने क्यों बहुत दिल हुई. चुत की हर हिस्से बेख़बर मेरा लूंदफुल्ा जा रही थी. जाव मैंने उसे हाथ लगाया तो आंटी ने जल्द इसका अवरोध कियओर मुझे धीमी से नालयक बोलकर मेरी हाथ को अपनी चुत से अलग कर दिया. हेयभागवान आंटी की मुंह से नालयक सबडा सुनकर मुझे अभी बात थोड़ा बहुत समझ मेआगेया अंकल ने मुझे इसी बात की जीकर कीटि. आंटी को खुश करनेको अगर मानालायक बोली तो उसे मीठा दर्द देना. क्या टाइमिंग थी. जरूर दूँगा मीठी दर्द. मेरा लंड बेचैन हुआ. मैंने सोचा क्यों नचूत की उस हिस्से को लंड से महसूस करूं पहले. मैंने लंड को उस हिस्से पेघीसना शुरू कर दी दरअसल ओह आंटी की दानी थी.आंटी आहें वारने लगी. मुझे इतनेमज़ा लगा की कई में घुसे बिना बाहर की रास्ते से निकल ना जाओ,फिर मैं रुक गया. मैं तक चुका था उनकी गुप्त अमर्टद्वार ढुड़ते. मैंने कान मेफुसफुसाया’आंटी प्लीज़! आंटी समझ चुकी थी बेटा का लंड ने उसकी मुंह खोलदिया.और जाव अभी मैं बहुत जरूरी चीज़ आंटी सेमगा करता तव आंटी से प्लीज़ बोला करता था,छोटी मोटी चीज़ तो मुझे आसानी सेमिलता था इकलौता बेटा होने की कारण.यह बात को आंटी अभी जानती थी बेटा बहुत दिलसे उनकी चुत की छेद चाहता है. इसलिए उन्होंने कोई देर नहीं की. एक पल में हिमुझे अपनी लंड की ऊपर हिस्से में आंटी की दो उंगली महसूस हुई. मैं काप उठाकस मुट्ठी में लेती. उन्होंने लंड कुछ आगे खींची और चूतड़ उठाकर थोड़े अपनियाप को नीचे की. मेरा लंड ने उनकी चुटकी दरार महसूस की. आंटी में मेरे लंड को मुट्ठी में ले बिना अपनी हाथ अलग की.उन्होंने अपनी हाथ को मेरी पीछे ले जाकर मेरी पैंटी को पीछे से खिसका दी ओरमेरी गांड में अपने हाथ से थोड़ा सा थपथपाई. आप नहीं जानते मुझ पर इसका असर्कया बीती. आंटी की इसे हरकत ने मुझे मेरी बचपन की ताजा याद दिलाई. मुझेपीसाब करना हो और टट्टी करना हो, आंटी जाव मेरी चड्डी उतार देती तो मैं पहले कूचनाई करके ऐसा ही बिता करता था. इसे हलद में अक्सर आंटी ‘जल्दी बेटे’ बोलकेमेरी गांड थपथपति. न जाने क्यों इसका मुझ पर बहुत असर था. कई बार तो माको दो तीन बार ऐसा करनी पड़ती.बारे होते पर मुझे इस्क एहसास अभी हुआ था कीमा की थपथपाई की मुझे काफी आदत पड़ी थी. मेरा बदन उवार उठा मैनबचपन में खो गया था. मेरी गांड में दूसरी ठप तपाई मिली तो मेरी सर घूँगाया. आंटी अभी ओह बात वूली नहीं थी,दूसरी हरकत का मतलाव था मैं देर कर रहहू, मुझे कन्फ्यूज़ नहीं होना चाहिए मुझे ओही करनी है जो करने के लिए आंटी नेमेरी चड्डी नीचे की है यहां बात पेशाब की नहीं थी. मैं पूरा जोश में आ गया.मेनेज़ल्द ही आंटी की कान में ‘ओह मेरी आंटी!! बोलकर कमर को नीचे दबाव दिया. हम दöनॉकापे.
मेरा लुंदजालदी में था. मैंने आख़िर और एक जोरदार शॉट मर्डिया. आंटी चिल्लाई’ ओह जग्गू!मैंने सबसे बड़ी माउंट एवरेस्ट पे झंडा गाड़ लिया था मेरा शरीर पूरा उभरूता. मैंने पालिया मैंने जन्नत पालिया हां पालिया मैं में था प्यार मेटा बचपाने पे था और चुदाई में था. मेरा खून और गरम हुई. जिस चुत सेमैन निकला था आज उसी चुत ने मेरा लंड मुश्किल से ले पा रही थी. मैं कुछ रुका. मेरा आ घोड़े जैसा लंड फिर वियाधा बाहर था. मैं रुक के आंटी की इशारा की शावर करने लगा. मुझे पेलने कीड़िल खूब हो रहा था. आंटी ठीक होना? मैंने आंटी की फिक्र की. मुझे धीरे धीरे माकी रोने की आवाज़ सुनाई दी,मुझे गुस्सा हुआ मैं घुसने को जल्दी की यह जांतहुई की मेरी लंड किसी घोड़े से कम नहीं है चाहे कितनी भी बड़ी चुत हो.हलकी आंटी की चुत इसे ही 6 साल से बंद थी. मैंने आंटी की खातिर घबरा केबोला’आंटी मैंने यह क्या किया आप को रूलदिया.आंटी मुझे माफ करिए’ बोलकर मैनेलुँद बाहर निकालने लगा. आंटी ने फाटक से मेरा गांड को ऊपर होने से रुका और एक ही सास में बोली रोते आवाज़ में बोली ‘बहुत हो गया तेरा प्यार’उन्होंने मेरा बाल कोखिच और सर उत्ाड़िया. मैंने भारी सासो से बोला ‘मां मुझे आप की दर्द बर्दस्तनाई होती.’ मेरी यह बात ने और तहेलका मचा दिया. आंटी ने मेरी बाल को सहेलत्ेओर आंख में आंख डालकर अपनी छाती हिलाते बोली ‘अगर खुश कर देना चाहता हाइतो वो दर्द दे जो दर्द तेरा अंकल 6 सालों से देनाइ पाए,वो दर्द दे जिस से मैंटेरी पैदा होने की पल भूल्सकु.’ ऐसा बेशरम शब्द बोलते बोलते आंटी ने अप्निसर उठाकर मुझे चूमने लगी. अब मैंने आंटी की एक नसूनी. लंड को पूरा दबाद देटेूनकी चुत में और घुसाड़ने लगा. आंटी ने मुझे जोड़ से बांहों में खिच लिया. आंटी किचूत में पूरी लंड घुसने के लिए. मैंने उनकी कंध को नीचे दबाव दिया ओरबोला ‘आज आपकी लाल आपकी वो हालत करड़ेगा जो किसी रंडी ना हो’ मुझे जोश मेआपनी मुंह से निकली शब्द से और अभी जोश मिल रहा था. मेरा लंड की दबाव इतनी हुइथि की आंटी की बदन ऊपर हिल रहा था. मेरा हाथों की दबाव से अब लंड का धक्कका असर पूरा चुत की अंदर पड़ रहा था. मैना और एक बहेरेमी से झड़का मारा.लंड पूरा जड़त्ाक समा गया. आंटी चिल्लाई…मारगाई….ओईए माँ…मुझे रहएमारहता लेकिन क्या करूं आंटी मुझसे दर्द ही तो चाह रही थी. मैंने बिन रूकेधहाक्का देना जारी रखा. मैं पागल हो रहा था. आंटी मुझे रोक बोल नहीं पा रही थी लेकिन मेरी कंध अपनी दाता से काटने लगी थी. मैंने इसकी परवाह नहीं किबाल्कि और मरने लगा, उनकी चुत की गर्मी और नर्मी का साथ उनकी चुत की कसीककया मजा डर रही थी और मैं चुच्हिमसालने की मजा अभी लेरहता. मुझे कढ़ पे दर्द हुआ तो मैंने आंटी की सर को पकड़ के पीछे खींचा और आंटी को देखा.आंटी की आंख में आंसू भारी थी. मैइनेउनको देखा. आंटी फिर अभी बहुत खूबसूरत दिख रही थी. उलझे हुए बाल ओरबेचैन भारी और तड़प हुई उनकी चहेरा मुझे अच्छा लग रहा था. मैंने उंकीकान में जोश से फुसफुसाया: ‘मां ई लव यू’. आंटी ने धीमी से कहा ‘मेरा लाल आज़दिखा तू कितनी प्यार करता है अपनी आंटी को.’ इतनी दर्द को आंटी ने सहलिया. माकी मुंह से इतनी गाँधी मतलब वाला शब्द सुनकर मैंने लंड को इतना तेज और अंदर तक छलके एसचोड़ा पूरा रूम उनकी चुत में पड़ी मेरी लंड की मर की आवाज़ से गुज़्ने लगा.मैं इतना लंबा टिक पाऊँगा मैंने सोचा ना था. आंटी अभी अब गांड इसे उछाल उछलकर मेरी लंड की तरफ ऊपर डर रही थी की जैसे वो अभी अपनी प्यार दिखा रही होबेतएके लिए. मेरा रफ्तार और तेज हो गया. मैं आंटी को किस कर रहा था हमरजुबान लार एक हो चुका था. मैं उनका मस्त दूध दोनों हाथ से मसल रहाताओर नीचे चुत और लंड की मिलन बहुत जल्दी जल्दी हो रहा था. आंटी ने अपनी दोनोटंगे से मुझे ऊपर से अभी घर लिया था ताकि मैं अलग ना हो जा.मुझसे रहनगया. पानी की धारा बहने लगा. पानी बहेते बहेते मेरा लंड ने फिर अभी खुद ही धीमी धीमी से आंटी की चुत मेडो तीन गहेरी शॉट मारा और पुरपिचकारी निकाल दिया. आंटी ने अभी मुझे अपनी पर से जकड़ के अपनी गरम रस निकल दी.मैं उनकी ऊपर गिर्पाड़ा. ऐसा लग रहा था मुझे हवा कम मिल रही है.आंटी की अभी कुछ इसे ही हालत थी. मेरा लंड उनकी चुत में मारझा गया.
मेरी आंटी कब चल पड़ी मुझे पता भी नचला. मैं सो चुका था. इतना पहेबार मैं ताकता. मुझे लगता है दिन रात काम करने वाले भी इसे तरह नहीं तक सकता है. मुझे पेशाब की दबाव अपनी लंड पर महसूस हो गया तब मेरी नींद जागी. मैं जगा और अपना होश संभाला. मेरी लंड दिखने लायक था. चुत और लंड की लार सुख के सफेद रंग की दाग से धक्का हुआ था और लंड की कॅप बंद हुआ था. मैंने लंड की कॅप खोलने की कोशिश की लेकिन बहुत दर्द हो गया. बेड पे आंटी की बाल थे बेडशीट इतना गंदा मैंने पहले कवि नहीं दिखता. हमारा लार से पूरा दाग फैला हुआ था और चादर तकिया का कोई ठिगना नहीं था और तो और मेरा बेड भी वॉल पे चिपका हुआ था. मैं मान ही मान सोचने लगा इसे बेड की हालत तो सुहागरात का दिन भी किसने किया ना हो. मुझे यह चीज़ सपने जैसे लगा. मैं सोचने लगा आंटी कैसे चली होगी यह रूम से उनको तो बहुत दर्द हुवता. यह सोचतेही मेरा लंड जागने की कोशिश की लेकिने मुझे दर्द का एहसास हुआ ऊपर से पेशाब का अभी दबाव था तो मैं बाथरूम चलगे.
मुझे ऐसा कवि नहीं हुआ था. लंड से पेशाब भी बहुत मुश्किल से निकला. मुझे अपना लंड को दिख के दया आ गया. मैना बाथरूम के शीशे में अपने आप को दिखा. लग रहा था मैं पूरा एक हफ्ते से सोक जगा हूँ. मुझे नहाना चाहिए. मैंने बल्तीं में पानी भरने की सोचकर बल्तीं देखा. बल्तीं में मुझे आंटी के वही कपड़ा मिला जो उन्होंने हमारी चुदाई पे पहेनीति. जरूर हमारी रस उसमें भी लगी होगी इसलिए. मैंने अपना पैंटी भी उसमें रखने की सोचलिया लेकिना न जाने क्यों पलंग तोड़ चुदाई होने की बाद भी मुझे आंटी से कसमकस लग गया.
मैंने पानी ऑन करली और अपनी बदन को उसके नीचे किया. जब एक बंद पानी मेरी लंड में पड़ी तो मुझे ऐसा जलन हुआ जो पहेली कभी नहीं हुआ था. हे भगवान मेरी लंड की चाँदी कई हिस्सा में निकल गया था. पूरा जोश में मैंने चुदाई किया था और मुझे आंटी की फिक्र थी लेकिन मेरी खुद की ऐसा हालत मैंने कवि महसूस नहीं की. मुझे लंड में पानी डालना इतना मुश्किल कवि नहीं हुवता. फिर अभी मैं सम्हालके नया. मुझे अजीब महसूस हुवता आख़िर मैंने आंटी को चोद लिया. ऐसा लग रहा था मैंने अपनी जिंदगी की मख़साद हासिल करदी. मेरा सीना चौड़ा हुआ था. अगर आदमी को अपनी चाहत मिली तो क्या चाहिए लेकिन आदमी की चाहत कवि पूरी नहीं होती. मैं तो माकी चुदाई की कल्पना करके बाथरूम पे मूठ मारने वाला था लेकिन लंड की दर्द ने मुझे नहीं दिया. आप सोचे होंगे इसे तरह आंटी की चुदाई की बाद मूठ मारना जरूरी है जब की आंटी घर में ही है. हां दोस्तों आंटी की चुदाई मेरे लिए एक अचानक हुआ हादसा था क्या पता आंटी की अबकी रिएक्शन क्या होगा. मुझे में उतना दम तो नहीं की मैं आंटी बोलू ‘प्लीज़ आंटी मुझे अपना सहेजादा या सोहर मनले.’
मैं नहाते वक्त देखा आंटी अपने रूम से निकल रही थी हमारी आंख मिली. पता नहीं क्यों मैंने अपना आंख नीचे किया और अपना रूम में चला. मुझे अजीब महसूस हो रहता. मैंने कपड़ा बदल ली. मैं अदक गया मैं बोलने वाला था आंटी मुझे गरम चाय पिलाओ लेकिन आज बोलने को अभी दिल धड़क रहा था. दोस्तों आंटी की चुदाई मेरी अकेले कोशिश से नहीं हुई थी फिर अभी मेरी दामाग तो बोल रहा था तू एक मादरचोद है हरामी है, जिस चुत से निकला उस चुत का तूने अपमान किया है. तूने गलत किया है. अपनी आंटी की बेइज्जत किया है.. और मेरा मान बोल रहा था तू सही जा रहा है. आंटी को तूने खुश किया है. बाप की धर्म निवाया है. घर को उजेला दे रहा है. तू अभी भी आंटी इज्जत करता है इसलिए आंटी को देखकर तेरी आंख झुकी. और मेरा अंतर्मन बोल रहा था. जा अपनी आंटी के पास उनको चाय बनाने को बोल. उनको बांहों में भर प्यार कर. उनका आशिक बानिया उनका चुदाई करले.
मेरी दिमाग मेरी मान और मेरी अंतर्मन एक साथ चल रहे थे. मैं उलझन में था. मैं यह अभी सोच रहा था की आंटी ने क्यों मुझे रोकने वजह उकसाया. बात जो भी हो एक हाथ से टली कवि नहीं बजती इसलिए मैंने मान को शांत किया. फिर अभी आंटी तक पहुंचने की हिम्मत नहीं हुई. अचानक मुझे आंटी की पायल सुनाई दी. मुझे पता था आंटी जरूर चाय लेकर आएगी. अगर मैं रात में अभी नहाता होगा तो अभी आंटी चाय लेकर आती. आंटी को अपना बेटा का आदत अच्छी तरह से पता था. उनका केरिंग इतनी खास थी की मेरी बारे में शायद वो मुझसे अभी ज्यादा जानती हो.लेकिन फिर अभी पायल की आवाज़ से मेरी धड़कन तेज हुई. आज मेरे सामने आने वाली आंटी पहेली वाली आंटी मैं मान नहीं सकता क्यों की सुबह ही मैंने वो आंटी की चुत में अपनी लंड पेला था. बात कोई सामान्य नहीं थी. आंटी अंदर आ गाई मैंने मुश्किल से एकबार आंटी की और देखा आंटी की नज़र मुझसे मिली तुरूनत ही मैंने अपनी आंख नीचे किया. ना में सॉरी बोलने की हालत में था ना तो और कुछ. आंटी के आगे मैंने मंडी अभी नीचे करदी. आंटी की पायल की झाँक मेरी टेबल तक पहुँची और उन्होंने उदार शायद चाय रख दिया. आंटी ने गला दो तीन बार खासी लेली जैसे की उनको बोलना मुश्किल हो रहा है. शायद गला सूखा था और सुस्त से कुछ बोली “बेटा चाय पीना..” आंटी कुछ और अभी बोलने वाली थी लेकिन उसका गला कंसाकस गया आरू आंटी फिर बिन कुछ बोले धीमी से चल दी.
आंटी जातेही मैंने बहुत लंबी सास खींची. आज पहेलिबर मेरा लंड ने कुछ गाँधी हरकत नहीं किया. मुझे आंटी की तबीयत पूछने को दिल हुआ था लेकिन मैं नर्वस हो गया. यह सब पहेलिबर हो रहता. मेरा पेट एकदम खाली महसूस हो रहा था लेकिन भूख बिलकुल नहीं थी. जब मैंने चाय की और देखी तो वोा पेपर्स भी थे. मैं सोचने लगा क्या होगा! मैंने जल्दी से वो पेपर पड़ना शुरू किया. वो लेटर अंकल ने आंटी को लिखा था. लेटर लंबी थी और मेरे लिए एकदम अनौूखी थी. अंकल ने बहुत कुछ लिखता लेकिन मैंने इसको ध्यान दिया”सुकून अब तुम भी जान गयी हो मैं अब नपुंसक तरह हुआ. मैं अब फिर कवि तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करसकता हूँ. सुकून जब तुम मेरी साथ में बेड में होती हो तो मेरा हालत क्या होता तुम सोच नहीं सकती. मेरा दिल तुम्हारे साथ सेक्स करनेको बहुत होता है लेकिन मेरा बदन मेरा साथ नहीं देता. काश मेरा मान भी काम का नहीं होता. सुकून मेरी तो बदन में चोट है इसलिए यह भोग रहा हूँ. तुम को सही हो तुमको तो सेक्स करना चाहिए, मैं जनता हूँ मेरी सकुंतला मेरे होते हुए दूसरे मर्द के साथ आंख अभी नहीं मिलाएगी. सुकून मैं नहीं चाहता की मेरे साथ जो हो रहा है उसका सजा तुमको भोगना पड़े. मैं तो अपनी जिंदगी से नीरस हूँ तुम को क्यों होना है. सुकून मुझे मरने की तो दिल नहीं है लेकिन मरने से नहीं डरता, मैं पूजा पाठ में लगना चाहता हूँ दूर तक चलना चाहता हूँ. मैं तुम्हारा पास फिर कवि नहीं .आऊंगा. सुकून मुझे गलत नासमझना. यह मैंने अपने लिए बस नहीं किया है. मुझे तुम्हारी फिक्र होती थी अब नहीं. जग्गू बड़ा हुआ है तुमसे बहुत प्यार करता है. सुकून मेरा कहने का मतलब मेरा नाहोने पर अभी घर तो चल ही रहा था अब तो जग्गू भी बड़ा हुआ है. मैं चाहता हूँ तुम अपनी सेक्स जीवन की अभी शुरूवात करना अपने मर्जी के मर्द के साथ. इसमें मुझे कोई रोक नहीं है. लेकिन घर की शांति को ख्याल करना,समाज ख्याल अभी करना सब से बड़ा तो अपना इकलौता बेटा को भी जो अपनी आंटी को बहुत प्यार करता. सुकून एक बात बताऊं अगर तुमको अच्छा नालागे तो मुझे माफ करना यह सवाल मैंने जग्गू के साथ भी किया था. गलत नहीं समझना घर के लिए इज्जत के लिए. मैंने उसे यह बात गोपया रखने की कसम के साथ मेरी पूरा बात क्लीयर करके पूछा था “जग्गू क्या तू अपनी आंटी को मुझ से ज्यादा प्यार करेगा?” तो क्या बोला मालूम है सुकून! हमारा बेटा नालयक निकला. मुझे उसे कोई जोड़ लगाने ना पड़ी बोला ” अंकल मैं आंटी की खुश के लिए कुछ भी करता हूँ जान अभी दे सकता हूँ”. देखो सुकून मैं मर्द हूँ मर्द को अच्छा जनता हूँ. हमारा बेटा काफी जवान हो चुका है. तुम भी किसी जवान लड़की से कम नहीं हो, जग्गू का दिल कही ना कही से तुम्हारे साथ सेक्स करने को कहेता है. लेकिन इसको गलत नहीं समझा ना यह उमर में हम मर्द सब नालयक होते है लेकिन पापी नहीं है. वो हर चीज़ नियंत्रण कर सकता है. अगर तुम उसे मेरी खोज में भेजोगी अभी वो तुरूनत निकल पड़ता है. लेकिना ऐसा गलती मत करना. अगर वो आसपास अभी दिखा दिया तो मैं अपना जान दूँगा तुम्हारी कसम. आव सकुंतला घर की इज्जत सान और सब तुम्हारा हाथ में है. तुम चाहो तो इसे ही जीवन कटपावगी लेकिन मेरी कसम तुम्हारी जीवन अगर सेक्स बेगार गई तो मेरा मान को कही शांति नहीं मिलेगी…सकुंतला बेटा तुम्हारा ऑप्शन है,बेटा का साथ सेक्स पाप है लेकिन दिल को तड़पाना उस से अभी बड़ा पाप. अब तुमने बेटे की अभी दिल जंलिया है. वो अपनी माको बस प्यार नहीं करता है चाहता है किसी आशिक की तरह जान अभी देसाकता है. यह साव इसलिए हुआ की तुम बहुत सुंदर और प्यारी हो सकुंतला…..” अंकल की झूठ मूठ की कहानी ने मेरा दिमाग चौका दिया. आज पता चला अंकल ने कितना आसानी से मेरे को समझ लिया. यह भी एक बात है मर्द सब एक जैसे होता है क्या पता अंकल को अभी किसी उमर में अपना घर की औरत से ही सेक्स करने की दिल आई हो. और आंटी की खूबसूरत और जवानी को दिख के तो अंकल को साख होना ही था जवान बेटा का दिल में अभी गाँधी सोच तो होगा. उसपर मैंने उतना प्यार आंटी के लिए अंकल का सामने दिखाया था. मेरी नज़र पेपर की बॉटम पे पड़ी वोा नीचे आंटी की राइटिंग थी “बेटा मुझे माफ करदे, मैंने तन लिया था चाहे तेरी अंकल कुछ अभी कहे हो तेरे साथ सेक्स में सपने अभी कर नहीं सकती लेकिन लाल जब तुमने मेरी ओत को दूसरी बार महसूस करदी तो मुझे ऐसा लगा मैं चारों तरफ से खुली हूँ. मुझे रोकने वाला कोई नहीं था और मैंने इसववर की परबाह भी नहीं की तेरे अंकल ने जो कहा वही हुआ. मुझे माफ करना बेटा. मैं तेरी आंटी थी मुझे रोकना चाहिए था, लेकिन मैं पागला गयी.” मुझे आंटी की यह कहना बहुत गुस्सा आया. ओत चूसना चूची मसलना सबकुछ मैं करूं और माफी आंटी मागे. अंकल का इतना एनकरेज के बात वो खुद भी करती अभी उसको सही मान ना चाहिए. मुझे क्या मिला आंटी को पता नहीं है,बेटा जीवन में पहेली बार इतना उत्साहित हुआ था,इसे बात को आंटी को अंदाज अभी नहीं हुई. अंकल का दिल बहेलने वाली लेटर के बाद भी आंटी तो यह समझ रही है की गलती उसकी है.मैं ऐसा सनक में आ गया की अभी आंटी की रूम में जाकर उनको एक बार चोद के बोलडू की अगर पाप की है तो मैंने. मैंने चाय अभी नहीं पिया. मैंने हिम्मत एक करके माकी तरफ अपना कदम बढ़ाया.
आंटी की आहट मुझे किचन में सुनआडी,वो किचन में थी. मैं किचन की तरफ चलने लगा. मुझे दिखते ही आंटी थोड़ा मुस्करा दी. मुझे उनकी मुस्कान अजीब सा लगा,और मुझे राहत मिला. मैंने आंटी की तरफ ध्यान दिया. उनकी बिंदिया चमक रही थी. इसे से पहले अभी आंटी सुंदर दिखती थी लेकिन आज उनकी चहेरा में चमक था. आंटी खाना बनाने में बेस्टा थी.मैं कुछ बोलने के लिए हिम्मत कर रहा था पर आंटी पहले बोली.’बेटा आव वो हादसे के बारे में कवि बात नहीं करेंगे,जो होना था हो गया.’ दोस्तों मेरा पूरा जोश किचन में आंटी को दिखटेही उटर्गया था लंड की दर्द ने अभी लंड को जान बेगार बना डियता और आंटी की चलती अभी पहेलएजेसी नहीं दिख रही थी वो अपनी नीचे हिस्से को नियंत्रित करके चल राई थी. परिस्ट्ीति को नज़रअंदाज करते हुए मैं बस इतना ही बोला’आप की गलती नहीं है’ और में निकल पड़ा खाने की वक्त आंटी ने इसे बात को दफ़ना दिया. वो सुबह मेरी जितनी खूबसूरत थी दिन उतना ही बेकार. मैं अपनी लंड को जल्द सही करना चाहता था. आव मुझको समझ में आया अंकल की हालत कैसी थी. मुझे एक दिन अभी लंड की वो हालत बर्दाश्त नहीं हो रही थी. मैंने गरम पानी से लंड को साफ किया और दरवाजा बंद किया और लंड सूखा रखने के लिया नंगा सोया. मुझे फिर काव नींद आई पता नहीं चला. अवीटक की अपना जीवन में मैं इतनी गहेरी नींद में नहीं था वो अभी दिन पे. मुझे क्या पता, आगे क्या होने वाला है. मेरी जाव नींद खुली तो मुझे चारों तरफ आवाज़ सुनाई दी. बारिश घनघोर हो रही थी, बिजली गिरने की आवाज़ आ रही थी और हवा तेज चलने से तरह तरह की आवाज़ सुनाई दी. मैं चौक गया मैं 5 घंटे से सो रहा था. मैंने नीचे लंड दिखा पिसाव की वजह से लंड पूरा खड़ा था. लेकिन दर्द बहुत कम हो गयी थी, दिल खुश हो गया. मैंने तौलिया लपेट लिया और जल्दी में बाथरूम चलगाया. जाव बाथरूम से निकला तो मैंने फ्रेश महसूस किया. मैंने दरवाजे के कोने पर दो कप चाय दिखा. मुझे आंटी की याद आई अचानक आंटी मेरी आगे आ गाई. आंटी की आँख छलक रही थी उनका छाती अभी फुलराहा था. मुझे आंटी घुस्से पे है लगा. आंटी ने पूछा’क्या कर रहा था जो मैंने इतनी आवाज़ डेनएके बाद अभी चुप रहा.’ मैं चौक गया’नहीं आंटी मैं सो रहा था.’ आंटी’नहीं बेटा तू कुछ छुपा रहा है, वो मैं जानती हूँ. बेटा मैं ने बहुत बड़ी गलती की है मुझे माफ कर लेकिन दूर होने की हरकत मत कर. तूने कवि दरवाजा लॉक नहीं की थी और नहीं कवि दिन में इसे तरह गुमसूँ होता था’ आंटी की बात से मुझे दिल पे हंसी लगी थी. क्या बोलता ‘आंटी तेरी चुत ने मेरी लंड को काश काश के निचोड़ लिया इसलिए में कमजोड़ होकर सो पड़ा, लंड की अभी जान निकल पड़ी थी तो उसको हवा देना था और यह काम दरवाजा लॉक किए बिना कैसा करता.. मैं कुछ बोल नहीं रहा था बस सोच रहा था. फिर आंटी शुरू हो गयी. ‘मैं आव ऐसा कुछ नहीं करूँगी, मुझे तेरी अंकल की कसम,मुझ से दूर नहीं होना.’ आंटी की फिक्र ने मुझे उत्साह दिया. मैंने उन्हें पकड़ के अंदर किया और बांहों में वार के बोला’ आप की कसम आंटी आप से एक पल अभी दूर नहीं होगा.’ मेरा लंड पूरा खड़ा था और हल्का दर्द शुरू हो रहा था. मैंने आंटी की गाल चूमते उनकी कान में बोला’नहीं आप ने गलती नहीं की है और नहीं कोई गलत हुई है. मैं आप को प्यार करता हूँ ठीक उसी तरह जिस अंकल करते थे. आंटी कुछ बोल रही थी लेकिन मैंने उनकी लिप्स पे किस देदी. मेरा दवव उनको बिस्तर पर लेजा रहता.,मेरे तौलिया गिर गयी. जाव मैंने उनकी सारी ऊपर करने की कोशिश की तो आंटी ने मेरी हाथ को रोक ली. मैंने आंटी की गाल पे चूमते बोला’आंटी हम से रहेंगे,इज्जत से रहेंगे साव सम्हलेंगे अंकल ने कहेजेसा’आंटी ने मेरी आंख में दिख के बोली’बेटा मैं खुद को कैसे माफ करूँगी.!’ मैंने इषबर हाथ से उनकी सारी पूरा उथलिया और बोला गलती कहा हुई है मुझे नहीं लगता. आपने तो मुझे जन्नत दिलाया आंटी. मैं उसी तरह हूँ आंटी जिस तरह अंकल ने लेटर में जिकिर की है. मैं तो दिन में थकान से सोया था. पहेलिबर था ना आंटी. आंटी एकदम लाल हो गयी. बेशरम वाली बात थी या शायद उनकी चुत में अभी आव मात चढ़ चुकी थी. आंटी ने धीमी से कहा तो मेरा लाल पहले से नालयक है.?’ हां आंटी सिर्फ़ आप का आशिक हूँ. ऐसा बोलते ही मेरा बदन काप उठा और जाव मेरा लंड आंटी की चुत महसूस किया तो मैंने बिना निसना जोड़ का तीर मारा.जोड़का झड़का जोड़ से लगा. लंड चुत में धक्का देकर ऐसा रगदके फिसलगया की आंटी ने जोड़ से मुझे धक्का दे दिया और अपनी कंमार को अलग करदी. आंटी की चीख निकल गयी थी. मुझे अभी दर्द हुआ. मुझे लगा आव नहीं होगा. मैं आंटी से अलग हुआ. आंटी दर्द के मारे लाल हो रही और शर्म उल गयी थी और मुंह से लंबी लंबी सास फेंक के बोली ‘जग्गू बेटा मुझ से आव नहीं होगी. आज मुश्किल से चल पा रही थी. तूने तो मेरी बुरा हाल कर दिया ऐसा तो तेरा अंकल ने पहेली रात में नहीं की ‘. आंटी की इषबात से मेरा लंड दर्द झेलते हुए और सर खड़ा करने लगा. मैंने आंटी की चूची में हाथ फेरते हुए बोला ‘आंटी क्या मैंने ज्यादा खुश कर पाया था?’ मेरे सवाल से आंटी की हंसी निकली और बात को टालते बोली ‘माफ करना बेटा अगर मैं तेरा साथ अभी लगी तो खड़ा होकर खाना बना नहीं पाऊंगी.’ ऐसा बोलकर आंटी अलग होने लगी. मेरे लंड में दर्द नहीं होता तो शायद आंटी को मानकर कैसे अभी चोदता क्यों की लंड की भूख के आगे खाना क्या है. लेकिन आंटी की खुली हुई बात से मुझे आइडिया आया और मैंने अभी बिन कुछ थाने उनकी हाथ पकड़ के अपना लंड की तरफ लेगया और बोला’आंटी मुझे अभी दर्द है लेकिन दिल बहुत हो रही है. आंटी नासमझ में मुझे दिखने लगी. मैंने आंटी की उलजान को समझते हुए उनकी हाथ से लंड पक़दादिया. उनकी हाथ लगतेःी लंड तुम उठा.आंटी मेरी लंड को दिखटेही रहेगाई जैसे कोई नयी जीभ देखी हो. मैंने दो बार लंड उनकी हाथ से घिसके संकेत करते बोला’यह तड़प रहा है आप के लिए, आंटी अपनी हाथ से कुछ प्यार दो.’ आंटी ने आहें भरते बोली ‘मैंने यह इतना मोटा और लंबा अभी हो सकता है, कवि कल्पना अभी नहीं की थी,यह कैसा करसकता है जानलेवा है’ मैंने आंटी की हाथ को लंड पे दवव देते बोला’इसको अपने झेल लिया था आंटी’ . आंटी अपनी मूठ को लंड पे लगा के हिलने लगी. मैं बहुत उत्तेजित हो गया. मेरी लंड को दिख के आंटी को रहें आ रहा था,इसलिए प्यार से हिला रही थी. मुझे आंटी की चहेरा दिखने को दिल हुआ, मैं बोला’आंटी मेरी तरफ देखोना’. आंटी ने मुट्ठी मारना बंद करके मुझे दिखा. मैंने आंटी की मूठ को पकड़कर हिलना कायम रखने को संकेत किया.दोस्तों काश यह पल का मेरी पाश वीडियो या फोटो होता. मैं गारंटी दे सकता हूँ अगर यह फोटो होता तो किसी हिचड़े को दिखा देता अभी उसकी लंड खड़ा होती थी. मैं कोशिश करता हूँ आपके लिए *एक औरत मूठ मर्देटी हुई,और मर्द की तरफ दिखती हुई, गोरी और उजेला चहेरा है, माथे पे बिंदिया है,गले में लटके हुए मंगल सट्रा है,ब्लाउज सारी पहनी हुई है. बाल खुली नीचे एक तरफ फैले हुए.अरे दोस्त सारी पहनी हुई औरत मूठ मर्देटी हुए आप कल्पना करसकते हो लेकिन यह बहुत कुछ था. अगर कोई योगी देखेगा तो ओह आसान से बोलता परम सुंदरम,परम सुखाम. वो औरत हिन्दुस्तानी असली औरत दिखती है जो मेरी मूठ मर रही है और मेरी तो वो सब से बढ़कर है मेरी आंटी है. मेरा लंड दर्द को भूलकर आंटी की मूठ में अपना जगा बड़ा रहता. दोस्तों आजतक मैंने कवि ओरल सेक्स की कल्पना नहीं की थी. मुझे पता भी नहीं था वो समय तक लेकिन आंटी ने जाव अपने सूखे लाल लिप्स को जुबान निकलकर भीगने लगी तो मेरी उत्साह कमाल हो गया मुझे आंटी की लिप्स में अपना लंड चूमने की कल्पना आ गया. मुझे रहा नहीं गया. मैंने आंटी की बाल पकड़कर अपनी और खींचा और दूसरी हाथ से आंटी की मुट्ठी के साथ लगाकर मूठ तेज करने लगा. आव मैं आंटी को एक हाथ से उनकी सर की पीछे दवव देते हुए ऐसा किस कर रहता की मैंने उनकी जुबान अभी चूस ली.मैं और जोश में आया और मेरा लंड ने अपना पानी तेजी से निकलगया.मेरी अनुभवी आंटी को पता चलगया और वो मुस्कुराकर चालदी,जरूर उसकी हाथ गाँधी हो गयी होगी. आज लंड ने दो बार इतनी पानी चोदा था की मैं अंदर से खाली महसूस कर रहा था. आंटी ने गरम पानी और आंटिसेपटिक मेरे लिए दिया और खुद खाना बनाने लग गई. आंटी मेरे लिए सहज हुई.आव मेरी आंटी मुझे सावकुछ लगने लगी. मैं बहुत खुश था. आज आंटी के साथ सोऊंगा, उनको नंगा दिखूंगा. मैंने अवीटक उनकी चुत और गांड दोनों नहीं दिखता. मुझे आंटी की चूची मुंह में लेना अभी था. और रात में आंटी के साथ नयी जीवन की योजना तय करना अभी था. हर चीज़ जो मेरे कल्पना थे आव मुझे पूरी होते जा रही है लगे. जाव आप दूर सोचते है तो करीब क्या होनेवाला आप को पता अभी नहीं होता. मैं अंदर था. आंटी की आवाज़ आई ‘बेटा देख तुमसे मिलने कोई आए है! ‘ कौन आंटी?’ मैंने पूछा. ‘वही तेरे आंटी से अभी प्यारी’ ‘हे भगवान! आव मुझे बताने की कोई जरूरी नहीं थी वो सुजाता मौसी मेरी आंटी की मूहबोली बहन है, वही होगी. आंटी बोलती थी मैं बचपन में सुजाता मौसी को बहुत चाहता था,अपनी आंटी से अभी ज्यादा इसलिए जमाने में अंकल मज़ाक अभी करते थे की मौसी के साथ, सुजाता अपनी दीदी के बचे के लिए अभी उनसे शादी करे. सुजाता मौसी बहुत प्यारी थी. बचपन के दुनियामे किस तरह पर्बेश होना है उनको अच्छी तरह मालूम है. उनकी आगे मैं खुद को अभी अभी बच्चा महसूस करता हूँ.कारव एक साल के बाद अचानक आज आईति. मैंने उनको दर्शन किया लेकिन उन्होंने मुझे चरण चोना जरूरी था बोलकर मज़ाक की. मैंने इतना बारिश में आनेकी वजह पूछा तो क्या गलती हुई क्या बेटा पूछताछ शुरू किया बोलकर हंस दी,उनको मैं अभी अभी बच्चा सूझता हूँ. आंटी चाय बनाने के लिए जा रही थी मौसी ने उनको रुक के आज जग्गू की हाथ की चाय पीनी है बोली. आंटी ने मुस्कुराते कही’चलो बेटा तुम्हारी मौसी को चाय पिलाओ. तुम बस पानी गरम करना चीनी और चाय डालने के लिए मौसी को बोलना,’ साव हँसे फिर अभी मैंने कोशिश की. जाव अभी मौसी मुझको घुस दिलाती वो खुद बहुत होती ऐसा लगता था जैसे की मैं गुस्सा में प्यारा लगता हूँ. सुजाता मौसी का अभी शादी हो चुका था. उनका एक बेटा रोहन और बेटी रीमा है. वो दोनों कॉलेज पड़ते है. उनका पति बाहर मुलुक में है. सुजाता मौसी को मैं आंटी की तरह प्यार करता हूँ. मैंने बचपन उनके साथ ज्यादा गुजरा है. सुजाता मौसी मेरे बहुत ख्याल करती थी. इसलिए सुजाता मौसी मेरे लिए एक दोस्त से लेकर आंटी समान थी. असल में सुजाता मौसी का आनेकी बहुत होती थी परंतु आज मुझे सुजाता मौसी की आनएसए बहुत नीरस हुई थी. आप जांसकते थे की मैं क्या सोच रहता और क्या होरहता. हम ने साथ चाय पीलिया. सुजाता मौसी को अभी साख हुआ की मैं परिसनी में हूँ लेकिन मैंने सर दर्द की बहाना रचा. खाना खाने के बाद हम सो गये बारिश चालू था लेकिन मेरे सीने पर आग जल रहा था. दिन वार सो लिया था और रात वार आंटी की साथ होने की चाहत से वो रात मेरे लिए बहुत मुश्किल की रात रहा.मैं सुबह नींद में था. आंटी की पायल की झाँक सुंतेही मेरा दिल से झूम उठा. आज अभी सोणेका नाटक किया और आंटी की चूमि का इंतजार किया. आंटी ने चाय टेबल पे रखी और मेरे को चूमने के लिए सर नीचे की. मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उनकी सर को पकड़कर चूमना शुरू किया. मैंने आंटी को बिस्तर खींच के बांहों में वारने की कोशिश की तो आंटी ने मुझे रोक के बोली ‘जग्गू हम अकेले नहीं है, सुजाता देखेगी तो!’ मैंने आंटी की लिप्स एक बार चूमा और बोला ‘नहीं आंटी हम आंटी बेटे चूम तो सकते है ना!’ आंटी मुस्कुराती बोली ‘हां लेकिन इष्तरह नहीं, याद करो अंकल ने क्या कहा घर की इज्जत!’ मैं ने सर नीचे करते बोला ‘आंटी, मौसी को आज रिटर्न भेज दोनों.’ मेरी बच्चों जैसा बातें सुनकर आंटी की हंसी निकली और जाते जाते बोली ‘वो कम से कम 1 महीने के लिए रहेगी.’ मैं हैरानी से बेड पे लिटा. मैं इतना गुस्सा में था की मेरा अंतर्मन मौसी को गली दे रहा था..’रांड़ कही की घर में मौसा की लंड होती तो यह बारिश में डिंवर अपनी मरवके उदार रहेटिति आव इधर किसके साथ गांड मरवाने के लिए आई है’ पहेली बार इतनी घुस से गाँधी सोच आरहेते शायद मैं वासना के कारण पागल हो रहा था. गरम चाय से मूंड़ को ट्यूनिंग कर रहा था आंटी अभी चाय पीते पीते आ गाई. मैं आंटी को दिख के मुस्कराया. हम ने कुछ गड़बड़ नहीं की. मौसी के बचे हॉस्टल पर रहेनेसए मौसी फारीक़ होगआती. आंटी की आंखों में अभी मुझसे लिपटने की चाहत दिख रहा था. लेकिन हमको कुछ सूझ नहीं रहा था. हम मौसी को और इज्जत के साथ रखना चाहते थे. दो चार दिन तक मैंने खुद को रोक लियता. उसकी बाद मुझे मुश्किल हो रहता. मेरा लंड अभी पूरी तरह ठीक हो चुका था. मैं मौका दूध रहा था. मैं आंटी की आश्पस घूम रहा था जैसे गर्मी महएने में सांड गाए की पीछे घूमता है. मैंने ध्यान दे रखा था. मौसी खाना बनाते आंटी की साथ होती थी लेकिन बर्तन बनाने की वक्त साथ में नहीं होती. यह समय मौसी टीवी में उनकी मान पसंद शायद कुमकुम सीरियल दिखने को जाती थी. मैंने यह अवसर को आजमाना चाहा. चौथी दिन में मैं मौसी टीवी रूम में घुसते ही किचन चलगाया. आंटी बर्तन साफ कर रही थी. मैंने आंटी को पीछे से बांहों में लिया. आंटी ने मुझे दिखा और बोली ‘जग्गू तुझे मालूम है ना तेरी मौसी अभी है.’ मैंने उनकी कान चूमते बोला’हां आंटी कुमकुम दिख रही है’ आंटी थोड़ी शांत हुई. मैंने पीछे से उनकी सारी सरकाके उनको झुकने को कहा. आंटी समझ रही थी. उन्होंने पैंटी पहन राखीति ,मैं झीजक के बोला’आंटी इसको क्यों पहनती हो’ आंटी शरमाती बोली ‘तुझे तो नंगी चलिंगू तो अभी चलेगा’ मैंने पैंटी नीचे कर दिया और आंटी की गांड को थोड़ा खींच के लंड को आगे किया तो मुझे चुत की महसूस हुई.दोस्तों हमें भी पता दीजिए कहानी कैसे जा रही है…
मेरा पूरी बदन उछाल उठा.मैंने आंटी की तंग को खोलने को कहा और लंड को उनकी चुत में सावधानी से अंदर पएल्दिया. लंड इसे मचल रहा था धक्के की बेगार अभी आंटी आहें भर रही थी. मुझे ऐसा लगा लंड पानी बेगार मातची था आव पानी मिलगाया,बहुत सकूँ मिल रहा था.’जग्गू..उम्म.,, जल्दी कर बेटा’ आंटी अपनी गांड को मेरी लंड पर बबब देती हुई बोली. मैं समझ गया था. मैंने अपना लंड की धक्के उनकी चुत पर मारना शुरू किया. दोस्तों यह अजीब सा एहसास था. मौसी की मौजूदी होने पर अभी मैं आंटी की चुदाई कर रहा था. मान में डर अभी था और मजा तो क्या काहु पीछे से आंटी की ले रहा था.. मैं जोश में आकर थपका लगा रहा था. मेरी जाँघ उनकी गांड पर टकरा रहा था और अजीब आवाज़ निकल रही थी जैसे कोई टली बजा रहा हो. अचानक मौसी की आवाज़ आई ‘दीदी सुमित आ गया जल्दी आ जाओ’ मौसी की आवाज़ सुंतेही आंटी ने अपनी कंमार को अलग कर दिया. मैं नीरस हो गया जैसे की लंड चुत से नहीं मेरी दिल जिस्म से बाहर हुई हो.मैंने आंटी को जगड़ने कोशिश की लेकिन आंटी ने परिसनी और घबराते बोली ‘बेटा मौसी आसक्ति है’ . दिखते दिखटेही आंटी ने पेटीकोट और सारी नीचे करदी और पैंटी को मुझे दिखटहुई ऊपर खिच ली. मैं बहुत परिसन रहा. मुझे लंड पर रहें आया. नचाते हुए मैंने अभी अपनी पैंटी और पेंट लगालिया. आप को अंदाज नहीं होगा मेरा हालत क्या हुआ था. काम अधूरा हुआ,काश मौसी कुछ दो मिनट मुंह बंद कर लेती तब तक मेरा काम अभी हो जाता था! मैं क्या करूं इसे लंड को कैसे शांत रखू कुछ नहीं सूजराहा था. मैं अपना कमरा में गया. एक अजीब सा लगता है, जब आप को मस्त भुग लग रहा है और सामने बढ़िया खाना अभी है, लेकिन बस आप दिख सकते हो, मेरी हालत उसी तरह था.मैं वो रात अभी बेचैन रहा. सुबह आंटी की पायल सुनआडी. मेरा मूर्ख लंड तो इसे ही झूम उठा. आंटी की चूमि को मैंने आव लिप्स किस में बदल्दिया था. मैंने आंटी की हाथ पकड़कर आंटी से बोला’आंटी कुछ करो,मुझे मुश्किल हो रही है,मेरा पूरा दिन तड़प के जाता है’ आंटी समझ सकती थी. वो मुझे कहने लगी ‘बेटा दिन में तू क्यों अपना दोस्त के साथ नहीं जाते हो? इतना तड़प अभी सही नहीं है.’ मैंने आंटी को कहा’ आंटी आप के बेगार दिल कही नहीं लगता है’ आंटी लाल होते हुई मुस्कुराकर बोली’तुम हद कर रहे हो ऐसा तुम्हारा अंकल ने अभी कवि नहीं कहा’ मैंने आंटी को साथ में चाय पिनेके लिए बिठाया और कहा’आप अंकल के लिए सिर्फ़ पत्नी थी,मेरे लिए आप बहुत कुछ हो. सबसे बड़ी बात आप मेरी खूबसूरत आंटी हो.’ आंटी शरमाते बोली ‘बहुत इज्जत दिया अपनी खूबसूरत आंटी को हुमबईस्तर बनाकर’ मैं आंटी की बात सुनकर उत्तेजित हुआ और बोला ‘मैं जितना इज्जत करता हूँ, उतना प्यार अभी करता हूँ आपको.’ आंटी ने चाय की कप सांवल्टे बोली ‘बहुत हो गया प्यार की बातें आव मुझे धंधा करने दो’ मैंने आंटी की हाथ पकड़कर चादर की अंदर डालते बोला ‘आंटी इसे थोड़ा प्यार करदो ना चादर की अंदर है’ आंटी समजराहि थी की मैं आंटी की हाथ से मूठ मरवाने के लिए कहे रहता. आंटी इनकार करने लगी क्यों की किचन अभी जाना था और मौसी अभी जगह चुकी थी. मैंने कहेनेपर आंटी ने बस एक बार मेरा लंड पर हाथ फिराया. मेरी लंड ने आंटी की हाथ की महसूस मिलटेही सर उत्ाड़िया.ऐसा लग रहता आंटी मेरी लंड नहीं मेरा लंड आंटी को पकड़ने की कोशिश कर रहा था. जाव लंड ने आंटी की हाथ पर अजीब अजीब की हरकत करने लगा तो आंटी इसे हस्पादी जैसे वो दुनिया से बेखवार हुई है. ‘आंटी आप की हंसी बहुत अच्छी है’ बोलकर मैंने चूमने की कोशिश किया लेकिन आंटी अवरोध करके किचन की तरफ दौड़ चली. कुछ देर बाद मौसी अभी दिखाई दी. उन्होंने मुझे पहला वाला जग्गू नहीं रहा कहा. सुजाता मौसी मेरे बारे में बहुत कुछ जांसक्ती थी. ‘जवान हो गया है, कई प्यास व्यार की चक्कर में पड़ा ना हो. दीदी से बोलकर इसकी शादी करवानी है’ मौसी को मैं गुपचुप सा लगता.’ लेकिन उनको खावार नहीं थी की मैं सच्चा दिल से उनके दीदी से प्यार करता हूँ. मौसी से अभी बात चित हुई लेकिन मेरी नज़र तो हमेशा आंटी की तरफ जाता था. मौसी को खुश रखने को बस कोशिश कर रहा था. दोस्तों जाव किसी चीज़ को आप को बहुत जरूरी होती है उसके लिए आप कुछ ना कुछ जोखिम जरूर लेते हो. और जाव आप की मान आप की दिमाग की ऊपर हावी होजती तो गड़बड़ जरूर होगा. उस दिन ऐसा ही हुआ. किचन पे आंटी के साथ असफल चुदाई के बाद मेरा ध्यान बाथरूम पर था. मैंने सुबह पहले आंटी को बाथरूम पर जाते हुए दिखता. मैंने सोचा आंटी को बाथरूम में सरपरीज़ चुदाई मिलेगी और बोलेगी तेरा अंकल ने कवि यहां चुदाई नहीं किया था.तो मैंने वो सुबह खुद को बाथरूम की कोने पर चुपलिया. यह बड़ी खतरनाक हो गयी जाव मौसी पहले आई. दोस्तों मौसी अंदर आतेही डर के मारे मेरा धड़कन तेज हुवता और जाव उन्होंने सारी को ऊपर करके मूत लिया तो यह दिख के लंड ने हरकत की. मौसी शायद पूरी नहीं जगीठी इसलिए उन्होंने मुझे नहीं देखा. लेकिन आव वो रिटर्न हुई तो जरूर सामने मुझे देखेगी. बात जो अभी हो मौसी जाव मूत रही थी इतनी सेक्सी लग रही थी पूछो मत. उनकी चुत से निकली पिसाव की गाना पर मेरा लंड डांस कर रहा था. अंतर्मन कहेरहता मौसी की चुत अभी प्यासी है साली को चोद डाल जरूर चुड़ाएगी. दिमाग बोल रहा था आव तो तू फँस गया बुरी तरह से. आज से तेरी इज्जत मिट्टी में गयी. मेरा मान अंतर्मा और दिमाग में फाइटिंग होरहता. दोस्तों…कैसे लग रही है खावार देते रहिए…
काश वो पल वही रुक जाता और मैं बस मौसी को इसी तरह पेशाब करते हुए देखसकता. लेकिन होनेवाला कुछ और था. मैं कुछ कर नहीं परहता. मौसी ने मुझे देख ही लिया. शायद बैग सामने होता अभी इतना नहीं डरता था मैं परेशान हो गया. मौसी चौक के चिल्लाई. कोई अभी औरत के लिए मर्द के सामने पिसाव करना बहुत शर्म की बात होजती है. मौसी मेरी डर से वारा हुआ चहेरा देख के बोली’जग्गू, तू यहां क्या कर रहा था?’ मैं बहुत घब्रगया क्यों की मेरे पास जवफ नहीं था. ‘तूने क्यों दरवाजा में दस्तक नहीं दिया? कितनी शर्म की बात है अपनी मौसी को पिसाव करते देखराहा था.’ मैं क्या बोलता था, मौसी जो चाहे समझे मैं थोड़ी यह कहेसकता आंटी के लिए जाल बिचाराहता. मेरी शर्म और डर से दोस्तों शरीर काप रहता. इसे से पहले कवि इतना नहीं दरता. मौसी को शायद मेरी उस दशा पर दया आ गाई ‘नालयक कहिका, अगर दीदी होती तो अभी इसे तरह ही देखता था क्या?’ मैंने मौसी की ठंड मिजस देख के सावधानी से डार्क बोला ‘नहीं मौसी आंटी को कैसे देखता! मैं तो बस.. बस….’मौसी का चहेरा अचानक लाल हो गया. मौसी शर्मा गयी शायद मौसी ने मुझे सच में नालयक मनलियता. मुझे राहत मिलगाई . मौसी ने बोली’अच्छा मैं आव तेरी आंटी समान नहीं हूँ इसलिए मेरे चरण नहीं चोयठा. बदमाश! और इधर चुप के मेरी क्या क्या देखने का कोशिश कर रहा था’. मुआसी की बात से मैं उत्तेजित हो गया.मौसी ने अब बात को बहुत लाइट्ली लियता. शायद लंड की प्यास जागी औरत को ऐसा होता है. मैंने मौसी को समझ लिया और हिम्मत जुटाकर कहेदिया. ‘मौसी आप बहुत खूबसूरत हो’ मौसी का चहेरा अचानक और ज्यादा गुलाब हो गया शायद और शर्म से होगा हूँ इतना बोली ‘धत्त बच्चा होकर अपनी आंटी जैसी मौसी को डोरे डाल रहा है.’ मैंने मौसी का हाथ पकड़ के झुतमूथ से बोला ‘मौसी प्लीज़ आंटी को नहीं बताड़ेना.’ मौसी ने अपना हाथ च्छुदके बोली ‘चल इधर से नहीं तो वो खुद देखलेगी, वो मेरी इंतजार कर रही है’. बाथरूम की हादसा के बाद मौसी और मेरा रिश्ता बदलने लगा. आंटी ज्यादा किचन की धंधा में बिज़ी होने का कारण मैं ज्यादा मौसी से बातें कर रहा था. मौसी ने मुझे बाथरूम के हादसा के बारे में बहुत छेड़ा लेकिन आंटी से नहीं कहा. वो अक्सर कहने लगी की मौसी का क्या दिखने के लालच में मैं घुसा था? दोस्तों मेरी मौसी अभी आंटी से कम सुंदर नहीं थी. हलद को नज़रअंदाज करते हुए मैंने मौसी को सिड्यूस करना शुरू कर दिया. मौसी से मैंने क़हाड़िया ‘मौसी आप जैसी खूबसूरत मेरी गर्लफ्रेंड थी. न जाने क्यों मुझे आप बिलकुल वही लगती है.’ मौसी खुश हो गयी और बोली ‘इसलिए मुझे बाथरूम तक पीछे कर रहा है तू ज़रा बता तेरी तीसरी आंख मुझ पर कावसे लगा था’ मैं मौसी आव खुल चुके थे.’मौसी आप मुझे पहले से अच्छे लगती थी लेकिन जवानी आतेही इसकी दायरा और बड़ गयी और मुझे आप और कुछ लगी यह जांतहे हुए की आप मेरी आंटी की बहन है’ मौसी गँवीर होते हुए बोली ‘ हां बेटा,फिर अभी तेरी मौसी को तेरा बात अच्छा लग रहा है,यह मैंने कवि नहीं सोचिति मेरा छोटा जग्गू मुझे इसे नज़रिया से अभी दीखेगा और मुझे ऐसा एहसास दिलाएगा.’ दोस्तों मेरा जोखिम ने मुझे साथ डियता. कवि हम क्या सोचतेहे और क्या हो जाता है. मेरी मौसी की चुत में खुजली थी,इसलिए उनको मेरा बात अच्छा लग रहा था. मौसा जी के दूर होने से मेरी मौसी की चुत में आग तो जरूर लगा था. आव मैं दोनों तरफ से फायदे में था. मौसी को बाथरूम के हादसा के बाद मैंने आधा पालियता. आव मेरा दिमाग सैइटन हो चुका था. मैं अभी मौसी के साथ कुमकुम देखने लगता और आंटी की किचन पे असफल चुदाई होने वक्त किस सुमन के लिए आंटी को मौसी बोलरहिति ओह अभी समझलीयता. मौसी और मेरी बातें हमेशा सेक्स पर होने लगता. आव मेरी मौसी मुझ से करीब हो चुकी थी. मौसी मुझ से इसे बिहेव करने लगिठी जैसे वो अभी नहीं कॉलेज की लड़की हो. मुझे घर में बातें बातें नया माल मिलने का एहसास हुवता. इसे एहसास का संकेत मेरा लंड अभी मूंद हिला हिलाकर करचूका था. मौसी के साथ मैं मज़ाक मज़ाक में कवि उनकी चूची दबदेता और कवि उनकी सारी ऊपर करके उंगली करने को कोशिश करता था. (एक बात बताऊं यारू आजतक मैंने औरत की चुत और गांड पूरी तरह से नंगी नहीं देखता. आंटी की चुदाई पर अभी ऐसा मौका नहीं मिलता और मौसी ने पिसाव करते वक्त अभी साइड से बस थोड़ा देखता.)एक बार मैंने मौसी को गोद में बीतनेको कहा मज़ाक मज़ाक में मौसी अभी बैठी. उनकी गांड को मेरे लंड ने मस्त महसूस कर रहा था और मस्ती मस्ती में मैं मौसी की गाल चूमने की कोशिश अभी कर रहा था. तवी मौसी ने मेरे बीरोध करते बोली’दीदी देखेगी तो क्या कहेगी’ यारू इसका मतलाव था अगर आंटी नहीं है तो मैं मौसी को चोद अभी सकता था. उसकी दूसरी सुबह आंटी ने मौसी के बारे में बहुत कुछ बात की ‘तेरी मौसी आजकल तेरे ज्यादा तारीफ करती है, कल कहेरहिति जग्गू की होनेवाली बीवी लक्की होगी.ऐसा क्या करता तू उसके साथ.’ मैंने आंटी की गाल चूमते बोला ‘आप की होते हुए मुझे मौसी की के साथ क्या करना’ आंटी यह सुनकर मुझे शिकायत वारी नज़रोसे दिखने लगी. आंटी न जाने क्यों मौसी से जल रही थी. आंटी बोलने लगी ‘ एक बात बता तुम्हें मैं और मौसी में कौन खूबसूरत लगते है?’ मैंने कहा ‘ क्या आंटी आप कहा और मौसी कहा फिर अभी आप दोनों के कुछ चीज़ मिलती जुलती है इसलिए वो अभी खूबसूरत है’ आंटी ने अपनी आंख को दूसरी तरफ करते बोली ‘क्या मिलती है हम दोनों में?’ मैंने उनकी गांड में हाथ लगाकर बोला’यह बहुत मिलती है’ आंटी ने गुस्सा से कहा ‘नालयक कहिका इसलिए कल गोद में लेरखा था अपनी मौसीको’ मैं चौक गया. मैंने आंटी को बांहों में भरके कहा’ आप को तो दिल में बितराहू ना आंटी, क्या करूं आप मेरी बात सुनती कहा हो’ मैंने आंटी की हाथ को पकड़कर लंड में रख के बोला’आंटी इससे प्यार दो ना’ आंटी घुस से बोली ‘अपनी मौसी से बोल, तू ऐसा नहीं था जग्गू. मैं समझती थी तू बस अपनी आंटी को चाहता है लेकिंड तुझे पूरी दो हफ्ते अभी सब्र नहीं हुई’ आंटी घुस्से और जलन से चलीगाई. आंटी घुस्से में अभी खूबसूरत दिख रही थी. आंटी को जलाने में मुझे बहुत मजा आरहता लेकिन अंदर थोड़ा नीरस भी हुआ. आंटी ने मौसी को मेरे गोद में दिखे के अभी मौसी को कुछ ना बोलिति उस वक्त इसे से मुझे अजीब लगा और हिम्मत बाद गयी. वही समय था. आंटी बर्तन साफ कर रही थी और हम टीवी दिख रहते. मैंने हिम्मत जुटाया. मौसी के साथ मस्ती और मज़ाक कर रहा था. मज़ाक मज़ाक में मैंने उनको बेड पे लिटाकर सारी ऊपर करने लगा. मौसी डर गयी हलकी उनकी चुत अभी लंड दूध रही थी.’जग्गू दीदी देखेगी’ मैंने उनकी पैंटी नीचे करके उनकी गाल चूमते बोला’आज आंटी नहीं आएगी,दूर अभी लॉक है.’ लंड की मुराद में खोई हुई मौसी ने अभी मेरा झूठा बात मनलिया. उनकी सर दरवाजे तरफ था मतलाव मौसी लीटनेसए दरवाजे की तरफ नहीं देख सकती थी और मैं उनका ऊपर था तो मैं बस देखसकता. मैंने मौसीक़ी चूची को अभी नंगी कर दिया और मसलने लगा. कुछ समय तक मैंने अपना लंड पैंटी से निकालकर चुत की बाहर रगदलिया जैसे हथियार को तैयार कर रहा हूँ. मौसी की सारी पेटीकोट उनकी कमर से ऊपर कार्डीयता. दोस्तों यह दौरान में मुझे मौसी काली मस्त झट दिखने को मिला.मैंने धीरे से अपना अनुवाव से मौसी की चुत में लंड घुसाया. आंटी के जितना टाइट तो नहीं थी फिर अभी नया माल का मजा कुछ और था. उनकी चुत काफी रस से भरा हुआ था. अंदर जातेही उनकी चुत ने मुझे अंदर जगदलिया. मौसी कप रही थी. मौसी को धीरे धीरे धक्का देते मैंने बोला ‘ओह मेरी प्यारी मौसी’ पता नहीं मौसी को क्या हुआ बोलने लगी ‘प्लीज़ जग्गू मुझे मौसी मत बोल.उउमम्मूँ..तुम नाम से बोल…जैसे तेरे …यू,,आंटी.उसे वो..लेट..हां है…’ यह बात सुनकर मुझे अभी जोश आया मैंने उनकी कान में थोड़ा चूमते बोला‘ ओह मेरी प्यारी सुजाता मेरी डार्लिंग’ अपनी मुंह से पहेली बार मौस्की का नाम लेकर बोल रहा था. मैं और जोश में आया..फिर अभी मेरा आंख और कुछ दूध रहते. मौसी कहने लगी “जग्गू जल्दी मर ले उम्म्म ओऊफ्फ दीदी आएगी जग्गू…”मैंने नीचे धक्का देते बोला ‘ आने डाल दो मौसी दीदी अभी देखेगी बेटा मौसी को कैसा चोदता है.” मेरा यह बात सुंतेही मौसी ने अभी नीचे से गांड ऊपर करके मेरी धक्का को और दबाव देने लगी. ऐसा लग रहा था मैं उनको उकसा रहा हूँ.कुछ देर बाद अचानक मुझे आंटी दिखाई दीने लगी. आंटी दरवाजा के आगे चुपचाप खड़ी थी. वो हमारी चुदाई देख रही थी. मौसी आंटी को देख नहीं परहती लेकिन मेरी नज़र आंटी के साथ मिलरहिता. दोस्तों ये कैसा एहसास है पता नहीं लेकिन मेरा लंड मौसी की चुत में टाइट हो गयी. आंटी का चहेरा लाल था. आंटी कुछ कर नहीं सकती अगर अंदर आकर मौसी को गली देती तो उनका बेटा अभी समेल था और इज्जत मिट्टी में होजती. उनके लिए खड़ा खड़ा देखना ही एक रास्ता था. आंटी को देखटेही मैंने मौसी की दोनों पर अपना कंधे पे उठाया. मौसी ने अभी सयोग की. आंटी चौक के देख रही थी. दोस्तों आंटी को देखटेही मेरा पास इतना एनर्जी आया की मैंने मौसी का दोनों पर कंध में उठाकर इसे चुदाई की मौसी अभी चिल्लाने लगी ‘ औउहह हूव जग्गू…ज्जा.श….श……..हम ग्ग्गू….’ यह पोज़िशन में मेरी लंड मौसी की चुटकी पूरी गहेराई तक गायता और मेरा दो बॉल अभी मौसी की गांड में ठोकर कहा रहते. आंटी की चहेरा देख के ऐसा लग रहा था मैं मौसीको नहीं आंटी को चोद रहा हूँ. मौसीक़ी चुत पानी से भर गया था फिर अभी चुदाई जारी था. मैं आंटी के साथ नज़र मिला रहा था लेकिन लंड मौसी की चुत में धनधान पेल रहता. चुदाई इतनी तेजी से करना चालू कर दिया की मौसी की बदन पूर सड़कने लगा. मौसी उछाल रही थी.कुछ देर बाद मेरा लंड ने मौसी की चुत में कुछ ज्यादा पानी महसूस किया और मौसी का कामार अभी ढीला पड़ा.मौसी दूसरी बार झाड़ चुकी थी. मैं और एक राउंड के चक्कर में था. लेकिन दरवाजा में खड़ी मेरी आंटी की चहेरा में आंसू दिखने लगा और कुछ देर में हूँ चालदी. आंटी जातेही मेरा पूरा जोश उतरा गया. मैंने मौसी की चुदाई बंद की. मौसी की चुत में अवीटक मेरी गरम पानी नहीं गिरिति इसलिए मौसी अभी कुछ समझ नहीं पे..मौसी ने लंबी स्वास लेकर बस इतनी बोली ‘ हे भगवान मारगईए जग्गू…’ मैंने पैंटी लगालिया और बाहर निकला. मौसी तक चुकी थी इसलिए मस्ती में इतना बोली ‘अब मुझे बस सोना है ‘ मैं बाहर निकला. आंटी को ढुड़ने लगा. आंटी बाहर थी. मुझे दिखके आंटी ने सर मॉदलिया. लेकिन मैंने आंटी की गाल को जबारजस्ति चूमते उनसे कहा.’बस भी करो आंटी. अब मत बोलना की जो अभी करना है मौसी से करना. मैंने कितने बार बोला है की मैं आप को उदास नहीं देख सकता.’ आंटी ने रोते हुए मुझे बांहों में लेकर बोला. ‘यह तूने क्या किया बेटा अपनी मौसी के साथ..’ मैंने जवफ में कहा ‘मां मौसी के साथ मैंने इसलिए किया था की मैं आप की प्यार जान ना चाहता था. आप को बस जलना चाहता था.सच आंटी मैंने बस मौसी को खुश किया मेरे तो अभी भी आपके लिए ही खड़ा है.’ आंटी ने मेरी नीचे खड़े लंड को देखी. उनको पता हो गया मैंने अपनी चुदाई पूरा नहीं की थी.’ आंटी ने रोते कहाँ ‘देख जग्गू अगर तू ने मौसी के साथ दुबारा इसे हरकत की तो मैं मरजौंगी’ मैंने आंटी की पूरी भारी बदन को उठाकर बोला ‘मां तू मेरे लिए क्या है तुझे भी नहीं पता’. मैंने आंटी को अपनी बिस्तर तक लेकर गया. आंटी बोलने लगी ‘जग्गू मौसी को मालूम होगी तो’ मैंने घुस्से से कहा ‘मां तू बस चुप कर नहीं तो मुझे मौसी के साथ जाना पड़ेगा. फिक्र करने की जरूरत नहीं है मौसी अब आजा खड़ी नहीं हो पाएगी’. यारो मैंने आंटी को बिस्तर पर रखा और चूमना शुरू किया. आंटी की चुदाई बहुत दिन से करना चाहा रहा था. इसलिए मैं पूरा जोश में था. मैंने आंटी की कान में बोला ‘मां मैं आपको बीवी बनाना चाहता हूँ.’ अचानक अपनी मुंह से निकली गाँधी बात से मैं खुदा कांपने लगा. आंटी ने भी आहें भर्लिया. एक आंटी के लिए बेटा शादी का प्रस्तब रख रहा था. आंटी ने भी बोली ‘ओह मेरा जग्गू मेरा लाल’ मैंने आंटी की चुदाई भी उनकी दोनों पैर उठाकर किया. उस रात इतना मचल मचल के हमने चुदाई की. आंटी की चुत भी मेरे लंड को पूरी तरह साथ डर रही थी. चुदाई के बाद आंटी अपने कमरे में गयी.
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