दोस्तों यह मेरी शादी से पहले की बात है तब मेरे बूब्स का आकार भी एकदम ठीकठाक था और मेरा रंग गोरा में दिखने में सुंदर और मेरे बूब्स की निप्पल उठी हुई थी. मेरा भरा हुआ गोरा बदन उभरे हुए बूब्स को देखकर हर किसी की नजर हमेशा मेरी छाती पर ही टिकी रहती थी. दोस्तों मेरी एक सहेली है जिसका नाम कविता है और वो मेरी सबसे पक्की सहेली थी और तब उसकी शादी हो चुकी थी, लेकिन में तब भी कुंवारी ही थी और फिर कुछ समय बाद मुझे पता चला कि उसकी शादी के एक ही साल बाद उसने दो जुड़वा बच्चों को एक साथ जन्म दिया जिसमे एक बेटा और एक बेटी थी.
फिर में जब उसके घर पर उससे मिलने गई तब वो दोनों बच्चे करीब तीन महीने के हो चुके थे हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरे से बहुत समय बाद मिले थे, इसलिए हम दोनों बहुत खुश थे. फिर हम साथ में बैठकर बहुत सी पुरानी बातें करने लगे. हमारी यादे ताजा कर रहे थे और तभी बीच बीच में उसके वो बच्चे भी उठ जाते तो वो उन्हे अपना दूध पिलाने लगती, वो दोनों एक साथ ही भूखे होते थे शायद वो दोनों जुड़वाँ थे इसलिए उनके साथ ऐसा हो रहा था.
फिर कविता अपने दोनों बूब्स को पूरा बाहर निकालकर उन्हे बच्चो के मुहं में देकर अपना दूध उन दोनों को साथ में ही पिला रही थी और वैसे वो उन दोनों को तो एक साथ गोद में ले नहीं सकती थी इसलिए वो अपने दोनों तरफ दो तकिये रखती जिससे वो उन दोनों को एक साथ अपना दूध पिला सके और अब उन दोनों का सिर्फ़ सर ही वो अपनी गोद में रखती बाकी का बदन तकिये पर रखती. फिर उस दिन वो मुझे अपने घर पर छोड़कर थोड़ी देर के लिए कहीं बाहर चली गयी और उस वजह से में अब घर में अकेली ही थी, तो उसके चले जाने के कुछ देर बाद वो दोनों बच्चे जाग उठे और अब वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगे थे, मैंने खिलोनों से उनका ध्यान आकर्षित करके उन्हे शांत करने का प्रयत्न किया, लेकिन वो लगातार रोए ही जा रहे थे.
फिर मैंने तब मन ही मन में सोचा कि क्यों ना में उन्हे अपने बूब्स पर लगाकर देख लूँ मेरे बूब्स में दूध तो नहीं है, लेकिन में देखूं तो सही मेरे ऐसा करने से क्या होता है शायद वो चुप हो जाए? उस समय मैंने स्कर्ट टी-शर्ट पहनी हुई थी. फिर मैंने अपनी टी-शर्ट को खोला और अब मैंने बिल्कुल कविता की तरह उन दोनों बच्चों को मेरे बूब्स पर लगा लिया. तब मेरे बूब्स के निप्पल मिलते ही वो दोनों बिल्कुल शांत होकर उनको चूसने लगे और मेरे लिए भी यह एकदम नया अनुभव था, जिसकी वजह से मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, लेकिन मेरे बूब्स में दूध तो था ही नहीं इसलिए थोड़ी ही देर में बेटी ने मेरे निप्पल को चूसकर अब छोड़ दिया, लेकिन अब मैंने बड़े आश्चर्य के साथ देखा कि बेटा बड़ी मस्ती से मेरे निप्पल को चूसे जा रहा था उसके मेरे बूब्स को चूसने का तरीका बहुत अच्छा था और वो मेरे बूब्स को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था, क्योंकि वो एक मर्द था ना? इसलिए वो मेरे बूब्स कैसे छोड़ता चाहे उसमे दूध हो या ना हो? क्योंकि उसको तो बस बूब्स मिल गया था इसलिए वो उसको लगातार चूसता ही चला गया.
फिर उतने में कविता भी आ गयी और जब मैंने उसको वो सभी बातें मेरा उन दोनों बच्चो को दूध पिलाने का अनुभव बताया तब उस बात पर हम दोनों बहुत ज़ोर ज़ोर से हँस पड़े क्योंकि वो भी मेरी बात का सही मतलब समझ चुकी थी. फिर एक बार मेरी एक और सहेली की बड़ी दीदी, जिसका नाम मालिनी था तब उसकी शादी थी और में वहाँ पर चली गई और उस समय सभी औरतें तैयार होने के लिए एक कमरे में थी और तब उस कमरे में करीब आठ औरतें और उनके चार बच्चे जो उम्र में करीब तीन चार साल के थे वो भी उस समय कमरे में ही थे और सभी औरतें अपने अपने कपड़े बदल रही थी.
फिर उन सभी के बूब्स उस समय खुले हुए थे और तभी उनमें से किसी ने सेक्स की बात चला दी और फिर सभी औरते हंस हंसकर अपने अपने सेक्स अनुभव को कहने लगी थी. अब मैंने मालिनी से कहा कि वाह मालिनी तुमने क्या मस्त बूब्स पाए है जीजाजी तो इन्हें ऐसे मसलेंगे यह शब्द कहकर में मालिनी के दोनों बूब्स को अपने हाथों से मसलने लगी और बाकी सभी औरतें हम दोनों को देखकर उस समय बहुत ज़ोर से खिलखिलाकर हंस रही थी और मालिनी शरमा रही थी, तभी इतने में कमरे में जो बच्चे थे, उसमे से एक बच्चा पास के बेड पर तुरंत चढ़ते हुए बोल उठा कि ऐसे नहीं इनको इस तरह से मसलते है.
दोस्तों उस तीन साल के बच्चे के मुहं से ऐसा कुछ सुनकर और उसको बूब्स को अपने छोटे मुलायम हाथों से मसलता हुआ देखकर वहां पर उपस्थित सभी लोग बड़े हैरान हो गये और तब उसकी माँ भी वहीं पर थी उसने उससे पूछ लिया कि अरे तूने यह सब कहाँ से सीखा? तब वो झट से बोल पड़ा कि मैंने एक रात को पापा को देखा था आपके साथ ऐसा करते हुए.
दोस्तों उस समय उसकी चार साल की बहन भी वहाँ पर उपस्थित थी, लेकिन उसने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा और वैसे भी यह एक मर्द था ना इसलिए उसने वो सब बड़े ध्यान से देखा होगा क्योंकि उनको इस काम में बहुत मज़ा आता है और उन्हें इसमे रूचि भी ज्यादा होती है. दोस्तों मेरी एक और सहेली है जिसका नाम शर्मिला है उसका वो अनुभव भी आप सभी को बताने जैसा ही है जिसको पढ़कर सभी को अच्छा लगेगा.
दोस्तों उसके वो दोनों बूब्स आकार में बहुत बड़े, लेकिन वो एकदम सुडोल थे इसलिए बड़े अच्छे लगते थे और उसको अपने वो उभरे हुए बूब्स की झलक को दिखाकर सभी मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करना बद्दा पसंद था और इसलिए वो हमेशा जानबूझ कर कपड़े भी ऐसे ही पहनती थी, जिससे उसके बूब्स पर हर किसी की नजर चली जाए और वो उसने बूब्स को देखकर पागल हो जाए. दोस्तों उसका वो टॉप हमेशा गहरे और बड़े गले का हुआ करता था और अब इसके आगे की बात आप सभी उसके मुहं से ही सुनिए.
दोस्तों यह तक की घटना है जब में उस दिन कोलकाता से सिलिगुड़ी जा रही थी वो मेरा बस का सफर था और शाम को बस चलती थी और वो दूसरे दिन सुबह अपने ठिकाने पर पहुँचती थी. तो मुझे उस सफर में एक खिड़की वाली सीट मिली थी.
में उस समय बिल्कुल अकेली थी और वो बड़ा लंबा सफ़र था और इसलिए में मन ही मन में सोच रही थी कि कोई नौजवान मेरे पास में आ जाए तो बड़ा अच्छा होगा, लेकिन हाए रे मेरी किस्मत में एक 80 साल का बुढ्ढा लिखा था, इसलिए वो मेरे पास में आ गया और तब मैंने अपने भाग्य को बहुत बार कोसा और फिर में उस खिड़की से बाहर देखती रही, लेकिन वो बुढ्ढा अब मेरे बूब्स की तरफ अपनी चकित खा जाने वाली नजरों से देख रहा था.
तभी उस समय मुझे उसकी आखों में काम वासना नज़र आ गई, लेकिन थोड़ी देर के बाद वो सो गया और अब उसका सर मेरे कंघे पर गिर गया और फिर में हल्का झटका देती तो वो जागकर अपने सर को उठा लेता, लेकिन फिर वही होता और अब धीरे धीरे दिन ढलने लगा था. तभी मुझे मज़ाक सूझा मैंने अपना एक हाथ उठाकर उसके सर के पीछे सीट के हॅंडल पर रख दिया, वो थोड़ी देर में एक बार फिर से मेरे कंधे की तरफ लुड़का, लेकिन क्योंकि मेरा हाथ पीछे फैला हुआ था और उसका सर झुककर मेरे बूब्स पर ठहर गया.
अब बस उछल रही थी तो उसका सर भी उठ उठकर मेरे बूब्स पर हर बार गिर रहा था और उसे पता नहीं था, लेकिन मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैंने ऐसे ही वो सब चलाने दिया. फिर कुछ देर के बाद बस चाय पानी के लिए एक ढाबे पर रुकी और जब वो बस फिर से चली तो तब रात हो गयी थी और बाहर अंधेरा छा गया था, लेकिन मुझे भी अब नींद आ रही थी और इसलिए में अपने दोनों हाथों को एक के ऊपर एक को रखकर आगे की सीट के हेंडल पर रखकर आगे की तरफ झुककर अपना सर उसके सहारे रखकर सो गयी. फिर मैंने देखा कि वो बुढ्ढा भी ऐसे ही सोया हुआ था और तभी मेरी गहरी नींद लग गयी और थोड़ी देर में मुझे एक सपना सा महसूस हुआ जिसमें कोई मेरे बूब्स को सहला रहा था. फिर कुछ देर बाद मुझे होश आया तो पता चला कि यह कोई सपना नहीं सच है मेरे टॉप पर उस बुड्ढे का हाथ इधर उधर घूम रहा था.
अब मैंने भी अपनी तरफ से सोने का वो नाटक चालू रखा और अब वो बुढ्ढा अपने हाथ को घुमाने की बजाए मेरे दोनों बूब्स को अब टॉप के ऊपर से ही हल्के से मसल रहा था और थोड़ी ही देर में उसने टॉप के गले के नज़दीक मेरे बूब्स के खुले भाग को दबाना भी चालू किया.
मैंने कुछ देर बाद अपना वो नाटक बंद किया और मैंने दबे से स्वर से उसको बोला कि यह क्या कर रहे हो? क्या तुम्हे शरम नहीं आती? बुढ्ढा भी अपने दबे स्वर में मुझसे कहने लगा कि जब तेरे बूब्स पर मेरा सर उछल उछलकर ठहर रहा था तब तो तुझे बड़ा अच्छा लग रहा था, दुनिया मैंने भी देखी है लड़की, मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है कि तू भी मुझसे यही सब चाहती है तू अब ऐसे ही सोई रह. दोस्तों में कुछ सोचती समझती उससे ही पहले वो मेरे टॉप के आगे के बटन को खोल चुका था और देखते ही देखते उसने मेरी ब्रा को भी खोल डाली, जिसकी वजह से अब मेरे दोनों बूब्स ऊस खुली हवा का स्पर्श पाते हुए लटक रहे थे और बुढ्ढा उस पर चालू हो गया.
मैंने सोचा कि इसके लिए तो में किसी नौजवान को चाह रही थी, लेकिन यह बुढ्ढा ही अब वही सब कर रहा है तो इसमे क्या बुरा है? उस रात को उसने मेरे साथ बहुत मज़ा लिया और मुझे भी उसकी वजह से बड़ा आनंद मिला तब मैंने उस सफर में महसूस किया कि वो सही में बूब्स से खेलने में बड़ा निपुण था. तो दोस्तों देखा आप सभी ने बच्चे हो या बुड्ढे मर्द सभी बूब्स के हमेशा दीवाने होते है.