मैं दिल्ली की एक चुदासी भाभी हूँ जिसकी कल्पना आप जैसे लड़के करते हैं और मुठ मार के सो जाते हैं. मैं भी चाहती
हूँ जवान लंड लेना लेकिन वो सब हर बार तो पोसिबल नहीं होता हैं. शादी के बाद बहुत सब को काफी बंदिशे होती हैं जैसे की मुझे. पति और जेठ जी का कारोबार साथ में हैं और पति चुदाई का अनुभव सीजनल मोड़ में देते हैं. शर्दियो में खूब देते हैं और गर्मियों में जैसे लंड की स्विच को बंघ कर देते हैं.
काश मेरी चूत में भी ऐसी कोई स्विच होती जिसे मैं ऑन ऑफ कर सकती. लेकिन चूत तो साली बेकाबू घोड़े के जैसे उफान मचाती हैं. और फिर मुझे मज़बूरी में घर के बंध कमरे में उसे हलानी पड़ती हैं और उसे दर्द देना पड़ता हैं मोमबत्ती का या केले का. और ये हादसा भी तब हुआ जब मैं अपनी चूत को केला खिला रही थी.
गर्मी के दिन थे. निचे फ्रूट के ठेलेवाला आया. जेठानी के मइके से कुछ लोग आये थे इसलिए वो उनके साथ बैठी थी. आज मौका था मेरे पास फ्रूट चुनने का. मैं जानबूझ के कुछ कच्चे केले भी पक्के केलों के साथ में ले आई. ऊपर आई तो देखा की जेठानी अपने रिश्तेदारों के साथ कही बहार जाने को रेडी दिख रही थी.
जेठानी: अनु मैं इनके साथ एक घंटे के लिए बहार जा रही हूँ. आप घर में रहोगी या साथ में चलोगी?
मैं: नहीं मैं घर पर ही हूँ भाभी.
जेठानी: सुधीर (मेरे जेठ का नाम) आये तो उन्हें खाना दे देना प्लीज़.
मैं: ओके.
उन लोगो के जाते ही मैंने एक कच्चा केले को लिया और ऊपर अपने बेडरूम में जा घुसी. कमरे में घुस के जल्दबाजी में दरवाजा बंध करना भी भूल गई. बिस्तर पर लेट के मैंने अपने घाघरे को ऊपर कर दिया और पेंटी को साइड में किया. चूत पर हाथ फेरा और उसके हल्के बालों में उंगलिया घुमाई. मेरी चूत पहले से ही पानी दे चुकी थी. केले को पहले नाक के पास ले के सुंघा और फिर थोड़ा चूस लिया. केले के ऊपर के भाग से मैंने काले रेसे जैसे हिस्से को निकाल फेंका ताकि वो मेरी चूत में फंस ना जाए.
फिर मैंने केले के अग्रभाग को अपनी चूत की फंको पर घिसा. वाऊ, क्या मस्त लग रहा था. मेरी चूत में जैसे सावन आ गया था और उसका और भी पानी निकल पड़ा. मैंने अभी तो उसके होंठो पर ही केले को लगाया था और चूत में क्या उभार आ गया था. फिर मैं केले को छेद की तरफ ले के गई. छेद पर रख के जैसे ही दबाया केला अन्दर आया गया. मैंने आधा केला अन्दर कर दिया और फिर उसे अन्दर बहार करने लगी. चूत में केला अन्दर बहार करते हुए ही मेरी नजर दरवाजे पर पड़ी तो मेरी गांड फट के हाथ में आ गई. वहां मेरा जेठ खड़ा हुआ था और मुझे देख रहा था.
बाप रे!!!!!!!! मैं फट से केला हटा के अपना घाघरा निचे कर दिया. वो अभी भी मुझे ही देख रहा था. फिर वो निचे चल पड़ा. मैं डरते हुए निचे आई तो वो डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे. मैं अभी भी डरी हुई थी लेकिन उन्हें खाना भी तो देना था. मैं किचन में गई, मैंने तिरछी नज़रों से देखा तो सुधीर मेरी गांड को ही देख रहे थे. मैं एक पल के लिए दिल की धडकन चुक गई. किचन में खाना गर्म कर के वापस आई और डाइनिंग टेबल पर रख दिया. मैं पानी लेने ही मुड़ी थी की जेठ जी ने खड़े हो के मुझे अपनी बाहों में ले लिया.
मैं: क्या कर रहे हो आप?
सुधीर: तू क्या कर रही थी अंदर वो बता?
मैं कुछ नहीं बोल पाई लेकिन जेठ से चुदने का मैंने कभी सोचा नहीं था. वो बोले, आज तेरी सब गर्मी निकाल दूंगा मैं.
उनके मुह से ये डायलोग सुन के मैं सिहर गई. मैंने कुछ नहीं किया और थोडा सा छटपटाहट दिखाया. जेठ ने मुझे छाती से ही पकड़ लिया और मेरी चुन्चियों को दबाने लगे. मैं आह कर के रह गई. मेरी गांड उनके लंड के एकदम सामने थी और वो मुझे चिभ भी रहा था, एकदम गरम और सख्त था जेठ का लंड जिसका अहसास मैं ले रही थी अपने कूल्हों पर.
जेठ ने मेरी छातियो को दबाते हुए हाथ को ब्लाउज के अंदर डाला. मेरी निपल का दाना हाथ में ले क उसे दबा दिया. मुझे पेन हुआ लेकिन सेक्स की फिलिंग का जैसे इंजक्शन लग गया निपल के टच होते ही. मैं मदहोश हो गई और रिश्तो को भूल के जेठ जी के बालों को पकड़ के उन्हें अपनी तरफ खिंच बैठी. जेठ का लंड मेरी गांड की फांक में चिभ गया! जेठ के हाथ में अब मेरे निपल्स वन बाय वन आ रहे थे जिन्हें हिला के वो मुझे असली अन्तर्वासना का अहसास करवा रहे थे. मैं अब अपना हाथ निचे किया और उनकी पेंट के ऊपर हाथ रख के लंड को पकड लिया. मेरे पति से डेढ़ गुना लम्बा लग रहा था मुझे उनका लौड़ा.
जेठ ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगे. मैं शर्म से निचे देख रही थी. उन्होंने मुझे दाढ़ी से पकड़ के ऊपर किया और मेरी लिपस्टिक वाले होंठो को अपने रूखे होंठो से लगा लिए. मैंने भी उन्हें किस करने में पूरा सपोर्ट किया. किस करते हुए ही उन्होंने सब बटन खोल दिए और अन्दर की ब्रा भी उतार दी, मेरे चुंचे ३८ की साइज़ के उनके सामने थे. अब जेठ ने मेरी निपल्स को चूसा और बोले: काफी बड़े मम्मे हैं तेरे अनु, मेरी वाइफ से भी बड़े हैं.
मैं अपने बदन की तारीफ़ से खुश हुई और तभी जेठ ने मेरी गांड की फांक में ऊँगली डाल के मेरे एसहोल को हिलाया. मैं मदमस्त हो के उन्हें अपनी और जोर से खिंच बैठी.
जेठ: तुम्हारी भाभी आ जायेगी कुछ देर में, जल्दी करना होगा.
इतना कह के वो खुद भी न्यूड हो गए. मैंने उनके लंड को देखा तो खुश हो गई. पुरे ७ इंच का था और दिखने में किसी पोर्नस्टार के जैसा सफ़ेद. मैं अपनेआप को रोक नहीं पाई और लंड को मुह में ले के चूसने लगी. जेठ जी से मुह चुदवाने के बाद हम दोनों मेरे बेडरूम में चले गए. वहाँ जेठ ने मेरी टाँगे फैलाई और वो मेरी चूत को चाटने लगे.
चूत को थोड़ा चाट के जेठ: अरे वो केला कहा गया?
मैं: चद्दर के निचे हैं.
जेठ जी ने चद्दर हटा के केला बहार निकाला. और मुझे बिना कुछ कहे ही केले को मेरी गांड के छेद में फंसा दिया. मुझे काफी दर्द हुआ लेकिन चूत चटवाने के प्लीजर के आगे वो दर्द कम ही था. जेठ ने देखते ही देखते आधा केला मेरी गांड में भर दिया और जबान से चूत को पूरा साफ़ कर दिया उन्होंने.
दोस्तों उसके बाद की तो बात ही रंगीन थी. जेठ ने केले से मेरी गांड मारी और अपने बड़े लंड से मेरी चूत को चोदा. शायद मुझे केले से हस्तमैथुन करते देख वो समझ गए थे की मैं बड़ी प्यासी हु और इसलिए उन्होंने मेरे दोनों छेद को संतृप्ति दे दी!!!
दोस्तों उस दिन तो बस फास्ट फास्ट हो गया सेक्स हम दोनों का. लेकिन उसके बाद हम प्लान से सेक्स करते हैं. और वो सब सेशन लम्बे चले हैं. आप लोगों के लिए मैं मेरे जेठ के साथ की चुदाई की कुछ और कहानियाँ भी जल्दी ही शेयर करुँगी! तब तक आप लोगो ने हिंदी पोर्न स्टोरीज़ डॉट कॉम पर मेरी ये कहानी को पढ़ा उसके लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद!