भैया एक कम्पनी में काम करते हे जब की भाभी हाउसवाइफ हे. बाबु जी और माँ सुबह होते ही खेतों की तरफ निकल जाते हे और वही पर रहते हे ज्यादातर टाइम. अक्सर वो लोग रात भी खेतो में बनी हुई एक छोटी रूम में ही बिताते हे. मेरी भाभी का नाम दीप्ती हे. ये बात तब की हे जब मैं 18 साल का था और एक्साम्स दिए थे मैंने बारवीं के और रिजल्ट आया नहीं था. खाने के टाइम बातें हो रही थी. बाबु जी को मैंने कहा, बाबु जी अगर अच्छे नंबर से पास हुआ तो आप को मुझे बाइक ला के देनी होगी.
बाबु जी खाते हुए सिर्फ उह्ह्ह बोले.
मैंने कहा आप ने पहले से कहा था बाबु जी मैं तो बाइक लूँगा ही.
बाबु जी बोले, अरे भाई हां कहा तो.
भैया ने कहा छोटे मैं भी तेरे लिए एक मोबाइल ले के आऊंगा, लेकिन नम्बर अच्छे आये तो.
माँ बोली, भाई मैंने कुछ सोचा नहीं हे तेरे लिए, तू ही बता देना कुछ लेना हो तो.
खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में गए और भाभी वहाँ किचन के बेसिन में बर्तन धो रही थी. मैं भी टीवी देखने के लिए चला गया. भाभी भी कुछ देर के बाद टीवी देखने के लिए आ गई. भैया और माँ बाबु जी तब नहीं थे वहां पर. मैंने भाभी से कहा, भाभी आप ने कहा नहीं की आप क्या देंगी?
भाभी ने कहा, अरे भाई जो चाहे वो मांग लेना बस!
मैं कहा, फिर मुकरेंगी तो नहीं ना?
भाभी ने कहा, जा वादा करती हूँ बस.
फिर कुछ दिनों में मैं फर्स्ट क्लास से पास हो गया. और कुछ दिनों तक कोलेज में दाखिले के लिए दौड़ता रहा. एडमिशन हो गया मेरे कोलेज के अंदर. बाबु जी की बाइक और भाई की तरफ से सोनी का मोबाइल मिल गया था मुझे.
एक दिन मैं कोलेज से घर पहुंचा तो देखा की बहार भाभी कपडे धोने में लगी थी. मुझे देख के वो खड़ी हुई और बोली, आ गए आप देवर जी. फिर वो अन्दर आई मेरे लिए खाना निकालने के लिए. वो आज बड़ी ही सेक्सी माल लग रही थी. कपडे धो रही थी इसलिए उसका पूरा बदन गिला था और उसके कपडे भाभी के बदन के साथ चिपके हुए थे. भाभी उस समय किसी पोर्न स्टार के जैसी सेक्सी लग रही थी. इस से पहले मैंने भाभी के लिए कोई गन्दा विचार मन में नहीं रखा था. पर आज सच में मेरा मुड़ बन रहा था. भाभी का फिगर करीब 32-28-32 का हे.
भाभी किचन में मेरे लिए खाना लगा रही थी तो मैं पीछे से उसकी बड़ी फैली हुई गांड को देखने लगा. भाभी की नजर मेरे ऊपर पड़ी तो वो बोली, ऐसे क्यूँ देख रहे हो आज?
मैने कहा, कुछ भी तो नहीं. और फिर मैं खाने के बाद टीवी वाले कमरे में चला गया और मूवी लगा के बैठ गया. फिर मुझे याद आया की मैं दोस्त से Ba Pass.. नाम की मूवी की डीवीडी ले के आया था. मैंने वो लगा दी और भाभी भी कुछ देर में आ गई और हम साथ में ही मूवी देखने लगे.
कुछ देर के बाद मूवी में ऐसा सिन आया की लड़के की मासी उसे अपनी एक फ्रेंड के पास भेजती हे. मैंने सोचा की सेक्स का सिन आएगा इसलिए मैंने टीवी बंद कर दी.
भाभी बोली, अरे देवर जी चलने दो न मूवी अच्छी तो हे.
मैं बोला: भाभी वो सिन अच्छा नहीं हे.
भाभी बोली, अरे मुझे देखने दो.
मैंने फिल्म वापस चालू कर दी. उसके अन्दर लड़का किस देता हे और फिर चुदाई चालू करता हे. भाभी मेरे सामने देख के हंसने लगी और फिर उसने मुझे छेड़ना चालू कर दिया.
भाभी: तुम्हारी कोई लड़की फ्रेंड व्रेंड बनी की नहीं कोलेज में?
मैं: अरे भाभी अभी तो कोलेज ज्वाइन किया हे. इतनी जल्दी कहा से.
भाभी ने कहा: अरे तुम इतने अच्छे दीखते हो फिर तो जल्दी हो जाना चाहिए सब.
मैंने कहा अरे मुझे ही कोई ढंग की नहीं लगी अभी तक भाभी.
भाभी: अच्छा कैसी लड़की चाहिये?
मैंने भी फटाका फोड़ ही दिया और भाभी को बोला मुझे तो आप के जैसी कोई चाहिए.
भाभी ने नोटी स्माइल दी और बोली, मैं अपने जैसी ओई ढूंढ दूंगी तुम्हे, ओके?
मैं: हां लेकिन अगर आप के जैसी लड़की नहीं रही या हमें नहीं मिली तो?
भाभी: वो तो तब की बात हे ना.
मैं: ठीक हे भाभी आप एक महीने भर में आप के जैसी कोई ढूंढ लीजिये मेरे लिए.
भाभी: ओके.
तभी मेरे मोबाइल पर कॉल आया की मेरे बड़े भैया का एक्सीडेंट हुआ था और वो क्लिनिक में भर्ती थे. मैं और भाभी फट से भागे और वो क्लिनिक हमारे घर से काफी दूर था. जा के देखा तो भैया के पैर में गहरा घाव हुआ था और उनकी एक बड़े हॉस्पिटल में सर्जरी होनी थी. भाभी मुझे गले लग के रो रही थी और तभी माँ और बाबु जी भी आ गए.
मैंने भाभी के कंधे के ऊपर हाथ रख के उन्हें शांत किया और खुद को भी संभाला. डॉक्टर ने कहा की एक महीने तक भैया को वही एडमिट रहना पड़ेगा.
बाबु जी ने कहा: नारायण तुम भाभी को ले के घर जाओ, मैं और तुम्हारी माँ यही रहेंगे. यहाँ मेरे एक दोस्त हे वो खाना भेजेंगे डेली हमारा इसलिए उसकी भी टेंशन मत करना.
मैं भाभी को अपनी बाइक पर ले के आ गया घर पर. भैया का पैर ठीक होने लगा था. मैं भाभी को ले के हफ्ते में 2-3 बार दवाखाने जाता था. फिर भाभी की लाइफ नोर्मल हो गई. कुछ दिन उदास रहने के बाद वो मस्ती मजाक पर चढ़ गई थी. 25-26 दिन हुए थे और मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया एक दिन मजाक में. वो बोली क्या हुआ?
मैंने कहा: आप को आप का प्रोमिस तो याद हे ना?
भाभी ने कहा, भाभी के जैसी कोई नहीं मिली!
मैंने कहा: लेकिन भाभी तो हे ना मेरे लिए!
वो मेरी नजरो में देख के बोली: मतलब? अच्छा!
मैंने उसकी कलाई को मोड़ा. वो भाग सी गई वहां से और बोली, सोचेंगे इस बारे में.
4 दिन और बित गए. मैंने को कहा. तो वो बोली, आज तो भैया को हॉस्पिटल से वापस ले के आना हे!
तभी बाबु जी का कॉल आया और वो बोले, डॉक्टर ने पांच – सात दिन रहने को कहा हे तो तुम लोग गाडी ले के मत आना.
भाभी को पकड लिया मैंने तो वो बोली, क्या कर रहे हो?
मैंने कहा आप के दो प्रोमिस हुए इकठ्ठे?
वो बोली, दो कैसे?
तो मैंने कहा, परीक्षा में पास होने के इनाम देने का भी प्रोमिस भी तो बाकी हे.
वो बोली, क्या चाहिए?
मैंने कहा आप के साथ सुहागरात मनानी हे मुझे!
वो हंस पड़ी. और बोली: धत!
लेकिन मैंने उन्हें कस के अपनी बाहों में भर लिया और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर गरम अहसास करवा रहा था. वो समझ गई की मैं मर्द बन गया हूँ. भाभी बोली: कुछ देर रुको मैं खाना बना लूँ पहले!
खाने के बाद भाभी ने मुझे अपने कमरे से निकाल दिया. और बोली- 20 मिनट से पहले वापस मत आना.
फिर मैं आधे घंटे बहार घूम के भाभी के पास आ गया. वो अपने कमरे में थी और उसने खुद को पूरी दुल्हन बनाया हुआ था. उसने घुंघट भी ओढ़ रखा था. मैं उसके बिस्तर में बैठ गया और भाभी के घुंघट को ऊपर किया तो वो रोने लगी.
मैंने कहा: आप की आँखों में ये आंसू कैसे भाभी?
वो बोली: देवर जी मेरी शादी को अब ढाई साल हो चुके हे. और रिश्तेदारों के साथ साथ मेरे मइके की औरते भी बांज का ताना देती हे. आप की माँ भी ताने सुनाती हे. लेकिन सच ये हे की तुम्हारे भाई के लंड में वो ताकत ही नहीं हे. अब आप ही बताओ की बांज होने की ये गलती फिर मेरे ऊपर क्यूँ थोपी जा रही हे!!!
मैंने भाभी को गले से लगा लिया और कहा, आज ही सब ठीक हो जाएगा भाभी. आप रोये नहीं!
फिर मैंने भाभी को अपने होंठो से होंठो का स्पर्श दिया और वो मुझे एकदम कस के लिपट गई. 10 मिनिट तक हम एक दुसरे को चुम्बन देते रहे. मैं भाभी के बूब्स को उसके ब्लाऊज के ऊपर सही सहला रहा था. और फिर मैंने ब्लाउज के अंदर अपने हाथ को डाल के उसके निपल्स को सहला दिए. भाभी सिहर उठी. धीरे से मैंने अब भाभी के ब्लाउज और ब्रा के हुक खोल के दोनों को उसके बदन से दूर कर दिया. भाभी के उछलते हुए सेक्सी बूब्स बहार आ गए. मैंने भाभी के बूब्स के ऊपर अपने होंठो को लगा दिया और चूसने लगा.
मुझे तो जैसे भाभी का नशा होने लगा था. मैंने बूब्स को खूब चुसे और अपने दांतों से काटे भी. जब मैं उसके निपल्स और बूब्स के ऊपर दांत गडाता था तो उसके मुहं से मस्त सिसकी निकल पड़ती थी और उसे खूब मजा आने लगा था. भाभी भी एकदम गरम हो गई थी. अब मैंने भाभी की साडी को निकाल दिया. और फिर उसके बाद उसकी पेंटी को खिंच लिया. भाभी के घाघरे को मैं पेंटी से पहले ही निकाल के फेंक चूका था. भाभी ने चुदाई के लिए तैयारी कर के रखी थी और अपनी चूत के सब बाल साफ़ कर के रखे थे. मेरे से रहा नहीं गया और मैंने उसकी चिकनी चूत को अपने हाथ से सहला रहा था. फिर मैंने एक ऊँगली को उसकी चिकनी चूत के अंदर डाल दी. भाभी के मुहं से उफफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह निकल गया. मैं ऊँगली को अन्दर बहार कर के हिलाने लगा. भाभी का कामरस मेरी ऊँगली के ऊपर आ गया.
फिर भाभी खड़ी हुई और वो मुझे नंगा करने लगी. जब उसने मेरी पेंट और चड्डी को खोल के मेरे लंड को देखा तो उसकी आँखे खुली की खुली रह गई. मैंने कहा, ऐसे क्या देख रही हो भाभी?
वो बोली, बाप रे ये कितना बड़ा हे!!!
मैं: क्या?
भाभी शर्म के मारे कुछ बोली नहीं. मैंने क्या, मेरे से क्यूँ शर्मा रही हो भाभी. आज तो हमारी सुहागरात हे और तुम मेरी बीवी हो!
भाभी ने कहा आप का लंड कितना बड़ा और मोटा हे!
मैंने कहा आप के लिए ही तो बड़ा हुआ हे!
वो बोली: सच्ची!
मैंने कहा, हां मेरी डार्लिंग, मेरी जान इसको अपने कब्जे में ले लो!
भाभी अपने घुटनों के ऊपर बैठी और उसने लंड को अपने मुहं में भर लिया. कुछ 10 मिनट तक वो लंड को सक करती रही. और मेरा वीर्य निकल के नाली तक आ गया था. वीर्य बहार आया और भाभी सब का सब पानी पी गई. फिर हम दोनों नंगे एक दुसरे से चिपक के सो गए. फिर बहभी ने अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ा और वो उसे हिलाने लगी, देखते ही देखते उसने लंड को वापस कडक कर दिया.
फिर वो अपने लेग्स को खोल के बिस्तर में पड़ी और बोली, आ जाओ मेरे स्वामी!
मेरे लंड को भाभी ने अपनी चूत के ऊपर सही लगाया और उसने मुझे आँख से इशारा किया. मैं एक धक्का दिया और आधा लंड उसकी चूत में गया और भाभी के मुहं से अह्ह्ह्हह निकल पड़ा.
भाभी ने कहा, देवर जी आप के भाई का बहुत छोटा हे इसलिए मेरी कसी हुई हे आजतक. मैं कितनी भी चीखूँ या चिल्लाऊ लेकिन तुम रुकना मत.
मैंने कहा ओके भाभी.
और एक धक्के में मैंने अपने लंड को आधे से भी ज्यादा घुसा दिया उसकी चूत में. भाभी रोने लगी थी इस दर्द की आवाज से! फिर मैंने अपने पौने लंड से भाभी को चोदना चालू कर दिया. भाभी चीख चीख के अपनी गांड को हिला रही थी. और मैं उसे रगड़ रगड़ के पेल रहा था.
मैंने अब एक ऐसा धक्का दिया की मेरा पूरा लोडा भाभी की चूत के अन्दर समां गया. वो दर्द के मारे जोर से कराह उठी और मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से लगा दिया.
कुछ देर में वो भी मेरे लंड से एकदम एडजस्ट हो गई थी. और वो अपनी गांड को हिला के चुदवाने लगी थी. भाभी को 10 मिनट तक चोद चोद के मैंने अपने लंड का पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया. वो निहाल हो के मेरे ऊपर आ के लेट गई और मैं उसके बूब्स को चूसने लगा.