लंड चूत चूचियां कई अफ़साने-- 2

जैसा मेने शुरू में आपको Antarvasna Kamukta Hindi Sex Stories बताया वैसे तो फ्लैट के सभी रूम में अटैच्ड लेट बाथ थे लेकिन मॉम और जूही को कभी जल्दी टॉयलेट जाना हो तो वो खुले छेत्र का उपयोग कर लिया करती थी।

 मेरे दिमाग में यही आया की यही से अपनी मॉम और बहन की चूत देखि जा सकती हे ,लेकिन दूसरे पल ही मुझे आत्मग्लानि होती की में अपनी मॉम और बहन के बारे में ऎसे कैसे सोच सकता हु।

 लेकिन हवस ने रिश्तो पर विजय पायी और में इसी तक में रहने लगा की किसी भी तरह भी चूत दर्शन हो जाये।
लेकिन ये काम इतना आसान नही था जैसे मेने समझा था ,क्यू की हमेशा इस बात का इंतजार करना की वो कब टॉयलेट जाये ,और टॉयलेट जाये तो वो उस समय अकेली ही हो कोई आस पास नही हो ये होना भी असंभव होना सा ही था।

 लेकिन एक दिन मुझे थोड़ी सफलता मिली ,मॉम जैसे ही से उस एरिया में गयी तो उन्होंने जल्दबाजी में दरवाजा बंद नही किया और दरवाजा थोड़ा खुला रह गया ,क्यू की मोम का मुँह सामने दिवार की और था तो मुझे केवल उनका पीछे का हिस्सा दिखाई दे रहा था।

 मेने नजरे गड़ाई तब तक मॉम पेशाब करने बैठ चुकी थी ,मुझे केवल गोरे गोरे उनके चूतड़ दिख रहे थे ,चूतडो के बीच गुलाबी दरार गज़ब ढा रही थी ,उन्होंने दोनों हाथो से अपनी साड़ी उप्पर कर राखी थी लेकिन उनकी ब्लैक पेंटी जांघो में फांसी हुई थी ,उनकी मूत्र धरा की सीटी मारती आवाज एक अलग सा नशा पैदा कर रही थी ,२-३ मिनट के बाद ही मॉम पेशाब कर के उठ गयी उन्होंने जल्दी से अपनी पेंटी उप्पर चढ़ा ली ,और में जल्दी से वंहा से खिसक लिया।

 अब तो में और पागल हो गया ,मॉम के चूतडो ने तो मुझे दीवाना कर दिया ,अब तो में जैसे ही मॉम को देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता ,में अब मॉम के साथ रिश्तो की सारी मर्यादाये भूल चूका था और रोजाना ४-५ बार उनकी गांड और चूत की कल्पना कर में खूब हस्त मैथुन करता।

अब तो मेरा पूरा फोकस इसी बात को लेकर रहता था की मॉम या जूही को टॉयलेट जाते समय पेशाब करते देखा जाये या वो जब बाथरूम में हो तब उनके नंगे बदन का मजा लिया जाये।

लेकिन उस रात ऐसा हुआ जिसने मेरी ज़िन्दगी का नजरिया ही बदल दिया ,उस दिन भी डैड ड्रिंक कर के आये थे और सीधे अपने बैडरूम में चले गए ,में और जूही अपना डिनर लेने के बाद अपने बैडरूम में आ गए थे ,जूही शायद थकी हुई थी इसलिए वो जल्दी ही सो गयी पर में देर तक अपनी बुक्स पढ़ता रहा।

 अचानक मुझे मॉम की घुटी सी आवाज सुनाई दी ,नहीं रवि आज नही ,आज मेरा बिलकुल मूड नही हे ,फिर मुझे डैड की आवाज आयी ,मूड की क्या बात हे आओ आओ मूड बना लो मेरा बड़ा मन कर रहा हे ,मेरी समझ नही आया की मॉम डैड किस मूड की बात कर रहे हे।

 जब कुछ कामुक आवाजे और आने लगी और आह ऊह की आवाजे तेज होने लगी तो मुझसे नही रहा गया और में रूम से बाहर निकल तो मुझे डैड मॉम के बैडरूम की खिड़की में से एक रौशनी की किरण बाहर निकलती दिखी ,रूम का डोर बंद था और खिड़की भी बंद थी लेकिन पूरी तरह नही उसकी एक झिर्री खुली हुई थी.
में धीरे धीरे चलते खिड़की की झिरी तक गया और उसमे से अंदर झाँका तो देखता ही रह गया ,मोम बेड के उप्पर पेट के बल लेटी हुई थी और डैड उनकी टांगो के सहारे बैठ कर उनके चूतड़ो को मसल रहे थे ,उन पर थपकियां दे रहे थे और कभी कभी चूतड़ो की दरार में अंगुली भी कर रहे थे ,जब वो जोर से मसलते तो मॉम आह ऊह करने लगती।

 डैड वी शेप की अंडरवियर पहने हुए थे और उसमे उनका फूला हुआ लोडा दिख रहा था ,मॉम ने कपडे पुरे पहने हुए थे लेकिन उनका पेटीकोट और साड़ी उनकी जांघो तक चढे हुए थे। डैड मॉम के चूतड़ो के साथ निरंतर अटखेलिया कर रहे थे।

 अचानक डैड ने मॉम को सीधा किया और उनके उप्पर लेट गए और अपने होठ उनके होठो पर रख कर किस करने लगे ,मॉम के मुह से गू गु गो गो की आवाजे तेज हो गयी लेकिन डैड उनका चुम्बन लेते रहे ,डैड ने अपने दोनों हाथ मॉम के बोबो पर रख दिए और उनको भी मसलने लगे ,मोम की चीखे तेज हो गयी और उन्होंने पूरा दम लगाते हुए डैड को अपने उप्पर से धकेला और कहने लगी क्या रवि तुम हमेशा जानवरो की तरह व्यहार करने लगते हो क्या तुम्हे प्यार से करना नही आता ?

डैड ने मॉम की साड़ी को खेच कर उतार दिया और पेटीकोट का नाड़ा भी खींच दिया ,पेटीकोट खुल गया तो डैड ने उसे भी उतार दिया ,मॉम अब केवल एक काली सी पेंटी में रह गयी थी उस पेंटी पर आगे की और एक दिल सा बना हुआ था ,डैड ने माँ के पैरो में अपने पैर फंसा कर केंची सी बना ली और वो मॉम को बेतहाशा चूमने लगे।
मॉम ने भी अपने हाथ डैड के गर्दन के आसपास लपेट लिए और वो भी डैड को चूमने लगी ,तभी डैड ने मॉम के ब्लॉउज के बटन खोल दिए और एक ही झटके में उसे और ब्रा को उतार फेंका। मॉम अब उप्पर से बिलकुल नंगी थी उनके गोरे गौरे सुडौल बोबे मेरी नजरो के सामने थे जिन पर लाल रंग की घुंडियां चमक रही थी। डैड ने उन घुंडियों को मसलना शुरू कर दिया ,जैसे जैसे डैड घुंडियों को मसल रहे थे वो और सुर्ख लाल और कड़ी होती जा रही थी। अपनी मॉम को ऐसे नंगे देख कर मेरा लोडा तन गया था और मेरी समझ नही आ रहा था की में रुकू या देखता रहू। मुझे तो इन्तजार इस बात का था की डैड कब मॉम की पेंटी उतारते हे और कब में मॉम की चूत के दर्शन कर पाता हु।

 थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद डैड ने मॉम की पेंटी को उतार दिया पैंटी के हटते ही मॉम की पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई चूत मेरे सामने थी बिल्कुल गोरी चिट्टी,
चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जैसी रस भरी,
अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कॉफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए,
चूत कोई चार इन्च की गहरी पतली खाई जैसे,
चूत का दाना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनार के दाने जैसा,
गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी।मेने सोचा भी नही था की मॉम इतनी खूबसूरत हे ,मेरा लण्ड बैचेन हो उठा,डैड ने मॉम को अपनी गोदी में बैठा लिया। दोनो नंगे बदन आपस में चिपक गये। धीरे धीरे उसके डैड मॉम के बोबो को सहलाने लगे और निप्पल चूसने लगे …..
अपना निप्पल चुसवाने के बाद तो मॉम बावली सी हो गयी…उन्होंने डैड के सिर को पकड़ कर अपने बोबे पर लगाया और उसके मुँह के अंदर ठूस दिया…
”ओह…..रवि ………………. कितना तड़पाते हो तुम ……………. अब और ना तरसाओ……………डाल दो अपना ये लंड मेरे अंदर…..”
और मॉम ने अपने आप को आज़ाद कराया और एक ही झटके मे डैड के उपर सवार हो गयी……और डैड कुछ समझ पाते , उससे पहले ही मॉम ने डैड के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर लगाकर उसे अंदर निगल लिया..
और सीटियाँ मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती चली गयी…
”आआआआआआआआआआआआहह ……. उम्म्म्ममममममममममममममम …….एक ही पल में ये सब हुआ
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