दोस्तों… मेरा Antrwasna नाम अमन है, मैं चंडीगढ़ से हूँ. मेरी हाइट 5’7” है.. मैं 24 साल का एक अट्रॅक्टिव लड़का हूँ. मेरे लंड का नाप 6 इंच का है. मुझे सिर्फ़ खेली-खाई आंटीस मैं हे मजा आता है, मुझे लड़कियों मैं ज़रा भी मजा नहीं आता है.
यह बात करीब एक साल पहले की है, मैं जॉब के लिए पुणे गया था. मैं वहां पर मेरे एक रिलेटिव के करीबी दोस्त के यहां रहने के लिए गया… उनके यहां एक कमरा खाली था. जब मैं उनके घर पहुंचा तो राजेश अंकल ने दूर खोला… राजेश अंकल की उमर 54 साल की थी.
मैं उनसे नमस्ते करके अंदर गया… उनसे थोड़ी देर बात-चित की.
इतने मैं सीमा आंटी चाय लेकर आई.
मैं उनको देखता हे रहा गया… क्या आइटम और माल दिखती थी… 38-30-38 के उनके जिस्म के कटाव को देख कर किसी का कलेजा हलक मैं आ जाए… उनकी उमर 43 की थी… लेकिन वो 38 की लगती थी. उनके उठे हुए चूतड़ वाली गांड बहुत हे मादक लगती थी.
जब वो चलती थी… तो उनके दोनों चूतड़ थिरकते थे… थिरकते चूतड़ो को देख कर ऐसा लगता था की अभी खड़ा होकर उनकी गांड मैं लंड डाल दम. उनका मकान मैं 2 फ़्लोर थे और ऊपर एक कमरा खाली पड़ा था… उनके घर मैं वो दो हे लोग रहते थे… उनकी एक बेटी थी… जिसकी शादी हो चुकी थी.
अंकल एक प्राइवेट कंपनी मैं काम करते थे… वो सुबहा 9 बजे निकलते और शाम को 6 बजे वापिस आते थे. मैं भी एक कंपनी मैं काम करता था और सुबह 10 बजे निकलता था और शाम को 7 बजे आता था.
मैं शाम को बाहर खाना खाता था. थोड़े दीनों बाद हम घुल-मिल गये और आंटी और अंकल मुझे अपने घर का हे पार्ट समझते थे. मैं भी उनके हर काम मैं हेल्प करता था. मुझे बाहर के खाने से थोड़ी दिक्कत हो रही थी… इसलिए आंटी के मुझे शाम का खाना अपने साथ हे खाने को कहा.
जब हे मैं त.भी. देखता या खाना खाने जाता तो आंटी की गांड और मुम्मो को घूरता रहता था.
आंटी ने मुझे कई बार देखते हुए देखा भी था लेकिन उन्होंने कभी भी कुछ नहीं कहा. आंटी मुझे इतनी मस्त लगती थी की मैं उनके नाम की मूठ भी मर लेता था. वहां पर घर के पीछे एक हे बाथरूम था… मुझे वही जाना पड़ता था.
एक दिन मैं सुबहा नहा रहा था… मुझे पूरा नंगे होकर नहाने की आदत है और मैं अंदर से दूर लॉक करना भूल गया था.
आंटी कुछ काम से आई और दूर खोल दिया… मैं उनके सामने नंगा खड़ा था वो मुझे और मेरे लंड को घूर रही थी. मैंने झट से दूर बंद कर दिया.
उसे दिन से आंटी का बिहेवियर बदल गया था.
जब मैं नीचे आता तो वो मुझे अलग नज़र से देखती और नॉटी स्माइल देती….. लेकिन मेरी कभी कुछ भी करने की हिम्मत नहीं हुई.
एक दिन मैं काम से वापिस आया तो आंटी ने मुझे बताया की अंकल काम की वजह से देर से आने वाले है. मेरे मन मैं एक ख्याल आया और मैं नहाने के लिए चला गया.
और आंटी को चोदने का प्लान बनाने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया था… बाथरूम मैं से निकल कर वैसे हे टावल लपेट कर आंटी के सामने से होता हुआ कमरे मैं आ गया. आंटी मेरे पीछे-पीछे आ गयी… जब वो कमरे मैं आई तो मैंने टावल गिरा दिया और इसे दिखाया की गलती से निकल गया हो.
वो मेरे खड़े लंड को तीखी नजारे से देख रही थी और शरमाते हुआ भागी.
उसे रात मैं करीब 10 बजे त.भी. देख रहा था… तब आंटी मेरे पास आकर बैठ गयी और मुझसे पूछे लगी- तुम्हारी कोई गर्ल-फ़्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं….
उन्होंने पूछा- मैं तुम्हें कैसे लगती हूँ?
मैंने कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
तब वो मेरे और करीब आकर बैठ गयी और मेरे लंड को पेंट के ऊपर से हे सहलाने लगी. मेरा लंड कड़ा हो गया… मैं भी अपना कंट्रोल खोने लगा और आंटी को बाँहों मैं भर लिया. मैंने अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए और मैं उन्हें मस्ती से चूमने लगा… तभी दूर की बेल बाजी और हम अलग हो गये… बाहर अंकल आ गये थे.
फिर हम सब खाना खाने बैठ गये… आंटी मेरी तरफ कामुक नजारे से देख रही थी और टेबल के नीच से मेरे पर को अपने पर से सहला रही थी. मैं डर गया और पर पीछे कर लिया. खाना खाने के बाद हम त.भी. देख रहे थे. करीब 11 बजे मैं और अंकल सोने चले गये… लेकिन आंटी अभी भी त.भी. देख रही थी.
मुझे नींद नहीं आ रही थी… मेरी नजारे के सामने आंटी हे घूम रही थी.
करीब 12 बजे होंगे… मेरी आँख लगने हे वाली थी… तभी दूर पर एक धीमी से आवाज़ आई….
मैंने दूर खोला तो देखा की आंटी खड़ी थी.
वो झट से अंदर आई और मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी… वो मेरे कपड़े उतरने लगी और मुझे चूमने लगी. मैंने भी उनको काश कर पकड़ लिया और चुंबन करने लगा. उनको अपनी बाँहों मैं भरे हुए उनको बेतहाशा चूमते हुए हे मैंने दूर बंद कर दिया.
फिर अपने दोनों हाथ उनकी गांड के ऊपर फेरने लगा.
करीब 5 मिनट तक हम-दोनों चुम्मा- चाटी करते रहे और मैंने जी भर के उनकी गांड और मुम्मो को दबाया.
मैंने उनकी सारी, ब्लाउज, पेटी कोट और ब्रा-पेंटी उतार फेंकी.. अब हम दोनों नंगे खड़े थे.
मैंने उन्हें गोद मैं उठाया और बिस्तर पर ले गया और लेता कर उनकी टांगे फैला दी और चुत चाटने लगा. वो सिसकियां ले रही थी.
‘आआहह……’
मैं भी जोश मैं आ गया था.
मैंने अपनी जीभ चुत मैं घुसेड़ दे… उसके मुंह से लगातार सीत्कार निकल रही थी.
‘आहह…आ….अमन और प्यार करो मुझे जी भर के… चूसो… अपना लंड घुसेड़ दो… मेरी चुत मैं….’
अब मैंने अपना लंड उनके मुंह मैं दे दिया… वो उसे चोकोबार के तरह चूस रही थी. मैं उनके मुम्मो को दबा रहा था. मैंने उनको झुका कर गांड मेरी तरफ करके उनके हाथों को बिस्तर पर रख कर खड़ा किया और लंड गांड मैं घुसेड़ दिया.
‘आअहह…एयाया….’
वो बोल रही थी- ज़रा धीरे… गांड फाड़ दोगे क्या…?
10 मिनट तक उनकी गांड मारने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और उनकी चुत पर लंड को टीका दिया और ज़ोर का धक्का दे दिया… लंड फाटक से अंदर चला गया और मैं आगे-पीछे करने लगा.
कुछ हे पलों मैं आंटी अकड़ गयी और झाड़ गयी… थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ने वाला था.. तो मैंने लंड बाहर निकल लिया और उसके मुम्मो पर माल चोद दिया. चुदाई के बाद हम दोनों हे तक गये थे करीब 15 मिनट हम वैसे हे लेते रहे.
फिर उसने मुझे बताया- जब से मुझको बेटी हुई है… तब से अंकल का चुदाई मैं मन कम हो गया था और हमें चुदाई किए कई बरस हो गये… आज तुमने मेरी प्यास बुझा दे.
मुझे उनके चेहरे पर एक अलग हे तेज दिखाई दे रहा था.
रात को करीब 2 बजे वो मुझे चूम कर चली गयी.
इसके बाद जब भी मौका मिलता है… हम खूब चुदाई करते है… मैंने उनको अलग-अलग तरीकों मैं खूब चौड़ा है. अब मैंने वो जॉब चोद दे ही और मैं अब चंडीगढ़ मैं रहता हूँ और किसी और खेली-खाई आइटम की फिराअक मैं हूँ… देखिए कोई मिलती है तो उसे चोद कर आपको उसका किस्सा सुनौँगा.