प्यारे दोस्तों, मेरा नाम काजल हे और मैं पंजाब के एक बड़े शहर में रहती हूँ. अभी इंजीनियर बन रही हूँ और मेरी उम्र 21 साल हे. मेरे फिगर का साइज़ 34 28 35 हे. मेरा चक्कर घर के बगल में एक अंकल जी के साथ हे. अंकल की वाइफ आंटी जी से मेरी अच्छी बनती हे और मैं अक्सर उन्के घर पर आती जाती रहती हूँ. एक दिन टीवी देखते हुए अंकल ने मेरी गांड को टच की. मैं तब सिर्फ 18 की थी. मुझे अच्छा लगा और मैं कुछ नहीं बोली.
फिर तो अंकल की हिम्मत बढती ही गई. आंटी और मैं उसके साथ टेबल पर होते थे और वो निचे से मेरी टांगो को अपनी टांगो से सहलाते थे. गुपचुप चुदाई भी कर दी उन्होंने मेरी दो तिन बार. लेकिन खुल कर अंकल का लंड लेना का मौका मिला था उसकी कहानी आज लोगों के लिए ले के आई हूँ.
आंटी को किसी शादी में जाना पड़ा और अंकल को ऑफिस में वर्क लोड था इसलिए वो नहीं जा पाए. आंटी ने मेरी माँ से कहा आप प्लीज़ काजल को मेरे घर पर खाना बनाने के लिए भेज देना.
मेरे पेरेंट्स दोनों जॉब करते हे. मैं सेटरडे के दिन अंकल के घर गई तब की ये बात हे. आज मेरे कोलेज में छुट्टी थी. सुबह सुबह ही मैं अंकल के वहाँ जा पहुंची क्यूंकि वैसे भी मैं घर पर अकेली ही थी. मुझे देख के अंकल बड़ा खुश हुआ और मुझे अपनी बाहों में दबा लिया उसने. अंकल जल्दी उठ गए थे और आठ बजे ही वो अपने लिए हेवी नास्ता ले आये थे.
मैंने अंकल को कहा, मैं पकाने के लिए आई हूँ!
वो बोले, हां और मैं खा लूँगा.
ये कह के वो मेरी छाती को देखने लगे. मैंने उनके पजामे के ऊपर देखा तो उनका लोडा कडक लग रहा था. उन्होंने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंठो के ऊपर एक चुम्मा दे दिया. उनकी मूछ मेरे होंठो के ऊपर घिस गई. मैंने कहा, अंकल आज आप को ऑफिस नहीं जाना हे?
वो बोले, काजल डार्लिंग किसी को बताना मत लेकिन तुम्हारे लिए छुट्टी ले ली हे!
मैं बोली, अच्छा तो आंटी को मैं खाना बना दूंगी वो भी आप ने ही कहा होगा!
अंकल हंस पड़े और कपड़ो के ऊपर से ही मेरे बूब्स को मसलने भी लगे.
अंकल ने अब जरा भी टाइम नहीं वेस्ट किया. वो सीधे मेरे कपड़ो को मेरे बदन से उतारना चालू कर दिया. मैंने कहा, ये सब क्या कर रहे हो आप अंकल?
वो बोले, नंगे नास्ता करेंगे हम दोनों.
और फिर उन्होंने मेरे और खुद के सब कपडे उतार डाले. अब हम दोनों नंगे बैठ के नास्ता कर रहे थे. मैंने अंकल की गोदी में थी और उनका आधा खड़ा हुआ लोडा मेरी गांड को टच हो रहा था. और फिर ऐसे नंगे ही हम खाने लगे. अंकल ने अब एक निवाला मेरी निपल्स के ऊपर रख दिया और वो बूब्स को चूसते हुए उसे खाने लगे. मुझे ये बहुत ही किनकी लगा.
वो अपनी जबान को बूब्स के ऊपर घुमा फिरा के उसके ऊपर डाली हुई सब्जी को खा रहे थे और निपल्स को प्यार भी दे रहे थे. अंकल का लोडा निचे मेरी चूत से लड़ने लगा था अब. वो कडक हो गया था. और खाना ख़तम करते ही अंकल को जैसे क्या जनून आया! उन्होंने फट से मुझे ऊपर किया और निचे से अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल दिया. अंकल का बड़ा लोडा मेरी चूत में घुसते ही मैं आह्ह्हह्ह कर गई. अंकल ने मेरे दोनों बूब्स को पकड़ लिया और कुछ ही सेकंड्स में उनका पूरा लंड मेरी चूत में फिट हो गया. अंकल ने खाते खाते अब मेरी चूत को चोदना चालू कर दिया.
नास्ता खत्म करने के बाद अंकल ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और लंड चूत में रख के ही अन्दर कमरे में ले गए मुझे. हम दोनों अब बिस्तर में लेट गए और अंकल ने मुझे अपने लोडे से कस कस के चोदना चालू कर दिया. फिर वो मेरे मम्मे मसलते हुए मेरी धमाशान चुदाई करने लगे. मैं भी अंकल से अब तक सिर्फ चुपके चुपके और कवीकी में ही चुदवाई थी. इसलिए मुझे भी आज इस लम्बे और शांति वाले सेक्स में अनोखा आनंद मिल रहा था. अब अंकल ने मुझे लिटा के मेरी दोनों टांगो को हवा में उठा लिया और वो मुझे इस पोस में कस के पेलने लगे. फिर मैने घोड़ी बन के लंड लेने की इच्छा की. अंकल ने कुतिया बना के पीछे से अपना पूरा लोडा चूत में पेल के 5 मिनिट चोदा. फिर अपने माल को मेरी गांड पर एक एक बूंद तक छिडक दिया उन्होंने.
फिर अंकल मुझे ले के अपने बाथरूम में गए, वहां पर उन्होंने मेरी चूत को धोई. और फिर से उनका लंड खड़ा हो गया. मैं घुटनों के ऊपर बैठ गई और अंकल के लोडे को चूसने लगे. फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरे बूब्स चूसने लगे. शावर के निचे सेक्स करने में बड़ा मज़ा आ रहा था. अंकल ने अपने हाथ में साबुन लिया और वो मेरे बूब्स और चूत के ऊपर उसका झाग बना के उसे साफ़ करने लगे.
अंकल ने फिर मुझे वहां पर खड़े खड़े चोदा और अपना माल नाली में बहा दिया. बाथरूम से बहार आये तो खाना बनाने का वक्त हो गया था. किचन में मैंने नंगे ही खाना पकाया अंकल के साथ. मैंने सिर्फ चावल और दाल ही बनाई क्यूंकि अंकल तो किचन में भी मेरे पीछे पड़ा हुआ था. मैं पका रही थी और वो अपना लंड पकडवा रहा था तो कभी मेरी चूत में ऊँगली कर रहा था.
खाना ले के हम डाइनिंग टेबल पर आ गए. अंकल ने उसके ऊपर का सब सामान हटा के मुझे वहां पर लिटा दिया. और फिर अंगूर को मेरी चूत में डाल के वो उसे खाने लगे. फिर एक केला लिया उन्होंने और बिना उसे छिले उसको मेरी चूत में डाल दिया. फिर दुसरे सिरे से उसे छिल के वो खाते हुए मेरी चूत तक आ गए. वो चूत में फंसे हुए केले को पूरा खा गए और केवल छिलका ही बचा था मेरी चूत के अन्दर.
अंकल ने कहा: मैंने तो तुम्हारे भोसड़े के अन्दर खाना लगा के खाया, अब तुम मेरे लंड वाला खाना खाओ ना!
फिर उन्होंने थोड़ी दाल को फूंक मार के ठंडा किया और अपने लंड के ऊपर लगाया. और फिर अपने लौड़े को मेरे मुहं में दे दिया. मैं अंकल के लौड़े के ऊपर से सब दाल को चाट गई. वो कुछ कुछ बुँदे बार बार लंड पर डाल रहे थे जिसे मैं चाट लेटी थी. मुझे भी ऐसे खाने में मजा आ रहा था.
अब अंकल ने मुझे डाइनिंग टेबल के ऊपर उल्टा कर दिया. उन्होंने थोड़ी दाल को मेरी कमर के ऊपर डाली और उसे चाट गए. फिर एक चम्मच दाल उन्होंने मेरी गांड पर डाल के वहां सक किया. कसम से मैं तो जैसे सातवें आसमान के ऊपर थी. अंकल ने अब अपने लंड के ऊपर थोडा तेल लगाया और मेरी गांड के ऊपर लंड को घिसने लगे. फिर बिना कुछ कहे लंड को अन्दर डाल दिया. मुझे दर्द तो बहुत हुआ गांड में लेने में लेकिन फिर मजा भी उतना ही आया!
शाम तक अंकल मुझे ऐसे ही चोदते रहे. फिर मैंने कहा अब मैं जाती हूँ क्यूंकि मेरे मम्मी पापा आयेंगे कुछ देर में. अंकल ने कहा लंड चूस के जाओ. मैंने उन्के लंड का पानी ब्लोवजोब दे के छुड्वाया और फिर मैं अपने घर पर आ गई.
घर पहुँच के बैठी ही थी की मेरी मम्मी का कॉल आया की हम लोग को आज रात में आने में लेट होगा. तुम एक काम करों अंकल के वही पर रहना. हम लेट हुए तो वही पर सो जाना तुम.
मैं समझ गई की अब तो अंकल शायद मुझे पूरी रात पलेगा! मैं खुद भी अन्दर से फुदक रही थी अंकल का लोडा लेने के लिए जैसे. मैं संडास वगेरह कर के अंकल के घर गई. अंकल मेरी ही वेट में थे. वो बोले, आज तो मजा आ जाएगा पूरी रात भर!
अंकल ने फोन कर के होटल से खाना ऑर्डर किया और फिर हम दोनों टीवी देखने लगे. लड़का खाना दे के गया कुछ देर. सुबह के जैसे ही अंकल ने कहा चलो नंगे हो के खाते हे. अंकल ने मेरे कपडे खुद उतारे और खुद भी न्यूड हो गए. उनका बड़ा लंड एकदम कडक था अभी भी. हमने सुबह में जैसे नंगे खाया था एक दुसरे को चूस के और चाट के ऐसे अभी भी किया. फिर अंकल मुझे अपने कमरे में ले गए. अंकल अब मेरे ऊपर चढ़ गए. फिर उन्होंने मुझे चूमना चालू कर दिया और साथ में वो मेरे बूब्स को भी चूस रहे थे.
अंकल ने मुझे चूस चूस के पूरा लाल कर दिया था. और बिच बिच में वो मेरे निपल्स और बूब्स के ऊपर के हिस्से में काट भी रहे थे. फिर अंकल ने मुझे कहा की अब मेरे लोड़े को चुसो. अंकल के लंड को पूरा चूस के मैं उन्हें खुश कर दिया. अंकल ने अपने माल को अब की मेरे मुहं में ही छोड़ दिया और मैं सब वीर्य पी गई.
फिर अंकल ने मेरी चूत के ऊपर अपने होंठो को लगा दिया और वो चूत को चाटने लगे. 10-12 मिनिट तक वो मेरे बुर को मस्त चूसते गए और उन्होंने मेरी चूत का पानी छुडवा दिया.
रात के साड़े 10 हो चुके थे और अंकल भी अब मेरी चूत को चोदने के लिए रेडी थे. अंकल ने मेरी दोनों टांगो को पूरा खोल दिया और अपने लंड को मेरे छेद में डाल दिया. पहले पहले तो उन्होंने धीरे धीरे से मेरी चूत को चोदा और फिर वो कस कस के चोदने लगे मुझे. 15 मिनिट तक अंकल ने मुझे ऐसे ही चोदा और फिर उन्होंने मुझे एक करवट के ऊपर लिटा दिया. और ऊपर वाली टांग को हवा में कर दिया. फिर पीछे से मेरी चूत के अन्दर अपना लंड पेल के चोदने लगे वो. साले इस अंकल ने तो आज जैसे कसम खाई थी की मेरी चूत को पूरा दिन चोदेगा. और इस बिच में ही अंकल के लंड का काम हो गया और उन्होंने अपना सब पानी मेरी बुर के अन्दर ही निकाल दिया.
अंकल ने एक सिगरेट सुलगाई और फिर वो बादाम पिश्ता भी ले आये. शायद चुदाई की एनर्जी को मेंटेन करने के लिए. सिगरेट के धुंए को मैंने भी अपनी नाक में लिया. पांच मिनिट के अंतराल के बाद में अंकल के लंड को अब मैंने ही अपने हाथ से पकड़ा और दुसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी. अंकल के लंड में फिर से ताकत आ गई. अब उन्होंने फिर से मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी चूत के अंदर अपना लोडा डाल दिया. कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उन्होंने फिर मुझे दिवार पकडवा कर खड़ा कर के खड़े खड़े मेरी चूत को चोदा.
सुबह तक अंकल मेरी चूत और गांड को चोदते गए. ना उन्हें थकान थी और ना ही उन्हें नींद आ रही थी. वो कभी चूत में लंड डालते थे तो कभी मेरी गांड के अन्दर लंड पेलते थे.
सुबह जल्दी जब मैं और अंकल सोये तो मैंने महसूस किया की मेरे दोनों छेद में सिर्फ चूत का और लंड रस ही लगा हुआ था चिपचीपा सा.
अंकल को सोया रहने दिया मैंने और मैं नहा के अपने घर आ गई. कसम से पिछले 24 घंटे में बीस या उस से भी ज्यादा बार लंड लिया था मैंने इसलिए अंग अंग दुःख रहा था.