रूचि और उसका पति पटना के राजू नगर इलाके में एक बड़े से घर में नए शिफ्ट हुए थे. उसके पति एक इंजीनियर थे और उनकी पोस्टिंग वहीं हुई थी, आगरा की रहने वाली रुचि को नयी जगह बहोत पसंद आई थी.
उसके पति रोज काम पर जाते और रात को लौटते, तो घर का सारा काम उसे ही करना पड़ता था. नई नई थी तो बाजार और बाकी सारी चीजें जानने में थोड़ा टाइम लगा. उसकी दोस्ती हो गई एक पड़ोसी महिला से नाम था राधा, उसने भी उसकी बहुत मदद की थी सेटल होने में.
रुचि के पति बहुत ही सीधे टाइप के थे. किसी से कोई बहस नहीं, बिल्कुल भोले टाइप और रूचि थोड़ी चंचल थी, उम्र सिर्फ 23 साल की, गोरी, खुदा ने उसे काफी सुंदर बनाया था. उसका फिगर 38-30-36 था. उसके पति अनंत में भी इसी लिए बिना दहेज के शादी करने को राजी हुए थे.
लगभग एक महीना हो गया था सब कुछ ठीक था. लेकिन रूचि को एक परेशानी थी. वह यह कि जब भी वह बाजार जाती थी तो वहां पर एक आदमी उसे बुरी तरह घूरता रहता था. कभी कभी तो घर तक पीछा भी करता था.
उसने कई बार अपने पति को यह बात बताने की सोची पर वह उसे परेशान करना नहीं चाहती थी लेकिन वह आदमी अब ज्यादा ही पीछे पड़ने लगा था. एक बार तो जब वह दर्जी की दुकान से लौट रही थी तो पीछे से एक आवाज, “आई क्या गांड बनी, हाहा हां हाहा.
उसने पीछे मुड़कर देखा तो वही आदमी और उसके साथ एक और आदमी उसके पीछे हंसते हुए चल रहे थे. उस की धड़कन तेज हो गई वह घर की और तेज चलने लगी और पलट कर देखा तो वह दोनों भी तेजी से पीछा कर रहे थे.
वह बहुत घबरा गयी और भागने लगी और जैसे ही अपने घर तक पहुंची उसे ऐसा डर लगा कि वह अपने जगह अपने पड़ोसी राधा के घर का बेल बजाने लगी. वह लोग और पास आने लगे थे. ठीक उसी वक्त दरवाजा खुला और राधा को सामने देखकर उसी की जान में जान आई, और वह अंदर घुस गई और कहने लगी.
रुचि ने कहा : राधा वह दोनों आदमी मेरा पीछा कर रहे हैं.
राधा ने बाहर देखा तो वह दोनों वापस जा रहे थे. लेकिन राधा की आंखें बता रही थी के उसने उन दोनों को पहचान लिया था. राधा ने दरवाजा बंद कर दिया और कहा
राधा ने कहा : क्या वह दोनों थे?
रुचि के माथे पर पसीने की बूंद लग गए थे और उसने सर हिला कर हां कहा, तो राधा अचानक ही गंभीर हो गई फिर रुचि ने पूछा…
रूचि : राधा तुम चुप क्यों हो? क्या तुम इन बदमाशों को जानती हो? बोलो राधा…
तो राधा ने चिल्ला कर कहा हां यह बबलू और उसका कोई साथी था. जो काला लंबा सा और बड़े लाल बाल वाला आदमी था वहीं बबलू हे. बबलू यादव पटना का नामचीन गुंडा. यहा के एम्.पी. का खास आदमी है.
और फिर राधा ने रुचि को उसके बारे में ऐसी ऐसी बातें बताएं जिसे सुन कर उस के होश उड़ से गए थे. बबलू एक ४३ साल का है, लाल बाल, शैतान सा रूप. अब तक उसके ऊपर बहुत सारे मर्डर, मारपीट और रेप के केस चल रहे हैं. कई बार जेल भी गया है पर नेताओं उसे बार बार छुड़ा लेते हैं.
कुछ महीने पहले अगली गली में एक जोड़ा रहने आए थे बिल्कुल रूचि और उसके पति अनंत की तरह ही, और तब बबलू ने उस औरत को भी ऐसा ही पीछा किया था, पर जब उन दोनों पति पत्नी ने उसके नाम पर पुलिस में कंप्लेंट लिखवाई, तो उसे पकड़ने के वजह पुलिस वालों ने उसे थाने बुलवा कर उन दोनों से माफी मंगवाई.
पर दो दिन के बाद खबर मिली के उनके घर में चोरी हुई है और चोरों ने मिलकर पहले उस औरत के पति को मार दिया और फिर रात भर बारी-बारी कर उन्होंने उस औरत का बलात्कार किया और सारा सामान चुरा कर भाग गए.
पुलिस आइ पर आज तक वह चोर पकड़े नहीं गए. वह औरत कहीं चली गई. सभी का कहना है कि वह चोर कोई और नहीं नकाब में बबलू और उसके कुछ साथी ही थे. पर राजनीतिक सपोर्ट से उसे कोई हाथ तक नहीं लगा पाया है.
उसके बाद से रुचि का डर इतना बढ़ गया है उसे हर वक़्त बबलू का चेहरा याद आने लगा. वह बहुत परेशान रहने लगी. रात को उसकी नींद यह सोचकर अचानक खुल जाती के बबलू उसके पति का खून कर रहा है. उसके पति ने भी उसे कई बार पूछा के माजरा क्या है? पर उसे डर था की बताया तो कहीं अनंत पुलिस के पास ना चले जाएं.
वह कई बार कहती के यहां उसे अच्छा नहीं लगता है, और उसका पति उसे सिर्फ समझाता था कि वह ट्रांसफर की कोशिश कर रहा है पर कुछ महीने तो लगेंगे ही. वह घबराते हुए मजबूरन बाजार जाती. हर वक्त उसकी नजरें बबलू को ढूंढती रहती. उसकी जिंदगी झंड हो गई थी.
फिर एक बार रूचि जब बाजार से लौट रही थी तो फिर हमेशा की तरह उसका पीछा किया गया, इस बार अकेला बबलू उसके पीछे चलते हुए गंदे गंदे कमेंट मार रहा था.
लेकिन रुचि आज तेज नहीं बल्कि जानबुझ कर धीरे धीरे चल रही थी. शाम होने को था सारा बाजार अंधेरे में डूब रहा था. कहीं कहीं एक बल्ब जल रहा था.
चलते हुए रूचि की नजर बाएं तरफ के बंद पड़े दुकान पर गई. उस के दिमाग में क्या आया कि वह उसी दूकान की और चल दी और उसके पीछे चली गई जहां अंधेरा था. और दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था. तभी उसका पीछा करते बबलू के मन में लड्डू फूटने लगा. वह सोचने लगा कि लौंडिया पेशाब करने गई होगी, पकड़ लेगा अकेले में.
पर जैसे ही दुकान के पीछे गया तो देखा उसकी और देख कर खड़ी है रूचि, बबलू उसे देखने लगा, गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी, ब्लाउज मैचिंग थी, गले में मंगलसूत्र था, और आंखों में जुनून था.
दोनों कुछ देर तक एक दूसरे की तरफ देखते रहे और बबलू उसकी ओर बढ़ने ही वाला था यह रूचि ने ऐसा कुछ किया कि बबलू के कदम हैरानी से वहीं रुक गए.
रुचि ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया उसकी बडे चूचो को पकड़ा हुआ ब्लाउज और गोरा पेट देखकर बबलू का मन बहकने लगा. और वह यह भी सोचने लगा कि यह खुद ही राजी कैसे हो गई?
रुचि ने कहा : यही चाहिए ना आपको? जो करना है कर लो, लेकिन मेरे पति को कुछ मत करना.
यह कहते हुए वह रोते हुए हाथ छोड़े जमीन पर बैठ गई. और बबलू को समझते देर नहीं लगी कि रुचि क्यों राजी हो गई है, उसे उसकी पिछली कांड के बारे में किसी ने बताया है, अब तो बबलू को अपना काम आसान लगने लगा था.
वह गया और जाकर उसके हाथ को पकड़ कर उठाया और जल्दी से इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा और रूचि के मुह को पकड़कर उस के मुंह में अपना मुह रख दिया.
रुचि के मुंह से रोने की आवाज आनी बंद हो गई. बबलू अपने बड़े मुंह से उसके होंठों ऐसे चूमने लगा के रूचि के गले तक उसके मुंह में घुस जा रहे थे. रुचि के नर्म होठ बबलू के जानवर को जगाने में कामयाब हो गये थे, उसने रूचि को चूमना छोड़ कर बोला..
बबलू बोला : चल रंडी अपने कपड़े उतार.
रुचि अपने ब्लाउज के ऊपर हाथ रख कर ढकने लगी ,इतने में बबलू भड़क गया
बबलू ने कहा : उतार नहीं तो तेरे मर्द को….
रुचि ने कहा : नहीं नहीं उतारती .हूं
रुचि अपने ब्लाउज के हुक एक एक कर खोलने लगी उसे जैसे ही पूरा खुला वह उसने खिंच कर निकाल दिया. और उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूचो को हाथों से दबाने लगा. रुचि के मुंह से आवाज निकलने लगी अह ओह्ह अह्ह्ह मम्म. बबलू फिर इधर उधर देखा और रूचि के पीछे चला गया, और उसकी ब्रा के हुक को झटके से खोल डाला और उसकी महाकाय चुचिया उछल कर ब्रा को आगे से ऊपर कर दिया.
रूचि के बाजूओ से होते हुए वह ब्रा नीचे गिर पडे. बबलू ने बिना समय गवाए रुचि के सामने आया और उसकी चुचियो को अपने दोनों हाथों से उठा लिया अंधेरे में भी रूचि के बढ़ी चुचियों के गुलाबी दाने चमक रहे थे. बबलू ने पटक से एक चूची के निपल को मुंह में ले लिया और लगा चूसने.
रूचि अब मौन करने लगी और आवाजे निकालने लगी
रूचि ऊपर से पूरी नंगी थी और बबलू ने उसकी चुचियो को चूसते हुए उसके चेहरे को देखा तो रूचि की आंखें बंद थी. पर आंखों के कोने में आंसुओं के बूंद लगे थे. तो उसने मुंह हटाकर दूसरी सूची पर रखा रुचि का बदन थोड़ा कांप उठा और मुंह से आह्ह ओह्ह की आवाज निकली.
बबलू उसकी चुचियो को मसल मसल कर चूसा और फिर उसकी छाती पर चूमने लगा इतने में बबलू का एक हाथ रूचि के सारी को नीचे से उठा कर उसमें घुसने लगा, रूचि का एक हाथ बबलू के चौड़े सीने को धकेल रहा था, और दूसरा बबलू के हाथों को अपनी चड्डी तक पहुंचने में रोक रहा था.
पर बबलू का वह हाथ जाकर रूचि की चड्डी में घुस गया और ढूंढ़ते हुए उसकी चूत तक जा पहुंचा. रूचि की जांग एक दूसरे में सटाकर रोकने की कोशिश करते उससे पहले ही बबलू का एक उंगली रूचि की चूत में घुस गई.
रुचि की चूत पहले से ही गीली थी. तो बबलू उंगली से चोदने लगा, रूचि को एहसास होने लगा कि उसे ऐसा सुख पहले किसी ने नहीं दिया. उसके पति तो उसके साथ ऐसी गंदे काम बिल्कुल नहीं करते थे, बदन अब काबू से बाहर जाने लगा.
रूचि अब बहोत सेक्सी आवाजें निकाल रही थी.
तब बबलू के हाथ रुचि की गांड पर चले गए और उसका एक हाथ उसके पीठ पर, बबलू ने उसे गोद में उठाकर नीचे सुलाने लगा, रूचि समझ गई उसके साथ क्या होने वाला है.
जैसे ही उसने रूचि को जमीन पर गिराया, उसके पीठ पर कंकड़ छूने लगे. दूसरी और बबलू ने अपना सारा कपड़ा उतारकर पास में फेंका. और रूचि की नजर उसके लंड पर आ गयी. अंधेरा ज्यादा हो गया था तो वह ठीक से देख नहीं पाई.
फिर बबलू अपने घुटने के बल रूचि के पैरों के बीच बैठा और उसकी साड़ी और साया दोनों उपर कर के कमर तक कर दिया. वह अब रूचि की चड्डी को खींच कर पैरों से निकालने लगा. इतने में रुचि के मन में लाखों सवाल पैदा होने लगे क्या उसके साथ बबलू ने रेप कर रहा है?
लेकिन इसमें तो उसकी मर्जी है. तो क्या वह मजबूर है? लेकिन फिर उसे इतना मजा क्यूं आ रहा है? उसका बदन इस जमीन पर पड़े बबलू को अपने ऊपर लेने को बेताब क्यों है?
बबलू उसके ऊपर लेट गया और अपना हाथ कमर तक ले कर लंड के सुपारे को जेसे ही रुचि के चूत पर लगाया, रूचि को ऐसा लगा कि कोई गरम बड़ा सा गोला रखा हो, और दबाते ही…
रूचि कहने लगी : आऊऊ माआअ यह तो बहुत बड़ा है.
रुचि छटपटाने लगी, और जोर से चीखने लगी, पर बबलू ने उल्टे उसके कमर को पकड़ अपने कमर की करीब लाया और धकाधक चोदने लगा. तभी पीछे से कुछ आवाज आई रूचि डर गई की कोई देख न ले.
और तभी कोई बोला अरे कोण हे रे यहाँ पर, दुकान के पीछे चुदाई करने की हिम्मत किस की हे. साला मादरचोद भाग यहाँ से.
लेकिन बबलू अनसुना होकर रुचि को खिलौने की तरफ चोदे जा रहा था, और फिर जैसे ही वह कदम पास आए तो कोई बोला..
अरे साला यह तो बबलू माफ कीजिए बबलू भाई, आप लगे रहो.
आदमी भाग खड़ा हुआ. उसे भी अपनी जान प्यारी थी. यह देख रुचि को भी थोड़ी राहत मिली. चलो कोई नहीं तो देखेगा अब उन्हें. रूचि को मस्ती छाने लगी और उसने अपने पैर फाड़कर बबलू की कमर पर लपेट लिए. और नीचे से खुद चुदाई करने लगी. दोनों पसीने में लतपत धमाधम चुदाई कर रहे थे.
तभी बबलू को लगा कि वह जडने के पास है, तो वह और तेजी से रुचि की चूत को चोदने लगा. ठीक उसी वक्त रुचि ने बबलू के मुंह को खींचकर अपनी चूची पर दबा दिया. बबलू ने उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा, और उसका लंड पानी छोड़ने लगा. रूचि के चुचे चूसते हुए उसकी चूत को स्पर्म से भर दिया.
फिर कुछ देर बाद जब दोनों उठे और कपड़े पहनने लगे तो बबलू ने कहा…
बबलू ने कहा : सुन री छिनाल.. जब भी बुलाओ तो यहीं पर मिलीयो वरना तोहर…
रुचि ने कहा : नहीं नहीं आप जो कहेंगे मैं वह करूंगी.
रुचि वहां से छुप कर निकल आई और वह दुखी नहीं थी बल्कि एक अलग खुशी मिली थी आज और दोबारा बबलू का शिकार होने में उसे कोई तकलीफ नहीं होगी.