हेल्लो दोस्तों मेरा नाम स्मित हे और मैं मुंबई का रहनेवाला हु. मैं हिंदी पोर्न स्टोरीज का नियमित पाठक हूँ और मैंने आज अपनी सेक्स कहानी आप लोगो को भेजने का फैसला कर ही लिया. ये वैसे कहानी नहीं हे लेकिन रियल लाइफ में मिले एक सेक्स अनुभव के ऊपर थोड़ी मिर्ची और मसाला मारा हुआ हे ताकि आप को थोडा और मजा आये.
बात ऐसी बनी की मेरी बाइक का एक्सीडेंट हो गया था और मुझे घुटने के ऊपर चोट लगी थी. मुझे डॉक्टर ने तिन महीने तक बेड रेस्ट के लिए कहा. वैसे मैं थोडा आलसी टाइप का हूँ इसलिए मुझे लगा की चलो सही हे! लेकिन फिर कुछ दिनों में चोट की वजह से घर के अन्दर चलने फिरने में दिक्कत हुई तो मैं समझा की साला ये तो मजा नहीं पर सजा ही हे. मेरी माँ जॉब करती हे इसलिए घर में कोई था भी नहीं जो मेरी देखभाल करता. इसलिए मम्मी ने मेरी भाभी को घर पर बुला लिया मेरी देखभाल के लिए.
दोस्तों फिर ऐसा फिक्स हुआ की भाभी हफ्ते में मंडे से फ्राईडे को मेरे पास रहेंगी. मेरे मन में लड्डू से फूटने लगे थे. मेरी भाभी का नाम छाया हे और वो थोड़ी चबी यानी की मोटी सी हे. उसकी उम्र 29 साल हे एउर फिगर करीब 30 28 36 होगा. छाया भाभी की गांड बड़ी और गोल हे और आगे के बूब्स जैसे दो पके हुए और रस से भरे हुए आम लटक रहे हो. जब वो निचे झुकती थी तो उसका डीप क्लीवेज देख के मन में साली गुदगुदी होने लगती थी. और मेरी पेंट अक्सर ये सिन देख के गीली हो गई थी. उसकी साडी के अन्दर उसका नाभि का बटन बड़ा ही मादक लगता हे. वो मेरे कजिन भाई की बीवी हे. और दुःख की बात ये हे की उनकी शादी को दो साल होने के बाद भी उन्हें अभी तक बच्चा नहीं था.
मैं छाया भाभी के बूब्स और गांड के विचारों में अक्सर अपने लंड को हिला लेता था. मुझे उसकी गांड को चोदने के सपने आते थे और स्वप्नदोष भी होता था.
मंडे की मोर्निंग को जब माँ गई तो भाभी ने पूछा की कुछ चाहिए? मुझे मुतने के लिए डिब्बा मांगने में शर्म आ रही थी. लेकीन वो समझ गई और ले आई. मुझे भाभी के सामने अपनी ज़िप को खोलने में शर्म आ रही थी. लेकिन उसने मुझे मदद की और मेरे लौड़े को पकड के डिब्बे के अन्दर रख दिया. मेरा लंड एकदम सिकुड़ा हुआ था. लंड दिखा के उसे पटाने का मौका ही नहीं मिला. मैंने सोचा की अगली बार लंड खड़ा कर के ही भाभी से डिब्बा मांगूगा ताकि वो मेरे लंड से इम्प्रेस हो जाए. मेरा कजिन एक नम्बर का पियक्कड़ हे वो सब जानते हे. और मैंने सोचा की शायद तो भाभी की सेक्स लाइफ सही नहीं होगी.
हमने अब इधर उधर की बातें और करंट टॉपिक्स पर बात करना चालू कर दिया था. उसने मुझे मेरी कॉलेज, ऑफिस और मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछना चालू कर दिया. भाभी ने अपने पास्ट के बारे में भी मुझे बहुत कुछ बताया. शादी से पहले उसका एक बॉय\फ्रेंड हुआ करता था. फिर भाभी ने अचानक ही मुझे पूछा की क्या मैं वर्जिन हूँ या नहीं? मेरा मुहं खुला के खुला रह गया ऐसे ओपन बातों से. मैंने अपने गर्लफ्रेंड के साथ के अफेयर और ब्रेकअप के बारे में बात की भाभी के साथ.
भाभी ने मुझे शांत किया और कहा की कही कोई पारी जरुर होगी तुम्हारे लिए.
मैंने मन ही मन कहा मेरे लिए तो वो परी तुम ही हो भाभी. फिर मैंने वही प्रश्न भाभी की किया तो उसने कहा की वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ एकदम ओपन थी. वो लोगों ने सेक्स के बहुत सब हथकंडे किये थे. जैसे की बिच पर, थियेटर में वगेरह में भी दोनों ने सेक्स किया था.
मैंने कहा वाऊ भाभी आप ने तो अपनी लाइफ को एकदम से एन्जॉय किया हुआ हे. लेकिन शादी के बाद वो सब दीखता नहीं हे आप की लाइफ में. ये सुनके भाभी एकदम से रोने लगी. उसने मुझे कहा की तुम्हारे भाई के अंदर वो बात ही नहीं हे. मुझे शादी के बाद सेक्स लाइफ में कुछ भी नहीं मिला हे. भाभी की जबान में कहूँ तो उसने कहा की वो डाल के पानी निकालने के लिए पम्प करते हे और फिर छोड़ के सो जाते हे.
मतलब की भाभी वाइल्ड चुदाई की सौखीन थी और उसके लिए भूखी भी थी.
मैं खुश हो गया की भाभी को चोदने के चान्सिस ऐसे में बढ़ ही गए हे मेरे. बस मुझे अपनी पहली चाल चलनी थी किसी तरह से. दिन निकल गया ऐसे ही. रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी और भाभी के ही खयालो में था मैं. मैंने उस दिन कैसे भी कर के खुद को कंट्रोल कर लिया.
दुसरे दिन भाभी करीब 10 बजे घर आ गई. मैंने हंसी से उनका वेलकम किया. मैं अपने बोक्सर में था और बाकी बदन पूरा नंगा था मेरा. मैंने भाभी को कहा की आज सुबह से ही मुझे लोवर एब्डोमेन में दुःख रहा हे. भाभी ने वहाँ पर अपना हाथ रख के थोडा मसाज सा दिया. मैंने कहा भाभी दर्द की वजह से पेशाब भी नहीं किया हे मैंने.
भाभी ने फट से मेरा बोक्सर खोल दिया. और उसने देखा की मेरा लंड एकदम कडक और खड़ा हुआ देखा. मेरे लंड की लम्बाई और चौड़ाई को देख के भाभी की आँखों में अलग ही भाव थे उस वक्त. अभी मेरा लंड किसी दानव यानि की मोंस्टर के जैसा लग रहा था. कल से मेरा लंड अभी ऑलमोस्ट तीनगुना बड़ा था. उसने मेरे लंड को पकड़ के हिलाया ताकि मैं पेशाब कर सकूँ. और तभी मेरे लंड से पेशाब निकल के भाभी के हाथ कपड़ो सब जगह पर आ निकला. और कुछ बुँदे भाभी के होंठो के ऊपर भी जा लगी. मैंने कहा भाभी आई एम सोरी, प्लीज़ माफ़ कर देना मुझे. वो बोली, अरे कोई बात नहीं.
भाभी ने अपने कपडे बदल लिए. उसने मेरी मम्मी की एक ढीली नाइटी पहन ली और अपने कपडे धोने के लिए मशीन में डाल दिए उसने. उसने मुझे भी क्लीन किया और मेरा बोक्सर उतार दिया. मैं अपनी भाभी के सामने नंगा था एकदम. मैंने सोचा की अब सन्नाटा खतम कर के आगे बढ़ना ही पड़ेगा.
मैने कहा, भाभी जब अभी आप ने मेरे लंड के ऊपर हाथ लगाया था वो फिलिंग एकदम अजीब सी थी.
वो कुछ नहीं बोली. तो मैंने आगे कहा, और मैं चाहता था की आप निचे के अंडे को भी पकड के हिला देती!
वो मुझे देख के अपनी आँखे फैला के बोली, अरे मैं तुम्हारी भाभी हूँ! तुम मुझे ये सब करने को कैसे कह सकते हो?
मेरा लंड तो फिर से खड़ा होना चालू हो गया था. उसने मेरी आँखों को और फिर मेरे लंड को देखा. शायद वो भी गरम होने लगी थी. वो मेरे पास आके बैठ गई. मुझे पता था की लंड तो मेरा भाभी को भी पसंद था वो बस आगे बढ़ने से कतरा रही थी. और फिर उसके होर्मोनेस ने उसे मजबूर कर ही दिया. उसने कहा, देखो एक बार ही करुँगी फिर कभी मत कहना, ठीक हे!
उसने ये कहते हुए धीरे से मेरे लंड के ऊपर अपना हाथ रख दिया और वो उसे हिलाने लगी. मैंने अपने लंड के ऊपर काबू रखा हुआ था ताकि मेरा पानी ना छुट पड़े. भाभी ने पांच मिनिट तक मेरे लंड को हिलाया. मैंने भाभी के माथे के ऊपर हाथ रख दिया और उसके बालों को छेड़ने लगा. भाभी ने भी मेरे अन्दर की आग देख ली और वो निचे को झुक गई.
मैंने भी अपने हाथ से उसके माथे को निचे धक्का दे के उसे ब्लोवजोब के लिए धकेला. शायद उन्हेया अच्छा तो नहीं लगा लेकिन तब तक तो मैंने अपने लंड को भाभी के मुहं में दे दिया था. वो लोल्लिपोप के जैसे मेरे लंड को खाने लगी थी. भाभी ही वो औरत थी जिसे मैं सपने को ब्लोवजोब देते हुए देखता था. वो मेरी लाइफ के हसींन लम्हे थे यार, भाभी क्या मजे से सकिंग कर रही थी मेरे लंड को.
और फिर मैं भाभी के बूब्स को अपने हाथ से दबाने लगा. भाभी ने अपनी जात को मुझे सौंप दिया था अब तो. मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए अपने हाथ को भाभी की नाइटी में डाल के उसकी जांघ को सहलाई. और फिर मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की तरफ बढ़ गई. उसने मुझे वासना से भरी हुई नजरों से देखा. और फिर भाभी ने जो किया वो बहुत ही अनएक्सपेक्टेड थे मेरे लिए!
भाभी ने अपने सब कपडे खोले और वो पूरी नंगी हो के मेरे साथ 69 पोस में लेट गई. उसने अपनी चूत को मेरे मुहं के ऊपर लगा दिया और मैं उसे चाटने लगा. वो बड़ी ही स्वीट अरोमा यानी की खुसबू वाली चूत थी भाभी आह्ह्ह अह्ह्ह कर रही थी और मेरे लंड को चूस रही थी.
करीब पंद्रह मिनिट तक हम एक दुसरे को ऐसे ही चूसते और चाट रहे थे. हम दोनों ही अन्तर्वासना के उस चरम पॉइंट पर थे की ख़ुशी, सुख और आनंद के सिवा बॉडी को कुछ और फिल नहीं होता हे. और फिर भाभी ने मेरे चहरे के ऊपर ही अपनी चूत का पतला पानी निकाल दिया लिटर के हिसाब से!!
हम दोनों ही थक चुके थे. भाभी ने मुझे थेंक यु कहा. और उसने कहा की बहुत सालों के बाद आज मुझे इतना संतोष मिला हे. मैंने हंस के कहा, भाभी आप के साथ मुझे भी बहुत बजा आया. फिर हम दोनों एक दुसरे को लिपट के पलंग में रोल करने लगे. मेरे पैर की चोट की वजह से मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था चुदाई के अंदर. इसलिए भाभी ने कहा की मैं ऊपर आ जाती हूँ वही पोजीशन सही रहेगी.
मैंने अपने लंड को पकड़ा और भाभी अपनी चूत को उंगलियों से खोल के उसके ऊपर बैठ गई. चूत में लंड को ले के वो निचे झुकी और अपने होंठो को उसने मेरे होंठो से लगा दिया. फ्रेन्च किस करते हुए मैं अपनी इस सेक्सी भाभी की चूत को चोदने लगा.
भाभी अपनी पूरी बॉडी को हिला हिला के चुदवा रही थी. भाभी की चूत में मेरा पूरा लंड अंदर घुस के हिल रहा था और वो मजे से उछल उछल के चुदवा रही थी.
भाभी के बूब्स हवा में ऐसे उछल रहे थे की उसे देख के लंड में और भी ताजगी सी आ रही थी. मैंने उसके दोनों बूब्स को अपने हाथ में पकड़ा के मसला. फिर मैं अपनी उँगलियों से भाभी के निपल्स को पिंच भी करने लगा. पिंच करते ही वो आह्ह अहह कर के और जोर से उछलने लगी मेरे लंड के ऊपर. हम दोनों ही एक दुसरे को एकदम मस्त चोद रहे थे वो ऊपर से और मैं निचे से. तभी मुझे लगा की मेरा पानी निकलेगा. मैंने उसे कहा की रुको भाभी मेरा पानी निकलेगा. लेकिन वो बीलकुल भी मूड में नहीं थे रुकने के. शायद उसे पानी अपनी चूत में ही लेना था इसलिए! मैंने अपने वीर्य की पिचकारियाँ भाभी की चूत में ही निकाल दी.
भाभी उछलती गई अपनी चिपचिपी चूत को लंड पर दबा के. फिर उसका भी पानी निकल गया. वो थक चुकी थी. और मेरे लंड से निचे उतर के वो मेरे पास ही सो गई.
भाभी का और मेरा ये पहला सेक्स अनुभव था. और उसने जो काम के लिए सिर्फ एक बार कहा था अब वही वो काम को रोज करती हे. मुझे कहने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी और वो मेरे लंड को बहार निकाल के चूसने लगती थी.a